मुंबई : सोमवार को बाजार खुलते ही सूचकांकों में आई असाधारण तेजी को देखते हुए अधिकतर निवेशकों की उम्मीदें बढ़ गई हैं। आने वाले समय में बाजार के अच्छा रुख दिखाने की उम्मीद के पीछे बेहतर बुनियादी कारकों का भी हाथ है। अब बाजार पर वैश्विक मंदी के असर को लेकर चिंता पहले के मुकाबले कम हो गई है।
ईटी ने बाजार के रुझान को लेकर ब्रोकरेज और म्यूचुअल फंडों के एक दर्जन वरिष्ठ अधिकारियों पर सर्वे किया। सर्वेक्षण के मुताबिक 2009 के अंत तक बीएसई सेंसेक्स के 15,000-20,000 के दायरे में रहने की उम्मीद है। ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के वाइस-प्रेसिडेंट (इक्विटी) मनीष संथालिया ने कहा, 'बाजार को लेकर हम बहुत आशावान मौजूदा स्तरों पर बाजार में पूंजी का आना शुरू हो गया है। मार्च 2010 तक बाजार में विदेशी निवेश का आंकड़ा 17 अरब डॉलर (2007 में हुआ निवेश) के स्तर को पार कर जाने की संभावना है।' संथालिया के मुताबिक इस साल के अंत तक सेंसेक्स के 16,000-18,000 के दायरे में रहने की संभावना है।
ब्रोकरों का कहना है कि भारतीय बाजार में फिर से विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) में रुचि बढ़ने से आने वाले दिनों में घरेलू बाजार के सूचकांकों में तेजी का रुख बना रहेगा। भारत में इस साल अप्रैल से अभी तक करीब 17,000 करोड़ रुपए का निवेश हो चुका है। विदेशी निवेशकों की सूची में भारत का स्थान कोरिया, जापान, ताईवान और फिलीपींस से ऊपर है। शिनसेई एसेट मैनेजमेंट के सीआईओ एन सेतुरमण अय्यर ने कहा, 'विदेशी निवेशक अब भारतीय बाजार को लेकर पहले के मुकाबले ज्यादा गंभीर हो गए हैं। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि अगले पांच साल के राजनीतिक अनिश्चितता को लेकर चिंता खत्म हो गई है।'
सेतुरमण के मुताबिक सोमवार को घरेलू बाजार में आई तेजी के बाद शेयरों के प्राइस-टू-अर्निंग(पीई) में तीन से चार गुना तक की बढ़ोतरी हुई होगी। उन्होंने कहा, 'यदि आप 2010 में आय के अनुमान को देखें तो आप इतने ऊंचे पीई को जायज नहीं ठहरा सकते। लेकिन यदि आप अगले वित्त वर्ष में आय में 15 फीसदी वृद्धि के अनुमान पर ध्यान दें तो शेयरों का मौजूदा पीई स्तर वाजिब दिखाई देता है। संभवत: यह उन कारणों में से एक है, जिसके चलते विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में लंबी अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं।' सेतुरमण का मानना है कि 2009 के अंत तक हम सेंसेक्स को 17,000-17,500 के दायरे में देख सकते हैं।
ईटी ने बाजार के जिन विशेषज्ञों से बात की है, उनमें से अधिकतर का मानना है कि छोटी अवधि यानी 8-10 कारोबारी सत्रों में बाजार में थोड़ी गिरावट आ सकती है। इस बारे में आम राय यह है कि सितंबर के मध्य तक बाजार में तेजी के ठोस दौर की शुरुआत से पहले अगले दो महीने में बाजार में करीब 1,500 अंक की गिरावट आएंगी। बोनांजा पोर्टफोलियो के फंड मैनेजर अनमोल शेखरी ने कहा, 'बाजार के लिए बजट से पहले और बाद का समय महत्वपूर्ण होगा। हमें उम्मीद है कि सरकार कुछ साहसिक फैसले लेगी। सरकार राजकोषीय घाटे में कमी लाने के उपायों के रूप में व्यक्तिगत और कॉरपोरेट टैक्स की दर में भी बढ़ोतरी कर सकती है।' शेखरी का मानना है कि इस साल के अंत तक सेंसेक्स 14,500 के करीब रहेगा।
ब्रोकरों और फंड मैनेजरों के मुताबिक आने वाले दिनों में निवेशकों की नजरें इफ्रास्ट्रक्चर, रियल्टी, बैंकिंग और बीमा, स्टील और सीमेंट क्षेत्रों पर रहेगी। इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में निवेश में बढ़ोतरी होगी। बैंकिंग और बीमा क्षेत्र में सरकार सुधार की प्रक्रिया आगे बढ़ाएगी।
ईटी ने बाजार के रुझान को लेकर ब्रोकरेज और म्यूचुअल फंडों के एक दर्जन वरिष्ठ अधिकारियों पर सर्वे किया। सर्वेक्षण के मुताबिक 2009 के अंत तक बीएसई सेंसेक्स के 15,000-20,000 के दायरे में रहने की उम्मीद है। ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के वाइस-प्रेसिडेंट (इक्विटी) मनीष संथालिया ने कहा, 'बाजार को लेकर हम बहुत आशावान मौजूदा स्तरों पर बाजार में पूंजी का आना शुरू हो गया है। मार्च 2010 तक बाजार में विदेशी निवेश का आंकड़ा 17 अरब डॉलर (2007 में हुआ निवेश) के स्तर को पार कर जाने की संभावना है।' संथालिया के मुताबिक इस साल के अंत तक सेंसेक्स के 16,000-18,000 के दायरे में रहने की संभावना है।
ब्रोकरों का कहना है कि भारतीय बाजार में फिर से विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) में रुचि बढ़ने से आने वाले दिनों में घरेलू बाजार के सूचकांकों में तेजी का रुख बना रहेगा। भारत में इस साल अप्रैल से अभी तक करीब 17,000 करोड़ रुपए का निवेश हो चुका है। विदेशी निवेशकों की सूची में भारत का स्थान कोरिया, जापान, ताईवान और फिलीपींस से ऊपर है। शिनसेई एसेट मैनेजमेंट के सीआईओ एन सेतुरमण अय्यर ने कहा, 'विदेशी निवेशक अब भारतीय बाजार को लेकर पहले के मुकाबले ज्यादा गंभीर हो गए हैं। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि अगले पांच साल के राजनीतिक अनिश्चितता को लेकर चिंता खत्म हो गई है।'
सेतुरमण के मुताबिक सोमवार को घरेलू बाजार में आई तेजी के बाद शेयरों के प्राइस-टू-अर्निंग(पीई) में तीन से चार गुना तक की बढ़ोतरी हुई होगी। उन्होंने कहा, 'यदि आप 2010 में आय के अनुमान को देखें तो आप इतने ऊंचे पीई को जायज नहीं ठहरा सकते। लेकिन यदि आप अगले वित्त वर्ष में आय में 15 फीसदी वृद्धि के अनुमान पर ध्यान दें तो शेयरों का मौजूदा पीई स्तर वाजिब दिखाई देता है। संभवत: यह उन कारणों में से एक है, जिसके चलते विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में लंबी अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं।' सेतुरमण का मानना है कि 2009 के अंत तक हम सेंसेक्स को 17,000-17,500 के दायरे में देख सकते हैं।
ईटी ने बाजार के जिन विशेषज्ञों से बात की है, उनमें से अधिकतर का मानना है कि छोटी अवधि यानी 8-10 कारोबारी सत्रों में बाजार में थोड़ी गिरावट आ सकती है। इस बारे में आम राय यह है कि सितंबर के मध्य तक बाजार में तेजी के ठोस दौर की शुरुआत से पहले अगले दो महीने में बाजार में करीब 1,500 अंक की गिरावट आएंगी। बोनांजा पोर्टफोलियो के फंड मैनेजर अनमोल शेखरी ने कहा, 'बाजार के लिए बजट से पहले और बाद का समय महत्वपूर्ण होगा। हमें उम्मीद है कि सरकार कुछ साहसिक फैसले लेगी। सरकार राजकोषीय घाटे में कमी लाने के उपायों के रूप में व्यक्तिगत और कॉरपोरेट टैक्स की दर में भी बढ़ोतरी कर सकती है।' शेखरी का मानना है कि इस साल के अंत तक सेंसेक्स 14,500 के करीब रहेगा।
ब्रोकरों और फंड मैनेजरों के मुताबिक आने वाले दिनों में निवेशकों की नजरें इफ्रास्ट्रक्चर, रियल्टी, बैंकिंग और बीमा, स्टील और सीमेंट क्षेत्रों पर रहेगी। इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में निवेश में बढ़ोतरी होगी। बैंकिंग और बीमा क्षेत्र में सरकार सुधार की प्रक्रिया आगे बढ़ाएगी।
-शैलेश मेनन
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