Wednesday, April 29, 2009

शेयर गिरवी रखने का क्या मतलब है?

शेयर गिरवी रखने का क्या मतलब है?

प्रमोटरों द्वारा शेयर गिरवी रखने का चलन देश में नया तो नहीं है, लेकिन सत्यम घोटाले के बाद यह चर्चा का गरमागरम मुद्दा बन गया है। आमतौर पर प्रमोटर निजी या कंपनी की जरूरत पूरी करने के लिए कंपनी में अपने शेयर किसी वित्तीय संस्थान के पास गिरवी रखते हैं। गौरतलब है कि ऐसे लोन देने में गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थान यानी एनबीएफसी बैंकों से ज्यादा आगे रहते हैं।

प्रमोटर कंपनी के शेयर गिरवी क्यों रखते हैं?

इसकी कई वजह हो सकती है। यह काम व्यक्तिगत कारणों या कारोबार के लिए विस्तार के लिए किया जा सकता है। कभी कभार प्रमोटर वारंट को शेयर में तब्दील करने के लिए अपने शेयर गिरवी रखते हैं। उदाहरण के लिए, हाल ही में केएस ऑयल ने वारंट को शेयर में तब्दील करने के लिए 50 करोड़ रुपए का कर्ज लिया।

हो सकता है कि उसे मंदी के मौजूदा बाजार में शेयरों की खरीदारी का सुनहरा मौका नजर आ रहा हो। ऐसे में खुले बाजार से शेयरों की खरीदारी के वास्ते रकम जुटाने के लिए वे यह रास्ता अपना सकते हैं।

इसकी जानकारी सार्वजनिक करने के क्या नियम हैं?

अमेरिका जैसे विकसित देशों में प्रमोटर ही नहीं कंपनी के निदेशकों को भी शेयर गिरवी रखने की सूचना देनी पड़ती है और ब्रिटेन में यह इनसाइडर ट्रेडिंग संबंधी नियमों के दायरे में आता है। सत्यम घोटाले के बाद पूंजी बाजार नियामक सेबी ने प्रमोटरों और प्रमोटर समूह के लिए सूचीबद्ध कंपनियों के शेयर गिरवी रखने की सूचना सार्वजनिक करना अनिवार्य कर दिया है।

इस नियम के हिसाब से जब कभी शेयर गिरवी रखे जाएं, तब तो इसकी प्रमोटर जानकारी दें ही, साथ ही इसकी सूचना नियमित रूप से भी सार्वजनिक करें। इसके अलावा प्रमोटरों को शेयर गिरवी रखने का ब्योरा उस स्टॉक एक्सचेंज को भी देना होगा जिनमें वह सूचीबद्ध हो।

इसमें प्रमोटरों को क्या जोखिम होता है?

हम पहले ही इस बात का जिक्र कर चुके है, बैंकर या फाइनेंसर शेयर गिरवी रखकर लोन देते हैं। इसलिए जब शेयरों का बाजार भाव गिरकर एक निश्चित स्तर तक आ जाता है, तब प्रमोटर को अतिरिक्त रकम का भुगतान करना होता है। अगर वह ऐसा नहीं कर पाता है तो उसे कुछ और शेयर गिरवी रखना पड़ेगा।

अगर प्रमोटर कुछ भी नहीं कर पाता है तो बैंकर या वित्तीय कंपनी गिरवी रखे गए शेयर बाजार में बेच सकता है। उसे ऐसा करने का पूरा अधिकार होगा। इसके अलावा जिस कंपनी के शेयर गिरवी रखे गए हैं उस पर जबरिया अधिग्रहण का खतरा हमेशा बना रहता है।

इससे कंपनी के निवेशकों के बीच क्या संदेश जाता है?

अगर प्रमोटर ने कंपनी के कारोबार में विस्तार के लिए शेयर गिरवी रखकर बाजार से रकम जुटाई है तो यह निवेशकों के लिए सकारात्मक है। अगर प्रमोटर ने किसी निजी काम के लिए पूंजी जुटाने के मकसद से शेयर गिरवी रखे हैं तो इसका सेंटीमेंट पर नकारात्मक असर होगा। अगर प्रमोटर ने ऐसा कंपनी की कारोबारी स्थिति बेहतर बनाने के लिए किया गया है, तो समझ लीजिए कि कंपनी को लिक्विटिडी की समस्या है।

सामान्य शेयरधारकों और प्रमोटरों के शेयर गिरवी रखने के बीच क्या अंतर है?

बैंक और वित्तीय संस्थान शेयर गिरवी रखकर लोन देते हैं। इस लोन के लिए शेयरधारकों को लेंडर के पास शेयर गिरवी रखना पड़ता है। लेकिन प्रमोटरों से उलट छोटे शेयरधारकों को शेयर गिरवी रखने की बात का खुलासा करने की जरूरत नहीं होती है। निवेशकों को लोन लेने के लिए शेयर के प्रमाणपत्र को बैंक के पास गिरवी रखना पड़ता है।
-आनंद रवानी

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