सेंसेक्स ने 11,000 अंक पर पहुंच कर बाजार में हलचल पैदा कर दी है। बाजार विशेषज्ञ भी एक बार फिर से एक्शन में आ गए हैं। जाहिर है सभी के बाजार को लेकर अपने - अपने विचार हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि बाजार जल्द ही नई ऊंचाइयों को छूएगा , वहीं कुछ का दावा है कि अगर निवेशक अपने निवेश को दो साल तक बनाए रखने के लिए तैयार है तो उसके लिए शेयरों में संभल कर किया गया निवेश फायदेमंद साबित होगा।
लेकिन मुश्किल यह है कि ज्यादातर संभावित निवेशक यह नहीं जानते कि शेयर बाजार में निवेश कैसे किया जाए और कैसे जोखिम को कम कर बाजार से मिलने वाले रिटर्न का फायदा उठाया जाए। यही वजह है कि बहुत कम लोग निवेश के लिए शेयर बाजार को चुनते हैं। छोटे निवेशकों के पास निवेश के लिए ही इतनी कम पूंजी होती है कि वे कम जोखिम के साथ अच्छे रिटर्न के लिए सलाहकार की सेवाओं को वहन नहीं कर सकते। ऐसे में शेयर बाजार का फायदा कुछ लोगों के हाथों में ही पहुंच पाता है। लेकिन अब सुकून वाली बात यह है कि आपको महंगी फीस खर्च कर किसी एक्सपर्ट की सर्विस लेने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि अगर आप 100 रुपए जितनी कम राशि भी म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो म्यूचुअल फंड मैनेजर आपकी इस राशि को बेहतर तरीके से शेयर बाजार में निवेश करते हैं।
आप निश्चिंत होकर अपनी निवेश राशि को इन फंड मैनेजर के हाथों में देकर शेयर बाजार का लाभ उठा सकते हैं। इन कुशल फंड मैनेजरों के पास शेयर बाजार का अच्छा अनुभव होता है और ये उसी के आधार आपके धन का निवेश करते हैं। आइए जानते हैं कि आखिर यह सिस्टम काम कैसे करता है। दरअसल म्यूचुअल फंड निवेशकों के पूल से धन जमा करता है और उस धन को निवेशकों के लिए शेयर बाजार में लगाता है। इसके लिए वह मामूली शुल्क जो कि 1.5 से 2 फीसदी तक होता है , वसूल करता है।
निवेशकों के पास अपनी पूंजी को शेयर बाजार या डेट स्कीम ( जो कि फिक्स्ड इन्कम इंस्ट्रमेंट है ) या इन दोनों में बांट कर निवेश करने का विकल्प होता है। यहां निवेशक निवेश से पहले अपने उद्देश्यों के हिसाब से स्कीम के पहले से निर्धारित मानकों को ध्यान में रखते हुए विकल्प का चुनाव करता है।
एक्सपर्ट के अनुसार म्यूचुअल फंड में निवेश छोटे निवेशकों के लिए काफी फायदेमंद साबित होता है। क्योंकि ऐसे ज्यादातर निवेशकों को शेयर बाजार के बारे में पूरी जानकारी नहीं होती है। अग्रणी बैंक में काम करने वाले एक वेल्थ मैनेजर का कहना है , ' ज्यादातर लोगों के लिए शेयर बाजार अभी भी एक अनसुलझी पहेली है। वे बाजार के ऊपर जाने पर भी चिंतित दिखाई देते हैं , वहीं अगर बाजार गिरता है तो भी वे उतने ही भयभीत होते हैं। क्योंकि उनके पास न तो विशेषज्ञों की सेवाएं लेने के लिए पैसा होता है और न ही इतना समय कि वे रोजाना अपने शेयरों के उतार - चढ़ाव पर नजर रख पाएं। इसलिए बेहतर है कि अपने निवेश संबंधी निर्णय की जिम्मेदारी प्रोफेशनल फंड मैनेजर को दे दी जाए। '
इसके अलावा म्यूचुअल फंड में निवेश का विकल्प आपके पोर्टफोलियो को विविधता प्रदान करता है। हालांकि बहुत से लोग इस बात पर बहस कर सकते हैं कि अब जबकि किसी कंपनी का एक शेयर भी बेचा व खरीदा जा सकता है और अपने पोर्टफोलियो में विभिन्न सेक्टर के शेयरों को रखा जा सकता है तो फंड मैनेजर का क्या लाभ है ? लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि म्यूचुअल फंड बेहतर तरीके से विविधता प्रदान करता है। इस बारे में एक सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर कहते हैं , ' यदि आपका नजरिया सही नहीं है तो आप अपने निवेश को विविधता प्रदान नहीं कर सकते। जबकि फंड मैनेजर इस स्थिति में होता है कि वह आने वाले समय में लाभ देने वाले विभिन्न सेक्टरों की पहचान कर उनमें निवेश करता है। क्योंकि उसके साथ रिसर्च प्रोफेशनल की पूरी टीम रात - दिन इसी काम में लगी रहती है। '
म्यूचुअल फंड में निवेश करने का एक और सबसे महत्वपूर्ण फायदा सहूलियत भी है। मान लीजिए अगर आपने हर महीने 100 रुपए किसी इक्विटी स्कीम ( ओपन एंडेड ) में निवेश करना शुरू किया तो आप जब चाहें उस स्कीम से बाहर निकल सकते हैं और जब चाहें तब वापस प्रवेश कर सकते हैं। इसके अलावा आपको कर लाभ भी मिलता है।
उदाहरण के लिए यदि आपने किसी इक्विटी स्कीम में निवेश एक साल से ज्यादा तक बनाए रखा तो आप लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स के दायरे में आएंगें , जो कि इस समय शून्य है। इस बारे में वेल्थ मैनेजर कहते हैं , ' यह जरूरी है कि सबसे पहले फंड हाउस का पिछला रिकॉर्ड और उसकी प्रतिष्ठा पर ध्यान देने के साथ तीन साल तक स्कीम के प्रदर्शन की समीक्षा की जाए। यह देखें कि स्कीम ने तेजी और मंदी के समय कैसा प्रदर्शन किया। इससे आपको फंड मैनेजर के निवेश की शैली और उसकी दक्षता के बारे में सही जानकारी मिल जाएगी।
लेकिन मुश्किल यह है कि ज्यादातर संभावित निवेशक यह नहीं जानते कि शेयर बाजार में निवेश कैसे किया जाए और कैसे जोखिम को कम कर बाजार से मिलने वाले रिटर्न का फायदा उठाया जाए। यही वजह है कि बहुत कम लोग निवेश के लिए शेयर बाजार को चुनते हैं। छोटे निवेशकों के पास निवेश के लिए ही इतनी कम पूंजी होती है कि वे कम जोखिम के साथ अच्छे रिटर्न के लिए सलाहकार की सेवाओं को वहन नहीं कर सकते। ऐसे में शेयर बाजार का फायदा कुछ लोगों के हाथों में ही पहुंच पाता है। लेकिन अब सुकून वाली बात यह है कि आपको महंगी फीस खर्च कर किसी एक्सपर्ट की सर्विस लेने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि अगर आप 100 रुपए जितनी कम राशि भी म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो म्यूचुअल फंड मैनेजर आपकी इस राशि को बेहतर तरीके से शेयर बाजार में निवेश करते हैं।
आप निश्चिंत होकर अपनी निवेश राशि को इन फंड मैनेजर के हाथों में देकर शेयर बाजार का लाभ उठा सकते हैं। इन कुशल फंड मैनेजरों के पास शेयर बाजार का अच्छा अनुभव होता है और ये उसी के आधार आपके धन का निवेश करते हैं। आइए जानते हैं कि आखिर यह सिस्टम काम कैसे करता है। दरअसल म्यूचुअल फंड निवेशकों के पूल से धन जमा करता है और उस धन को निवेशकों के लिए शेयर बाजार में लगाता है। इसके लिए वह मामूली शुल्क जो कि 1.5 से 2 फीसदी तक होता है , वसूल करता है।
निवेशकों के पास अपनी पूंजी को शेयर बाजार या डेट स्कीम ( जो कि फिक्स्ड इन्कम इंस्ट्रमेंट है ) या इन दोनों में बांट कर निवेश करने का विकल्प होता है। यहां निवेशक निवेश से पहले अपने उद्देश्यों के हिसाब से स्कीम के पहले से निर्धारित मानकों को ध्यान में रखते हुए विकल्प का चुनाव करता है।
एक्सपर्ट के अनुसार म्यूचुअल फंड में निवेश छोटे निवेशकों के लिए काफी फायदेमंद साबित होता है। क्योंकि ऐसे ज्यादातर निवेशकों को शेयर बाजार के बारे में पूरी जानकारी नहीं होती है। अग्रणी बैंक में काम करने वाले एक वेल्थ मैनेजर का कहना है , ' ज्यादातर लोगों के लिए शेयर बाजार अभी भी एक अनसुलझी पहेली है। वे बाजार के ऊपर जाने पर भी चिंतित दिखाई देते हैं , वहीं अगर बाजार गिरता है तो भी वे उतने ही भयभीत होते हैं। क्योंकि उनके पास न तो विशेषज्ञों की सेवाएं लेने के लिए पैसा होता है और न ही इतना समय कि वे रोजाना अपने शेयरों के उतार - चढ़ाव पर नजर रख पाएं। इसलिए बेहतर है कि अपने निवेश संबंधी निर्णय की जिम्मेदारी प्रोफेशनल फंड मैनेजर को दे दी जाए। '
इसके अलावा म्यूचुअल फंड में निवेश का विकल्प आपके पोर्टफोलियो को विविधता प्रदान करता है। हालांकि बहुत से लोग इस बात पर बहस कर सकते हैं कि अब जबकि किसी कंपनी का एक शेयर भी बेचा व खरीदा जा सकता है और अपने पोर्टफोलियो में विभिन्न सेक्टर के शेयरों को रखा जा सकता है तो फंड मैनेजर का क्या लाभ है ? लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि म्यूचुअल फंड बेहतर तरीके से विविधता प्रदान करता है। इस बारे में एक सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर कहते हैं , ' यदि आपका नजरिया सही नहीं है तो आप अपने निवेश को विविधता प्रदान नहीं कर सकते। जबकि फंड मैनेजर इस स्थिति में होता है कि वह आने वाले समय में लाभ देने वाले विभिन्न सेक्टरों की पहचान कर उनमें निवेश करता है। क्योंकि उसके साथ रिसर्च प्रोफेशनल की पूरी टीम रात - दिन इसी काम में लगी रहती है। '
म्यूचुअल फंड में निवेश करने का एक और सबसे महत्वपूर्ण फायदा सहूलियत भी है। मान लीजिए अगर आपने हर महीने 100 रुपए किसी इक्विटी स्कीम ( ओपन एंडेड ) में निवेश करना शुरू किया तो आप जब चाहें उस स्कीम से बाहर निकल सकते हैं और जब चाहें तब वापस प्रवेश कर सकते हैं। इसके अलावा आपको कर लाभ भी मिलता है।
उदाहरण के लिए यदि आपने किसी इक्विटी स्कीम में निवेश एक साल से ज्यादा तक बनाए रखा तो आप लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स के दायरे में आएंगें , जो कि इस समय शून्य है। इस बारे में वेल्थ मैनेजर कहते हैं , ' यह जरूरी है कि सबसे पहले फंड हाउस का पिछला रिकॉर्ड और उसकी प्रतिष्ठा पर ध्यान देने के साथ तीन साल तक स्कीम के प्रदर्शन की समीक्षा की जाए। यह देखें कि स्कीम ने तेजी और मंदी के समय कैसा प्रदर्शन किया। इससे आपको फंड मैनेजर के निवेश की शैली और उसकी दक्षता के बारे में सही जानकारी मिल जाएगी।
No comments:
Post a Comment