Monday, May 18, 2009

ब्रेकआउट क्या होता है?

जब किसी शेयर का भाव ट्रेंड लाइन को ऊपर या नीचे की ओर तोड़ता है, तो उसे ब्रेकआउट कहते हैं। ट्रेंड लाइन को ऊपर की ओर तोड़ने पर यह पॉजिटिव ब्रेकआउट कहलाता है, जबकि नीचे की ओर तोड़ने पर इसे निगेटिव ब्रेकआउट कहते हैं।

ब्रेकआउट का इस्तेमाल आम तौर पर अपने वर्तमान सौदे काटने के लिए और उल्टी पोजिशन बनाने के लिए किया जाता है। जैसे अगर एक ट्रेडर ने रिलायंस में तेजी का सौदा (लॉन्ग) किया है और किसी खास भाव पर उसमें निगेटिव ब्रेकआउट आए, तो यह संकेत है कि ट्रेडर को तेजी का अपना सौदा काट कर मंदी का सौदा (शॉर्ट) कर लेना चाहिए। इसके उलट अगर ट्रेडर ने मंदी का सौदा कर रखा है, तो जैसे ही पॉजिटिव ब्रेकआउट उसे अपना सौदा कवर कर तेजी का सौदा कर लेना चाहिए।



फॉल्स ब्रेकआउट की क्या पहचान क्या है?

बहुत बार पॉजिटिव ब्रेकआउट आने के बाद शेयर वापस ट्रेंड लाइन के नीचे लौट जाता है। इसी तरह निगेटिव ब्रेकआउट भी कई बार गलत साबित होता है। इस तरह के ब्रेकआउट को फॉल्स ब्रेकआउट कहते हैं।

फॉल्स ब्रेकआउट से बचने के लिए ट्रेडरों को चाहिए कि जैसे ही वे ब्रेकआउट के कारण कोई नया सौदा करें, वैसे ही ब्रेकआउट के स्तर को अपना स्टॉपलॉस बना लें। वैसे फॉल्स ब्रेकआउट को पहचानने के लिए वॉल्यूम पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। सही ब्रेकआउट में आम तौर पर शेयर का वॉल्यूम उसके औसत वॉल्यूम से काफी ज्यादा होता है। बगैर वॉल्यूम के आए ब्रेकआउट ज्यादातर फॉल्स होते हैं।

त्रिभुज फॉर्मेशन क्या होता है?

जब किसी शेयर की कीमत लगातार लोअर टॉप और हाइअर बॉटम बनाती है तो इसका ट्रेंड लाइन एक त्रिभुज के आकार का हो जाता है। इसमें ऊपर या नीचे किसी भी तरफ ब्रेकआउट आने की संभावना होती है। यह जरूर है कि किसी भी तरफ आने वाला ब्रेकआउट जोरदार होता है। लेकिन ब्रेकआउट के सही होने के लिए जरूरी है कि वह त्रिभुज की लंबाई के दो-तिहाई हिस्से के अंदर ही आए। अगर यह आखिरी के एक तिहाई हिस्से से आता है, तो इसे सही ब्रेकआउट नहीं माना जाता।

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