वर्ष की शुरुआत में टैक्स प्लानिंग बेहतर
वित्त वर्ष 2008-09 समाप्त हो चुका है और नया वित्त वर्ष आ गया है। वेतनभोगी कर्मचारियों को 2009-10 के वित्त वर्ष के लिए इनवेस्टमेंट डिक्लरेशन का फॉर्म मिल गया होगा। प्रत्येक वर्ष की तरह इस बार भी बहुत से लोग कर की कोई योजना बनाए बगैर इसे भरेंगे और कर बचत के लिए वित्त वर्ष के आखिरी महीने में ही दौड़-भाग करेंगे। स्व रोजगार में लगे लोग अभी इस वर्ष के लिए कर योजना के बारे में बात करना शायद पसंद न करें क्योंकि वे अभी भी पिछले वर्ष की कर देनदारी की गणना करने में व्यस्त होंगे।
पर, क्या आप भी इन्हीं लोगों में से हैं? यदि हां, तो ये आर्टिकल आप ही के लिए लिखा गया है..आगे बढ़ें...
क्यों जरूरी समय से प्लानिंग
अगर आप वर्ष की शुरुआत में कर योजना नहीं बनाते तो वर्ष के अंत में आपको मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है। आमतौर पर वर्ष का अंत नजदीक आने पर लोग कर बचाने के लिए जल्दबाजी में निवेश करते हैं और गलत प्रोडक्ट में निवेश कर बैठते हैं। इस गलती से बचने के लिए अभी से कर योजना बनाना ठीक रहेगा। राइट रिर्टन्स फाइनेंशियल प्लानिंग के देवांग शाह का कहना है, 'एक हजार किलोमीटर की यात्रा पहले कदम के साथ समाप्त नहीं होती लेकिन वह पहला कदम इस लंबी यात्रा को समाप्त करने के लिए जरूरी होता है। इसी तरह हमें संपत्ति बनाने और वित्तीय लक्ष्यों को हासिल करने के लिए वित्तीय योजना की शुरुआत जल्द करनी चाहिए।'
कैसे, आइए हम आपको बताएं। आगे की प्लेट पढ़िए...
कैसे बनाएं कर योजना
इसकी शुरुआत उस रकम की गणना से होती है जिसका भुगतान आप पहले से कर बचाने वाले इंस्ट्रूमेंट में निवेश के तौर पर कर रहे हैं। मान लीजिए आप ऐसे इंस्ट्रूमेंट्स में प्रतिवर्ष 60,000 रुपए का भुगतान कर रहे हैं तो आपको एक लाख रुपए की कर कटौती का लाभ उठाने के लिए 40,000 रुपए का और निवेश करना होगा।
एकॉर्न इनवेस्टमेंट्स के सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर गोविंद पाठक का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति बीमा पॉलिसी के प्रीमियम और प्रॉविडेंट फंड जैसे विकल्पों में निवेश से एक लाख रुपए की सीमा पार कर चुके हैं तो आपको कर बचाने वाले इंस्ट्रूमेंट में और निवेश करने की जरूरत नहीं है। आप अपने वित्तीय लक्ष्यों के अनुसार निवेश कर सकते हैं। लेकिन अगर कर बचाने की सीमा पूरी नहीं हुई है तो आपको यह फैसला करना होगा कि इक्विटी और डेट में आप कितना धन लगाएंगे। संपत्ति के वर्गों में निवेश का आवंटन आपकी जोखिम उठाने की क्षमता पर भी निर्भर करता है। आमतौर पर बुजुर्गों की तुलना में युवा लोग निवेश में जोखिम लेना ज्यादा पसंद करते हैं। इसी वजह से इक्विटी में आवंटन भी उम्र के अनुसार बदलता रहता है। पाठक का कहना है, '30-40 वर्ष के वर्ग में आने वाले लोगों को अपने पोर्टफोलियो का कम से कम 40 फीसदी इक्विटी में लगाना चाहिए। रिटायर हो चुके लोग इक्विटी में लगभग 20-25 फीसदी निवेश कर सकते हैं। इक्विटी में निवेश पर तभी विचार करना चाहिए जब निवेश की अवधि कम से कम तीन वर्ष की हो।'
इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस)
यह किसी अन्य इक्विटी म्यूचुअल फंड की तरह होती है लेकिन इसमें निवेश पर कर लाभ मिलता है। इसमें एकमुश्त निवेश के साथ ही सिस्टमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के जरिए भी धन लगाया जा सकता है। एसआईपी में आपको प्रतिमाह समान राशि के निवेश के साथ लागत कम करने का फायदा मिलता है। शाह के मुताबिक, 'बाजार की मौजूदा स्थिति में आपको अधिक खरीदारी करने का मौका मिलेगा। अगर एक लाख रुपए की आपकी सीमा समाप्त नहीं हुई है तो ईएलएसएस निवेश का एक अच्छा विकल्प है।'
पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (पीपीएफ)
पीपीएफ में एक वर्ष में न्यूनतम 500 रुपए और अधिकतम 70,000 रुपए का निवेश किया जा सकता है। अन्य इंस्ट्रूमेंट की तरह इसमें प्रतिवर्ष समान राशि के निवेश की जरूरत नहीं होती। आप अपनी सुविधा और जरूरत के अनुसार निवेश कर सकते हैं। वैश्विक मंदी और नकदी के संकट की वजह से इस समय ब्याज दरों में नरमी का दौर चल रहा है और आने वाले समय में दरें और गिरने की उम्मीद है। ऐसे में पीपीएफ में 8 फीसदी सालाना का चक्रवृद्धि रिटर्न इसे निवेश का एक आकर्षक विकल्प बनाता है।
फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी)
बैंकों की सावधि जमा योजना या एफडी कुछ वर्ष पहले तक निवेशकों के बीच काफी लोकप्रिय थी। लेकिन बाद में इक्विटी और अन्य विकल्पों में रिटर्न बढ़ने की वजह से इसे लेकर लोगों की रुचि काफी कम हो गई थी। शेयर बाजारों में भारी गिरावट आने के बाद एफडी में निवेश को काफी पसंद किया जा रहा है। एफडी में पांच वर्ष से अधिक समय के लिए निवेश करने पर ही कर लाभ मिलता है। लेकिन इसमें रिटर्न पर कर चुकाना होता है। बाजार की मौजूदा स्थिति में एफडी की तुलना में पीपीएफ फायदेमंद है क्योंकि पीपीएफ पर रिटर्न कर मुक्त होता है। दोनों ही मामलों में धन कम से कम पांच वर्षों के लिए ब्लॉक हो जाता है। एफडी में आप पांच वर्ष बाद पूरा धन निकाल सकते हैं लेकिन पीपीएफ में जमा रकम का कुछ हिस्सा ही निकालने की सुविधा होती है।
अन्य कर बचत योजनाएं
अन्य इंस्ट्रूमेंट में डाकघर की जमा योजनाएं और डेट म्यूचुअल फंड शामिल हैं। लेकिन इनमें निवेश से पहले आपको आर्थिक हालात पर नजर डालनी चाहिए। पिछले वर्ष की तुलना में आर्थिक हालात काफी बदल गए हैं, ऐसे में अच्छा फायदा कमाने के लिए आपको निवेश की रणनीति भी बदलनी चाहिए। फाइनेंशियल प्लानर्स एंड कंसल्टेंट्स के प्रबंध निदेशक वीर देसाई का कहना है कि मौजूदा हालात में निवेशकों को दो बातों का ध्यान रखना चाहिए। पहली, निवेश की सुरक्षा और दूसरी कि अगर बाजार चढ़ता है तो उन्हें कैसे फायदा मिलेगा। इन दोनों बातों को ध्यान में रखते हुए पीपीएफ में 70,000 रुपए और शेयर बाजार में निवेश के लिए एसआईपी के जरिए बाकी के 30,000 रुपए का निवेश बेहतर रहेगा। इस तरीके से आपको निवेश पर सुरक्षा के साथ ही बाजार की तेजी से लाभ उठाने का मौका भी मिलेगा।
अगले वर्ष आप बाजार की स्थिति के अनुसार चाहें तो अपने पोर्टफोलियो में बदलाव कर सकते हैं। लेकिन एक बात याद रखें कि वर्ष की शुरुआत से ही कर बचाने की योजना पर अमल करना आपके लिए बेहतर नहीं होगा। साल के अंत में जल्दबाजी में निवेश करने से आप नुकसान उठा सकते हैं।
वित्त वर्ष 2008-09 समाप्त हो चुका है और नया वित्त वर्ष आ गया है। वेतनभोगी कर्मचारियों को 2009-10 के वित्त वर्ष के लिए इनवेस्टमेंट डिक्लरेशन का फॉर्म मिल गया होगा। प्रत्येक वर्ष की तरह इस बार भी बहुत से लोग कर की कोई योजना बनाए बगैर इसे भरेंगे और कर बचत के लिए वित्त वर्ष के आखिरी महीने में ही दौड़-भाग करेंगे। स्व रोजगार में लगे लोग अभी इस वर्ष के लिए कर योजना के बारे में बात करना शायद पसंद न करें क्योंकि वे अभी भी पिछले वर्ष की कर देनदारी की गणना करने में व्यस्त होंगे।
पर, क्या आप भी इन्हीं लोगों में से हैं? यदि हां, तो ये आर्टिकल आप ही के लिए लिखा गया है..आगे बढ़ें...
क्यों जरूरी समय से प्लानिंग
अगर आप वर्ष की शुरुआत में कर योजना नहीं बनाते तो वर्ष के अंत में आपको मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है। आमतौर पर वर्ष का अंत नजदीक आने पर लोग कर बचाने के लिए जल्दबाजी में निवेश करते हैं और गलत प्रोडक्ट में निवेश कर बैठते हैं। इस गलती से बचने के लिए अभी से कर योजना बनाना ठीक रहेगा। राइट रिर्टन्स फाइनेंशियल प्लानिंग के देवांग शाह का कहना है, 'एक हजार किलोमीटर की यात्रा पहले कदम के साथ समाप्त नहीं होती लेकिन वह पहला कदम इस लंबी यात्रा को समाप्त करने के लिए जरूरी होता है। इसी तरह हमें संपत्ति बनाने और वित्तीय लक्ष्यों को हासिल करने के लिए वित्तीय योजना की शुरुआत जल्द करनी चाहिए।'
कैसे, आइए हम आपको बताएं। आगे की प्लेट पढ़िए...
कैसे बनाएं कर योजना
इसकी शुरुआत उस रकम की गणना से होती है जिसका भुगतान आप पहले से कर बचाने वाले इंस्ट्रूमेंट में निवेश के तौर पर कर रहे हैं। मान लीजिए आप ऐसे इंस्ट्रूमेंट्स में प्रतिवर्ष 60,000 रुपए का भुगतान कर रहे हैं तो आपको एक लाख रुपए की कर कटौती का लाभ उठाने के लिए 40,000 रुपए का और निवेश करना होगा।
एकॉर्न इनवेस्टमेंट्स के सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर गोविंद पाठक का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति बीमा पॉलिसी के प्रीमियम और प्रॉविडेंट फंड जैसे विकल्पों में निवेश से एक लाख रुपए की सीमा पार कर चुके हैं तो आपको कर बचाने वाले इंस्ट्रूमेंट में और निवेश करने की जरूरत नहीं है। आप अपने वित्तीय लक्ष्यों के अनुसार निवेश कर सकते हैं। लेकिन अगर कर बचाने की सीमा पूरी नहीं हुई है तो आपको यह फैसला करना होगा कि इक्विटी और डेट में आप कितना धन लगाएंगे। संपत्ति के वर्गों में निवेश का आवंटन आपकी जोखिम उठाने की क्षमता पर भी निर्भर करता है। आमतौर पर बुजुर्गों की तुलना में युवा लोग निवेश में जोखिम लेना ज्यादा पसंद करते हैं। इसी वजह से इक्विटी में आवंटन भी उम्र के अनुसार बदलता रहता है। पाठक का कहना है, '30-40 वर्ष के वर्ग में आने वाले लोगों को अपने पोर्टफोलियो का कम से कम 40 फीसदी इक्विटी में लगाना चाहिए। रिटायर हो चुके लोग इक्विटी में लगभग 20-25 फीसदी निवेश कर सकते हैं। इक्विटी में निवेश पर तभी विचार करना चाहिए जब निवेश की अवधि कम से कम तीन वर्ष की हो।'
इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस)
यह किसी अन्य इक्विटी म्यूचुअल फंड की तरह होती है लेकिन इसमें निवेश पर कर लाभ मिलता है। इसमें एकमुश्त निवेश के साथ ही सिस्टमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के जरिए भी धन लगाया जा सकता है। एसआईपी में आपको प्रतिमाह समान राशि के निवेश के साथ लागत कम करने का फायदा मिलता है। शाह के मुताबिक, 'बाजार की मौजूदा स्थिति में आपको अधिक खरीदारी करने का मौका मिलेगा। अगर एक लाख रुपए की आपकी सीमा समाप्त नहीं हुई है तो ईएलएसएस निवेश का एक अच्छा विकल्प है।'
पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (पीपीएफ)
पीपीएफ में एक वर्ष में न्यूनतम 500 रुपए और अधिकतम 70,000 रुपए का निवेश किया जा सकता है। अन्य इंस्ट्रूमेंट की तरह इसमें प्रतिवर्ष समान राशि के निवेश की जरूरत नहीं होती। आप अपनी सुविधा और जरूरत के अनुसार निवेश कर सकते हैं। वैश्विक मंदी और नकदी के संकट की वजह से इस समय ब्याज दरों में नरमी का दौर चल रहा है और आने वाले समय में दरें और गिरने की उम्मीद है। ऐसे में पीपीएफ में 8 फीसदी सालाना का चक्रवृद्धि रिटर्न इसे निवेश का एक आकर्षक विकल्प बनाता है।
फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी)
बैंकों की सावधि जमा योजना या एफडी कुछ वर्ष पहले तक निवेशकों के बीच काफी लोकप्रिय थी। लेकिन बाद में इक्विटी और अन्य विकल्पों में रिटर्न बढ़ने की वजह से इसे लेकर लोगों की रुचि काफी कम हो गई थी। शेयर बाजारों में भारी गिरावट आने के बाद एफडी में निवेश को काफी पसंद किया जा रहा है। एफडी में पांच वर्ष से अधिक समय के लिए निवेश करने पर ही कर लाभ मिलता है। लेकिन इसमें रिटर्न पर कर चुकाना होता है। बाजार की मौजूदा स्थिति में एफडी की तुलना में पीपीएफ फायदेमंद है क्योंकि पीपीएफ पर रिटर्न कर मुक्त होता है। दोनों ही मामलों में धन कम से कम पांच वर्षों के लिए ब्लॉक हो जाता है। एफडी में आप पांच वर्ष बाद पूरा धन निकाल सकते हैं लेकिन पीपीएफ में जमा रकम का कुछ हिस्सा ही निकालने की सुविधा होती है।
अन्य कर बचत योजनाएं
अन्य इंस्ट्रूमेंट में डाकघर की जमा योजनाएं और डेट म्यूचुअल फंड शामिल हैं। लेकिन इनमें निवेश से पहले आपको आर्थिक हालात पर नजर डालनी चाहिए। पिछले वर्ष की तुलना में आर्थिक हालात काफी बदल गए हैं, ऐसे में अच्छा फायदा कमाने के लिए आपको निवेश की रणनीति भी बदलनी चाहिए। फाइनेंशियल प्लानर्स एंड कंसल्टेंट्स के प्रबंध निदेशक वीर देसाई का कहना है कि मौजूदा हालात में निवेशकों को दो बातों का ध्यान रखना चाहिए। पहली, निवेश की सुरक्षा और दूसरी कि अगर बाजार चढ़ता है तो उन्हें कैसे फायदा मिलेगा। इन दोनों बातों को ध्यान में रखते हुए पीपीएफ में 70,000 रुपए और शेयर बाजार में निवेश के लिए एसआईपी के जरिए बाकी के 30,000 रुपए का निवेश बेहतर रहेगा। इस तरीके से आपको निवेश पर सुरक्षा के साथ ही बाजार की तेजी से लाभ उठाने का मौका भी मिलेगा।
अगले वर्ष आप बाजार की स्थिति के अनुसार चाहें तो अपने पोर्टफोलियो में बदलाव कर सकते हैं। लेकिन एक बात याद रखें कि वर्ष की शुरुआत से ही कर बचाने की योजना पर अमल करना आपके लिए बेहतर नहीं होगा। साल के अंत में जल्दबाजी में निवेश करने से आप नुकसान उठा सकते हैं।
No comments:
Post a Comment