क्या है कासा अनुपात?
कासा (सीएएसए) का मतलब है करेंट और सेविंग्स एकाउंट। चालू (करेंट) खाता, बचत खाता और टर्म डिपॉजिट जैसे अलग-अलग तरह के डिपॉजिट बैंकों के लिए फंड के बड़े स्त्रोत की भूमिका अदा करते हैं। कासा रेशियो या अनुपात इस बात की जानकारी देता है कि बैंक के कुल डिपॉजिट में चालू और बचत खाते के रूप में कितना डिपॉजिट है।
बैंक के लिए क्यों है महत्वपूर्ण?
कासा अनुपात ज्यादा होने का यह मतलब होगा कि बैंक में जमा राशि का बड़ा अंश चालू और बचत खातों की रकम से आया है जो आम तौर पर फंड के सस्ते स्त्रोत होते हैं। कई बैंक करेंट एकाउंट में जमा पर ब्याज की अदायगी नहीं करते जबकि बचत खाते में पड़ी रकम पर केवल 3-3.5 फीसदी ब्याज दर लगती है। इसलिए, कासा अनुपात जितना बेहतर होगा, शुद्ध ब्याज मार्जिन उतना ज्यादा होगा जिसका अर्थ यह हुआ कि बैंक की ऑपरेटिंग कार्यक्षमता बेहतर होगी। शुद्ध ब्याज मार्जिन कुल ब्याज आय और खर्च का अंतर होता है और इसे औसत अर्निंग एसेट के प्रतिशत के तौर पर पेश किया जाता है। कासा से ज्यादा आमदनी शुद्ध ब्याज मार्जिन में सुधार करती है, क्योंकि इस फंड का खर्च तुलनात्मक रूप से कम हो जाता है। मसलन, ज्यादातर बैंक 10 फीसदी से ज्यादा ब्याज दर पर कर्ज देते हैं जबकि बचत खाते पर वे केवल 3.5 फीसदी की ब्याज दर लगाते हैं। हालांकि, वास्तविक रियलाइजेशन खर्च पर भी निर्भर करता है।
खबरों में क्यों है कासा अनुपात?
अर्थव्यवस्था में मंदी के बावजूद ज्यादातर बैंकों का कासा अनुपात मार्च में खत्म तिमाही में या तो मजबूत बढ़त दर हासिल करने में कामयाब रहा है या फिर इसमें स्थिरता देखी गई है। उदाहरण के लिए, आईसीआईसीआई बैंक के मामले में कासा अनुपात मार्च तिमाही में सुधार के साथ 28.7 फीसदी रहा जबकि पिछले साल की इसी अवधि में यह 26.1 फीसदी था। इसके अलावा एक्सिस बैंक का कासा अनुपात भी 38.1 फीसदी से बढ़कर 43.1 फीसदी पर पहुंच गया है। इसका श्रेय पिछली तिमाही में चालू और बचत खातों में जोरदार बढ़त को दिया जा रहा है। इसके अलावा इलाहाबाद बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा का कासा रेशियो स्थिर रहा है।
टर्म और डिमांड डिपॉजिट से कैसे अलग है कासा?
करेंट और सेविंग एकाउंट ऑपरेशनल बने रहते हैं। जमाकर्ताओं को पैसा निकालने के लिए पूर्व सूचना देने की जरूरत नहीं होती जबकि टर्म डिपॉजिट के मामले में रकम खास अवधि के लिए लॉक-इन हो जाती है। अगर जमाकर्ता सावधि जमा योजाना की परिपक्वता अवधि से पहले रकम निकालना चाहता है तो उसे जुर्माना भरना पड़ता है। आम तौर पर चालू खाते के साथ ओवरड्राफ्ट सुविधा दी जाती है। डिमांड डिपॉजिट आपको कभी भी पैसा निकालने की सुविधा देता है।
कासा (सीएएसए) का मतलब है करेंट और सेविंग्स एकाउंट। चालू (करेंट) खाता, बचत खाता और टर्म डिपॉजिट जैसे अलग-अलग तरह के डिपॉजिट बैंकों के लिए फंड के बड़े स्त्रोत की भूमिका अदा करते हैं। कासा रेशियो या अनुपात इस बात की जानकारी देता है कि बैंक के कुल डिपॉजिट में चालू और बचत खाते के रूप में कितना डिपॉजिट है।
बैंक के लिए क्यों है महत्वपूर्ण?
कासा अनुपात ज्यादा होने का यह मतलब होगा कि बैंक में जमा राशि का बड़ा अंश चालू और बचत खातों की रकम से आया है जो आम तौर पर फंड के सस्ते स्त्रोत होते हैं। कई बैंक करेंट एकाउंट में जमा पर ब्याज की अदायगी नहीं करते जबकि बचत खाते में पड़ी रकम पर केवल 3-3.5 फीसदी ब्याज दर लगती है। इसलिए, कासा अनुपात जितना बेहतर होगा, शुद्ध ब्याज मार्जिन उतना ज्यादा होगा जिसका अर्थ यह हुआ कि बैंक की ऑपरेटिंग कार्यक्षमता बेहतर होगी। शुद्ध ब्याज मार्जिन कुल ब्याज आय और खर्च का अंतर होता है और इसे औसत अर्निंग एसेट के प्रतिशत के तौर पर पेश किया जाता है। कासा से ज्यादा आमदनी शुद्ध ब्याज मार्जिन में सुधार करती है, क्योंकि इस फंड का खर्च तुलनात्मक रूप से कम हो जाता है। मसलन, ज्यादातर बैंक 10 फीसदी से ज्यादा ब्याज दर पर कर्ज देते हैं जबकि बचत खाते पर वे केवल 3.5 फीसदी की ब्याज दर लगाते हैं। हालांकि, वास्तविक रियलाइजेशन खर्च पर भी निर्भर करता है।
खबरों में क्यों है कासा अनुपात?
अर्थव्यवस्था में मंदी के बावजूद ज्यादातर बैंकों का कासा अनुपात मार्च में खत्म तिमाही में या तो मजबूत बढ़त दर हासिल करने में कामयाब रहा है या फिर इसमें स्थिरता देखी गई है। उदाहरण के लिए, आईसीआईसीआई बैंक के मामले में कासा अनुपात मार्च तिमाही में सुधार के साथ 28.7 फीसदी रहा जबकि पिछले साल की इसी अवधि में यह 26.1 फीसदी था। इसके अलावा एक्सिस बैंक का कासा अनुपात भी 38.1 फीसदी से बढ़कर 43.1 फीसदी पर पहुंच गया है। इसका श्रेय पिछली तिमाही में चालू और बचत खातों में जोरदार बढ़त को दिया जा रहा है। इसके अलावा इलाहाबाद बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा का कासा रेशियो स्थिर रहा है।
टर्म और डिमांड डिपॉजिट से कैसे अलग है कासा?
करेंट और सेविंग एकाउंट ऑपरेशनल बने रहते हैं। जमाकर्ताओं को पैसा निकालने के लिए पूर्व सूचना देने की जरूरत नहीं होती जबकि टर्म डिपॉजिट के मामले में रकम खास अवधि के लिए लॉक-इन हो जाती है। अगर जमाकर्ता सावधि जमा योजाना की परिपक्वता अवधि से पहले रकम निकालना चाहता है तो उसे जुर्माना भरना पड़ता है। आम तौर पर चालू खाते के साथ ओवरड्राफ्ट सुविधा दी जाती है। डिमांड डिपॉजिट आपको कभी भी पैसा निकालने की सुविधा देता है।
-आनंद रवानी
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