अपूर्व गुप्ता/सुप्रिया वर्मा मिश्रा
मुंबई : क्या रियल एस्टेट शेयरों की किस्मत सचमुच पलटने वाली है? कम-से-कम विश्लेषकों को तो इसका उत्तर सकारात्मक ही लगता है। उनकी नजर में लगभग 18 महीने तक दूसरे सेक्टरों से पिछड़ने के बाद अब रियल्टी सेक्टर के लिए सकारात्मक संकेत नजर आने लगे हैं। इसके बावजूद उनमें आम राय यह है कि फिलहाल सेक्टर के सिर्फ सेंटीमेंट में सुधार आया है। और जब तक निवेशक शेयरों में खरीदारी की दिलचस्पी नहीं दिखाते तब तक यह सेक्टर तेजी से बढ़ते बाजार से बेहतर नहीं कर पाएगा।
इस समय ज्यादातर शेयरों के भाव मार्च के निचले स्तर से दोगुना हो चुके हैं। सोमवार को जिन शेयरों के भाव में सबसे ज्यादा उछाल आया, उनमें आधे शेयर रियल्टी या इससे जुड़े सेक्टर के हैं। विश्लेषकों के मुताबिक एक दिन शानदार प्रदर्शन होने का मतलब यह नहीं कि सेक्टर की कायापलट हो गई है और इसकी रेटिंग में बदलाव किया जाना चाहिए। लेकिन उनका यह भी कहना है कि पिछले कुछ महीनों में रियल्टी शेयरों में निवेश के प्रति जोखिम को लेकर निवेशकों का नजरिया बेहतर हुआ है।
सेंट्रम ब्रोकिंग में पीएमएस के वाइस प्रेसिडेंट मेहराबून जमशेद ईरानी कहते हैं, 'इस सेक्टर को लेकर हमारा नजरिया सकारात्मक हुआ है। समस्या दो कंपनियों, डीएलएफ और यूनिटेक को लेकर पैदा हुई थी। इन दोनों कंपनियों पर कर्ज का काफी बोझ था। निवेशकों ने दोनों को दरकिनार कर दिया था। अब नकदी की उपलब्धता बेहतर हुई है और बाजार में धीरे-धीरे पैसा आ रहा है। इससे एक बार फिर रियल्टी शेयरों में निवेशकों की दिलचस्पी हो सकती है। यह जरूर है कि साल 2009 की पहली छमाही रियल्टी कंपनियों के लिए काफी मुश्किल रही है लेकिन आने वाले दिनों में महानगरों में कामकाज कर रही रियल्टी कंपनियों को कर्ज मिलने लगेगा।'
डेट रिस्ट्रक्चरिंग करने के अलावा बड़े अपार्टमेंट के बजाय छोटे फ्लैट पर जोर देने और ब्याज दरों में कमी आने से रियल्टी कंपनियों को कारोबार में बने रहने में मदद मिली है। कई रियल एस्टेट डेवलपरों ने प्रॉपर्टी की बिक्री बढ़ाने और तैयार प्रॉपर्टी बेचने के लिए दाम में कमी की है। इसके साथ ही रियल एस्टेट कंपनियां अब अपने शेयरों के दाम लगाने में ज्यादा व्यावहारिक हो गई हैं।
उदाहरण के लिए यूनिटेक ने 32.5 करोड़ डॉलर यानी 1,621 करोड़ रुपए की रकम जुटाने के लिए क्यूआईपी के जरिए 38.5 फीसदी शेयर बेचे हैं। जनवरी 2008 में इसके शेयरों के भाव 550 रुपए के उच्च स्तर पर थे और सौदा उससे काफी निचले स्तर पर हुआ है। इसी तरह हाल ही में डीएलएफ के प्रमोटरों ने 230 रुपए प्रति शेयर की दर से लगभग 10 फीसदी शेयर बेचे हैं। इस दर पर कंपनी को 3,860 करोड़ रुपए की रकम हासिल हुई। जब बाजार में तेजी अपने चरम पर थी, तब इसके शेयर 1,205 रुपए के उच्च स्तर तक पहुंचे थे। इसी तरह, इंडियाबुल्स रियल्टी और शोभा डेवलपर्स जैसी कंपनियां बाजार से फंड जुटाने की संभावनाएं तलाश रही हैं।
विशेषज्ञ रियल्टी सेक्टर की स्थित में लगातार सुधार आने की संभावना से इनकार नहीं कर रहे, लेकिन इसके सामने कई चुनौतियां हैं। सीबी रिचर्ड एलिस के साउथ एशिया सीएमडी अंशुमान मैगजीन कहते हैं, 'चुनावी नतीजों से बाजार के सेंटीमेंट में खासा सुधार आएगा और इसमें कंपनियों, निवेशकों और आम जनता का भरोसा जगेगा। यह अलग बात है कि इससे कंपनियों की बिक्री पर कोई खास असर होने की संभावना नहीं है।'
मुंबई : क्या रियल एस्टेट शेयरों की किस्मत सचमुच पलटने वाली है? कम-से-कम विश्लेषकों को तो इसका उत्तर सकारात्मक ही लगता है। उनकी नजर में लगभग 18 महीने तक दूसरे सेक्टरों से पिछड़ने के बाद अब रियल्टी सेक्टर के लिए सकारात्मक संकेत नजर आने लगे हैं। इसके बावजूद उनमें आम राय यह है कि फिलहाल सेक्टर के सिर्फ सेंटीमेंट में सुधार आया है। और जब तक निवेशक शेयरों में खरीदारी की दिलचस्पी नहीं दिखाते तब तक यह सेक्टर तेजी से बढ़ते बाजार से बेहतर नहीं कर पाएगा।
इस समय ज्यादातर शेयरों के भाव मार्च के निचले स्तर से दोगुना हो चुके हैं। सोमवार को जिन शेयरों के भाव में सबसे ज्यादा उछाल आया, उनमें आधे शेयर रियल्टी या इससे जुड़े सेक्टर के हैं। विश्लेषकों के मुताबिक एक दिन शानदार प्रदर्शन होने का मतलब यह नहीं कि सेक्टर की कायापलट हो गई है और इसकी रेटिंग में बदलाव किया जाना चाहिए। लेकिन उनका यह भी कहना है कि पिछले कुछ महीनों में रियल्टी शेयरों में निवेश के प्रति जोखिम को लेकर निवेशकों का नजरिया बेहतर हुआ है।
सेंट्रम ब्रोकिंग में पीएमएस के वाइस प्रेसिडेंट मेहराबून जमशेद ईरानी कहते हैं, 'इस सेक्टर को लेकर हमारा नजरिया सकारात्मक हुआ है। समस्या दो कंपनियों, डीएलएफ और यूनिटेक को लेकर पैदा हुई थी। इन दोनों कंपनियों पर कर्ज का काफी बोझ था। निवेशकों ने दोनों को दरकिनार कर दिया था। अब नकदी की उपलब्धता बेहतर हुई है और बाजार में धीरे-धीरे पैसा आ रहा है। इससे एक बार फिर रियल्टी शेयरों में निवेशकों की दिलचस्पी हो सकती है। यह जरूर है कि साल 2009 की पहली छमाही रियल्टी कंपनियों के लिए काफी मुश्किल रही है लेकिन आने वाले दिनों में महानगरों में कामकाज कर रही रियल्टी कंपनियों को कर्ज मिलने लगेगा।'
डेट रिस्ट्रक्चरिंग करने के अलावा बड़े अपार्टमेंट के बजाय छोटे फ्लैट पर जोर देने और ब्याज दरों में कमी आने से रियल्टी कंपनियों को कारोबार में बने रहने में मदद मिली है। कई रियल एस्टेट डेवलपरों ने प्रॉपर्टी की बिक्री बढ़ाने और तैयार प्रॉपर्टी बेचने के लिए दाम में कमी की है। इसके साथ ही रियल एस्टेट कंपनियां अब अपने शेयरों के दाम लगाने में ज्यादा व्यावहारिक हो गई हैं।
उदाहरण के लिए यूनिटेक ने 32.5 करोड़ डॉलर यानी 1,621 करोड़ रुपए की रकम जुटाने के लिए क्यूआईपी के जरिए 38.5 फीसदी शेयर बेचे हैं। जनवरी 2008 में इसके शेयरों के भाव 550 रुपए के उच्च स्तर पर थे और सौदा उससे काफी निचले स्तर पर हुआ है। इसी तरह हाल ही में डीएलएफ के प्रमोटरों ने 230 रुपए प्रति शेयर की दर से लगभग 10 फीसदी शेयर बेचे हैं। इस दर पर कंपनी को 3,860 करोड़ रुपए की रकम हासिल हुई। जब बाजार में तेजी अपने चरम पर थी, तब इसके शेयर 1,205 रुपए के उच्च स्तर तक पहुंचे थे। इसी तरह, इंडियाबुल्स रियल्टी और शोभा डेवलपर्स जैसी कंपनियां बाजार से फंड जुटाने की संभावनाएं तलाश रही हैं।
विशेषज्ञ रियल्टी सेक्टर की स्थित में लगातार सुधार आने की संभावना से इनकार नहीं कर रहे, लेकिन इसके सामने कई चुनौतियां हैं। सीबी रिचर्ड एलिस के साउथ एशिया सीएमडी अंशुमान मैगजीन कहते हैं, 'चुनावी नतीजों से बाजार के सेंटीमेंट में खासा सुधार आएगा और इसमें कंपनियों, निवेशकों और आम जनता का भरोसा जगेगा। यह अलग बात है कि इससे कंपनियों की बिक्री पर कोई खास असर होने की संभावना नहीं है।'
-अपूर्व गुप्ता/सुप्रिया वर्मा मिश्रा
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