Friday, May 15, 2009

ज्यादा रिटर्न के लिए जरूरी है डेट और इक्विटी का सही मिश्रण

ऐसे वक्त जब ज्यादातर निवेशक इक्विटी बाजारों में भारी गिरावट और इसके नए निचले स्तरों के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं, वहीं दुनिया भर के इंडेक्स ने बीते चार-पांच सप्ताहों में बढिया वापसी दिखाई है। ज्यादातर बाजारों से रिकवरी के साफ संकेत मिलने अभी बाकी हैं, लेकिन इस वापसी ने यह उम्मीद तो जरूर बांधी है कि बाजारों के लिए भविष्य निराशाजनक नहीं है। कम से कम आने वाले 12 महीने के लिए तो यह कहा ही जा सकता है। बहरहाल राहत की यह रैली निवेशकों के बीच इतना विश्वास जगाने में अभी कामयाब नहीं हुई है कि वे दौड़कर अपना सारा पैसा इक्विटी में लगा दें। आखिरकार, ऐसे कई लोग हैं जो 2008, खास तौर से अक्टूबर में मची तबाही का दर्द नहीं भूले हैं।

मौजूदा वित्तीय हालात से निपटने का एक सुरक्षित विकल्प अपने पोर्टफोलियो को इक्विटी और डेट के बीच सही तरीके से बांटना है। वित्तीय योजनाकार हमेशा से ऐसे आवंटन को लंबी अवधि के लिए सही बताते रहे हैं लेकिन यह सभी श्रेणियों के निवेशकों के बीच लोकप्रिय रणनीति नहीं है। कारण जानना आसान है। निवेश के फैसलों की दिशा तय करने में जरूरत या जोखिम सहने की क्षमता से ज्यादा बाजार का उत्साह अहम भूमिका निभाता है लेकिन मौजूदा वक्त इन दोनों विकल्पों के बीच सही संतुलन के बनाने के लिहाज से मुफीद है।

एक आसान विकल्प बैलेंस्ड फंड चुनना है जो 35 फीसदी अंश डेट जबकि शेष इक्विटी में लगाता है। या फिर यह हो सकता है कि व्यक्तिगत आधार पर डेट और इक्विटी के बीच फंड आवंटित किया जाए। अगर कोई व्यक्ति डेट और इक्विटी के बीच संतुलन चाहता है तो वह बाजार की स्थिति को देखते हुए डेट के पक्ष में 50 फीसदी तक रकम रख सकता है।

दुर्भाग्य से ऐसे कम ही लोग होते हैं जो इस संतुलन तक पहुंच पाते हैं। वास्तव में आपको ज्यादातर ऐसे निवेशक मिलेंगे जो इनमें से एक विकल्प के पीछे दौड़ रहे होंगे। इसके फलस्वरूप एक समूह जहां ज्यादा जोखिम वाले आवंटन की जद में आ जाता है, वहीं दूसरा कम जोखिम वाले आवंटन के कगार पर पहुंच जाता है। दूसरा समूह मौजूदा हालात जैसे वक्त में कामयाब हो सकता है लेकिन लंबी अवधि में ज्यादा रिटर्न बटोरने का मौका वह चूक सकता है।

डेट से खास लगाव रखने वाले लोगों के लिए आने वाले एक से दो साल में कोई उम्मीद नहीं दिख रही क्योंकि अधिक ब्याज दरों का चलन पीछे छूट चुका है। जो लोग फिक्स्ड डिपॉजिट पर निर्भर कर रहे हैं, उन्हें बैंकों से परे देखते हुए कंपनी डिपॉजिट पर गौर करना चाहिए। कंपनियों के मामले में नकदी एक बड़ा मुद्दा है, क्योंकि बैंक अब भी सतर्क रुख दिखा रहे हैं। नतीजतन ज्यादा केडिट रेटिंग वाली कंपनियों को भी नकदी के संकट का सामना करना पड़ रहा है। डेट निवेशकों के लिए कुछ अन्य विकल्प डाक घर मंथली इनकम प्लान, इनकम फंड और पब्लिक प्रॉविडेंट फंड जैसे हो सकते हैं लेकिन मासिक आमदनी का इंतजाम डाक घर के वित्तीय उत्पाद ही करते हैं। इस श्रेणी में म्यूचुअल फंड के मासिक इनकम प्लान भी एक विकल्प हो सकते हैं लेकिन इनके साथ जोखिम जुड़ा रहता है।
-श्रीकला भाष्यम

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