किराए पर मकान लेने की बात सुनने में तो आसान लगती है, लेकिन इसकी प्रक्रिया में ऐसी कुछ कठिनाइयां आ सकती हैं, जिसका ध्यान रखना बेहद जरूरी है। किसी भी
मकान को किराए पर लेने से पहले किराएदार को मूल बातों का ठीक से पता कर लेना चाहिए। मकान किराए पर लेने का मन बन जाने पर सभी दस्तावेज सॉलिसिटर से सत्यापित करा लेना बेहतर रहता है। इससे आप बाद की मुश्किलों से बच सकते हैं। किराए से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज और मुद्दे इस प्रकार हैं :
० किराएदार को यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि मकान मालिक के पास प्रॉपटी का मालिकाना हक हो।
० उसे यह डिक्लेरेशन ले लेना चाहिए कि मकान से संबंधित कोई कानूनी मामला नहीं चल रहा।
० ससायटी के शेयर सर्टिफिकट की जांच करा लेनी चाहिए। यह जरूरी है क्योंकि अधिकतर मामलों में किराएदार को सिक्यूरिटी डिपॉजिट देना पड़ता है।
० मकान को किराए पर देने की ससाइटी से अनुमति। किराएदार को उन नियमों और शर्तो को समझ लेना चाहिए जिसके तहत अनुमति दी गई है।
० यह सुनिश्चित कर लीजिए कि पहले के सभी टेलिफोन और बिजली बिलों का भुगतान कर दिया गया है।
० समझौते पर स्वयं मकान मालिक या उसके द्वारा अधिकृत पावर ऑफ अटर्नी के हस्ताक्षर होने चाहिए।
लीज अग्रीमंट में क्या जरूरी
लीज अग्रीमंट ठीक तरह से लिखा होना चाहिए। खास तौर से उसमें नीचे दिए जा रहे बिंदू शामिल होने जरूरी हैं-
० किराया बढ़ाने संबंधी शर्त- किराया कब और कितना बढ़ाया जाएगा।
० किराए में शामिल की गई सभी सुविधाओं का ब्यौरा।
० ससायटी को दिया जाने वाला मेंटेनेंस चार्ज। क्या यह किराए में शामिल है? इसका भुगतान कौन करेगा।
० घर में होने वाली नियमित मरम्मत और मेंटेनेंस का खर्च कौन वहन करेगा।
० फिक्सचर और फिटिंग के कार्य मकान मालिक कराएगा या किराएदार।
० समझौता रद्द करने का आधार। किसी पक्ष द्वारा सूचना देने की मियाद।
० यदि लीज डीड का रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है, तो रजिस्ट्रेशन पर आने वाला खर्च कौन उठाएगा।
० लीज का नवीनीकरण।
० सिक्यूरिटी डिपॉजिट और अडवांस्ड रेंट। क्या सिक्यूरिटी डिपॉजिट पर ब्याज लगेगा? आमतौर पर यह नहीं लगता है।
० पार्किंग एरिया
० ससायटी में प्रवेश करने का शुल्क (कुछ ससायटी शुल्क वसूलती हैं।)
० किराएदार को दिया गया कॉमन एरिया, गार्डन और टेरेस राइट
० म्यूनिसिपल ड्यूज और प्रॉपर्टी टैक्स
ये मुद्दे बड़े शहरों में काफी महत्वपूर्ण हो जाते हैं, क्योंकि दूसरे शहरों की तुलना में इनमें किराया अधिक होता है। दूसरे, यहां 10-15 महीने तक के किराए जितनी रकम सिक्यूरिटी डिपॉजिट के रूप में देनी होती है। इसका मतलब है लीज की पूरी अवधि का किराया यहां अडवांस में ही ले लिया जाता है। इन मुद्दों का ध्यान रखने से किराएदार भविष्य की कई समस्याओं से बच सकते हैं।
मकान को किराए पर लेने से पहले किराएदार को मूल बातों का ठीक से पता कर लेना चाहिए। मकान किराए पर लेने का मन बन जाने पर सभी दस्तावेज सॉलिसिटर से सत्यापित करा लेना बेहतर रहता है। इससे आप बाद की मुश्किलों से बच सकते हैं। किराए से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज और मुद्दे इस प्रकार हैं :
० किराएदार को यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि मकान मालिक के पास प्रॉपटी का मालिकाना हक हो।
० उसे यह डिक्लेरेशन ले लेना चाहिए कि मकान से संबंधित कोई कानूनी मामला नहीं चल रहा।
० ससायटी के शेयर सर्टिफिकट की जांच करा लेनी चाहिए। यह जरूरी है क्योंकि अधिकतर मामलों में किराएदार को सिक्यूरिटी डिपॉजिट देना पड़ता है।
० मकान को किराए पर देने की ससाइटी से अनुमति। किराएदार को उन नियमों और शर्तो को समझ लेना चाहिए जिसके तहत अनुमति दी गई है।
० यह सुनिश्चित कर लीजिए कि पहले के सभी टेलिफोन और बिजली बिलों का भुगतान कर दिया गया है।
० समझौते पर स्वयं मकान मालिक या उसके द्वारा अधिकृत पावर ऑफ अटर्नी के हस्ताक्षर होने चाहिए।
लीज अग्रीमंट में क्या जरूरी
लीज अग्रीमंट ठीक तरह से लिखा होना चाहिए। खास तौर से उसमें नीचे दिए जा रहे बिंदू शामिल होने जरूरी हैं-
० किराया बढ़ाने संबंधी शर्त- किराया कब और कितना बढ़ाया जाएगा।
० किराए में शामिल की गई सभी सुविधाओं का ब्यौरा।
० ससायटी को दिया जाने वाला मेंटेनेंस चार्ज। क्या यह किराए में शामिल है? इसका भुगतान कौन करेगा।
० घर में होने वाली नियमित मरम्मत और मेंटेनेंस का खर्च कौन वहन करेगा।
० फिक्सचर और फिटिंग के कार्य मकान मालिक कराएगा या किराएदार।
० समझौता रद्द करने का आधार। किसी पक्ष द्वारा सूचना देने की मियाद।
० यदि लीज डीड का रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है, तो रजिस्ट्रेशन पर आने वाला खर्च कौन उठाएगा।
० लीज का नवीनीकरण।
० सिक्यूरिटी डिपॉजिट और अडवांस्ड रेंट। क्या सिक्यूरिटी डिपॉजिट पर ब्याज लगेगा? आमतौर पर यह नहीं लगता है।
० पार्किंग एरिया
० ससायटी में प्रवेश करने का शुल्क (कुछ ससायटी शुल्क वसूलती हैं।)
० किराएदार को दिया गया कॉमन एरिया, गार्डन और टेरेस राइट
० म्यूनिसिपल ड्यूज और प्रॉपर्टी टैक्स
ये मुद्दे बड़े शहरों में काफी महत्वपूर्ण हो जाते हैं, क्योंकि दूसरे शहरों की तुलना में इनमें किराया अधिक होता है। दूसरे, यहां 10-15 महीने तक के किराए जितनी रकम सिक्यूरिटी डिपॉजिट के रूप में देनी होती है। इसका मतलब है लीज की पूरी अवधि का किराया यहां अडवांस में ही ले लिया जाता है। इन मुद्दों का ध्यान रखने से किराएदार भविष्य की कई समस्याओं से बच सकते हैं।
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