नई दिल्ली- क्या आपको लगता है कि आप जीवन में अपने वित्तीय लक्ष्यों को हासिल कर पाएंगे? अगर आप अपने मित्रों या रिश्तेदारों से यह प्रश्न
पूछेंगे तो उनमें से ज्यादातर का जवाब हां में होगा। लेकिन अगर आप फाइनेंशियल एडवाइजर्स से बात करेंगे तो वे आपको बताएंगे कि अधिकतर लोगों के लिए अपने वित्तीय लक्ष्यों को पाना मुश्किल है, फिर चाहे वह रिटायरमेंट हो या बच्चों की शिक्षा। इसका कारण है उनके पास सही वित्तीय योजना का अभाव।
सर्टिफाइड फाइनांशियल प्लानर अमित त्रिवेदी का कहना है, 'ज्यादातर लोग बिना सोचे-समझे निवेश करते हैं। कई बार उनके दिमाग में लक्ष्य भी होता है लेकिन वे उसे पूरा करने की दिशा में प्रयास नहीं करते। बहुत से लोग नियमित अंतराल पर अपने निवेश की समीक्षा नहीं करते। अगर उन्हें लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त निवेश की जरूरत होती है तो भी वे उसके लिए कुछ नहीं करते।'
उदाहरण के तौर पर कुछ लोगों के पास प्रॉविडेंट फंड, फिक्स्ड डिपॉजिट और म्यूचुअल फंड में निवेश होता है और उन्हें लगता है कि जीवन के बहुत से लक्ष्यों को पूरा करने के लिए ये निवेश पर्याप्त रहेगा। लेकिन ऐसा नहीं होता। इसका कारण यह है कि उन्हें यह नहीं पता होता कि बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए विदेश भेजने में कितना खर्च होगा या उनके पास कितना निवेश होना चाहिए। त्रिवेदी के अनुसार, 'ऐसे लोग मुद्रास्फीति और रिटर्न की दर के वास्तविक आंकड़ों पर ध्यान नहीं देते। उदाहरण के तौर पर पिछले 15 सालों में शिक्षा पर खर्च काफी बढ़ गया है।' यही वजह है कि वित्तीय सलाहकार लक्ष्यों को हासिल करने के लिए एक अच्छी वित्तीय योजना की जरूरत पर जोर देते हैं।
सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर गौरव माशरूवाला का कहना है, 'जीवन में हमारे सामने बहुत सी अप्रत्याशित स्थितियां आ सकती हैं। हमें इनके लिए तैयार रहना चाहिए। इसके लिए पहले से योजना बनाने की जरूरत होती है।' उदाहरण के लिए बच्चों की शिक्षा और रिटायरमेंट जैसे लक्ष्यों के लिए अगर योजना नहीं बनाई जाएगी तो इन्हें पूरा करना मुश्किल होगा।
एक वित्तीय सलाहकार ने अपने एक क्लाइंट का उदाहरण देते हुए बताया, 'मेरे पास एक ऐसे व्यक्ति आए जिन्हें रिटायर हुए कुछ महीने ही बीते थे। वह रिटायरमेंट के लिए काफी पहले से बचत कर रहे थे। लेकिन जब हमने उनकी बचत देखी तो पता चला कि उन्हें अपने खर्चे घटाने की जरूरत है। उन्होंने अपने वेतन के एक बड़े हिस्से की बचत की थी लेकिन बचत का निवेश उन्होंने पीपीएफ और फिक्स्ड डिपॉजिट जैसे सुरक्षित विकल्पों में किया था। इस पर उन्हें साधारण रिटर्न मिला और उनका कोष ज्यादा नहीं बढ़ पाया।' इसका कारण एक वित्तीय योजना का न होना था। अगर उन्होंने वास्तविक स्थिति के अनुसार योजना बनाई होती तो उन्हें इस बात का अनुमान रहता कि रिटायरमेंट के लिए उन्हें कितनी रकम की जरूरत होगी। अगर उन्हें लगता कि कि उनकी रिटायरमेंट की बाद की जरूरतों के लिए पर्याप्त नहीं होगी तो वह बेहतर रिटर्न के लिए इक्विटी में निवेश कर सकते थे।
माशरूवाला का मानना है कि वित्तीय योजना कार चलाकर मंजिल तक पहुंचने जैसी है। उनका कहना है, 'जिस तरह कार के चार टायर होते हैं। उसी तरह जीवन में आमदनी, खर्चे, निवेश और दायित्व जैसी चार बातें बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। इन सभी में सामंजस्य बिठाना पड़ता है।' त्रिवेदी के मुताबिक सही वित्तीय योजना से आपको जीवन में किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने में मदद मिलती है। उन्होंने कहा, 'यह कोई भी समस्या हो सकती है। इसका एक उदाहरण मौजूदा आर्थिक संकट है। अगर आपके पास सही योजना मौजूद है तो आप इससे बेहतर तरीके से निपट सकते हैं।'
पूछेंगे तो उनमें से ज्यादातर का जवाब हां में होगा। लेकिन अगर आप फाइनेंशियल एडवाइजर्स से बात करेंगे तो वे आपको बताएंगे कि अधिकतर लोगों के लिए अपने वित्तीय लक्ष्यों को पाना मुश्किल है, फिर चाहे वह रिटायरमेंट हो या बच्चों की शिक्षा। इसका कारण है उनके पास सही वित्तीय योजना का अभाव।
सर्टिफाइड फाइनांशियल प्लानर अमित त्रिवेदी का कहना है, 'ज्यादातर लोग बिना सोचे-समझे निवेश करते हैं। कई बार उनके दिमाग में लक्ष्य भी होता है लेकिन वे उसे पूरा करने की दिशा में प्रयास नहीं करते। बहुत से लोग नियमित अंतराल पर अपने निवेश की समीक्षा नहीं करते। अगर उन्हें लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त निवेश की जरूरत होती है तो भी वे उसके लिए कुछ नहीं करते।'
उदाहरण के तौर पर कुछ लोगों के पास प्रॉविडेंट फंड, फिक्स्ड डिपॉजिट और म्यूचुअल फंड में निवेश होता है और उन्हें लगता है कि जीवन के बहुत से लक्ष्यों को पूरा करने के लिए ये निवेश पर्याप्त रहेगा। लेकिन ऐसा नहीं होता। इसका कारण यह है कि उन्हें यह नहीं पता होता कि बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए विदेश भेजने में कितना खर्च होगा या उनके पास कितना निवेश होना चाहिए। त्रिवेदी के अनुसार, 'ऐसे लोग मुद्रास्फीति और रिटर्न की दर के वास्तविक आंकड़ों पर ध्यान नहीं देते। उदाहरण के तौर पर पिछले 15 सालों में शिक्षा पर खर्च काफी बढ़ गया है।' यही वजह है कि वित्तीय सलाहकार लक्ष्यों को हासिल करने के लिए एक अच्छी वित्तीय योजना की जरूरत पर जोर देते हैं।
सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर गौरव माशरूवाला का कहना है, 'जीवन में हमारे सामने बहुत सी अप्रत्याशित स्थितियां आ सकती हैं। हमें इनके लिए तैयार रहना चाहिए। इसके लिए पहले से योजना बनाने की जरूरत होती है।' उदाहरण के लिए बच्चों की शिक्षा और रिटायरमेंट जैसे लक्ष्यों के लिए अगर योजना नहीं बनाई जाएगी तो इन्हें पूरा करना मुश्किल होगा।
एक वित्तीय सलाहकार ने अपने एक क्लाइंट का उदाहरण देते हुए बताया, 'मेरे पास एक ऐसे व्यक्ति आए जिन्हें रिटायर हुए कुछ महीने ही बीते थे। वह रिटायरमेंट के लिए काफी पहले से बचत कर रहे थे। लेकिन जब हमने उनकी बचत देखी तो पता चला कि उन्हें अपने खर्चे घटाने की जरूरत है। उन्होंने अपने वेतन के एक बड़े हिस्से की बचत की थी लेकिन बचत का निवेश उन्होंने पीपीएफ और फिक्स्ड डिपॉजिट जैसे सुरक्षित विकल्पों में किया था। इस पर उन्हें साधारण रिटर्न मिला और उनका कोष ज्यादा नहीं बढ़ पाया।' इसका कारण एक वित्तीय योजना का न होना था। अगर उन्होंने वास्तविक स्थिति के अनुसार योजना बनाई होती तो उन्हें इस बात का अनुमान रहता कि रिटायरमेंट के लिए उन्हें कितनी रकम की जरूरत होगी। अगर उन्हें लगता कि कि उनकी रिटायरमेंट की बाद की जरूरतों के लिए पर्याप्त नहीं होगी तो वह बेहतर रिटर्न के लिए इक्विटी में निवेश कर सकते थे।
माशरूवाला का मानना है कि वित्तीय योजना कार चलाकर मंजिल तक पहुंचने जैसी है। उनका कहना है, 'जिस तरह कार के चार टायर होते हैं। उसी तरह जीवन में आमदनी, खर्चे, निवेश और दायित्व जैसी चार बातें बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। इन सभी में सामंजस्य बिठाना पड़ता है।' त्रिवेदी के मुताबिक सही वित्तीय योजना से आपको जीवन में किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने में मदद मिलती है। उन्होंने कहा, 'यह कोई भी समस्या हो सकती है। इसका एक उदाहरण मौजूदा आर्थिक संकट है। अगर आपके पास सही योजना मौजूद है तो आप इससे बेहतर तरीके से निपट सकते हैं।'
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