Sunday, May 17, 2009

जनादेश की खुशी में छलांग लगा सकता है शेयर बाजार

मुंबई : सेंसेक्स ने 18 मई 2004 को 8.2 फीसदी की लंबी छलांग लगाई थी। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी नेता ए. बी. वर्धन की विनिवेश के खिलाफ की गई क्या बुल रन फिर शुरू होगा? टिप्पणी को दरकिनार करते हुए यूपीए सरकार ने इस उछाल का आधार तैयार किया था। ठीक पांच साल बाद अगर शीर्ष ब्रोकर और फंड मैनेजरों के उत्साह से संकेत लिए जाएं तो सोमवार को भी शेयर बाजार कुछ इसी तरह का प्रदर्शन दोहरा सकता है।

कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के लिए स्पष्ट जनादेश ने बाजार को सुखद आश्चर्य दिया है लेकिन निवेशक इस बात से ज्यादा उत्साहित हैं कि नई सरकार को अपने दिल की धड़कन बनाए रखने के लिए वाम दलों के पेसमेकर की जरूरत नहीं होगी।

बाजार के जानकारों को अगले कुछ कारोबारी सत्रों के दौरान बाजार में जमकर खरीदारी होने की उम्मीद है क्योंकि कई विदेशी और स्थानीय फंड मैनेजर अब बाजार में कूदेंगे जो चुनावों के बाद राजनीतिक अनिश्चितता की आशंका से खौफजदा थे। एसेट के आधार पर देश के सबसे बड़े म्यूचुअल फंड रिलायंस म्यूचुअल फंड के प्रमुख-इक्विटी मधुसूदन केला ने कहा, 'वैश्विक स्तर पर निवेशक काफी भ्रम में हैं क्योंकि निवेश करने के लिए ज्यादा अच्छे बाजार नहीं हैं। अब हम भारत में नकदी का खुला प्रवाह देखेंगे क्योंकि स्पष्ट जनादेश सरकार को कुछ अहम आथिर्क सुधारों को आगे ले जाने में मदद देगा जिससे मौजूदा हालात में भारत सर्वश्रेष्ठ बाजारों में से एक का रूप ले लेगा।'

सोमवार को इंडेक्स शुक्रवार के स्तर से 4-5 फीसदी ऊपर खुलने की उम्मीद लगाई जा रही है। ब्रोकरों का कहना है कि इससे डे-टेडर के लिए मौके सीमित हो सकते हैं जो बाजार में लंबा दांव खेलकर मुनाफा बटोरने की जुगत में हैं। उनकी सलाह है कि लंबी अवधि के लिए पैसा लगाने वालों को भी सतर्कता के साथ शेयर चुनना चाहिए।

डीएसपी ब्लैकरॉक के चेयरमैन हेमेंद्र कोठारी ने कहा, 'अगले कुछ दिनों के लिए बाजार में मूड बढि़या रहा है लेकिन इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि सरकार के सामने कई चुनौतियां भी खड़ी हैं।' कोठारी को लगता है कि निवेशकों को ऊंचे स्तरों पर खरीदारी करते वक्त संयम बरतना चाहिए। उन्होंने कहा कि राजकोषीय घाटा, नौकरियों पर खतरा, ऊंची ब्याज दरें और मांग में मंदी ऐसे कुछ अवरोध हैं जिन पर करीबी निगाह रखनी होगी। कोठारी ने कहा, 'वैश्विक वित्तीय बाजारों से बदतर खबरों का सिलसिला अभी थमा नही है।'

ज्यादातर खिलाडि़यों का मानना है कि बीमा सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का दायरा बढ़ाना और पेंशन सुधार वित्तीय बाजार के सुधारों की दिशा में यूपीए का पहला कदम होगा। 15वीं लोकसभा में अगर पूर्ववर्ती सहयोगी वामपंथी दलों का महत्व बरकरार रहता तो कांगेस को इस मोर्चे पर समझौता करना होता लेकिन अब रास्ता खुला है। राजनीतिक चिंताओं को दरकिनार करते हुए विदेशी संस्थागत निवेशकों ने बीते एक महीने के दौरान 3 अरब डॉलर से ज्यादा की खरीदारी की है।

घरेलू फंड हाउस ने हालांकि सुरक्षित दांव खेला और उनके पोर्टफोलियो की ज्यादातर इक्विटी स्कीम का 10-30 फीसदी हिस्सा नकदी में है। बाजार के विशेषज्ञों का कहना है कि स्थानीय फंड मैनेजरों को निवेश करने पर मजबूर होना होगा क्योंकि वे प्रदर्शन के मोचेर् पर और पिछड़ने का जोखिम मोल नहीं ले सकते। पंडितों का कहना है कि बाजार की तेजी को बिकवालों की गैर-मौजूदगी और हवा देगी क्योंकि निवेशक कम से कम कुछ वक्त के लिए शेयर अपने पास रखेंगे। फर्स्ट ग्लोबल कॉर्प के वाइस चेयरमैन और प्रबंध निदेशक शंकर शर्मा ने कहा, 'हालात फिलहाल उत्साहजनक हैं।'

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