Monday, April 6, 2009

इक्विटी निवेशकों के लिए क्यों महत्वपूर्ण होते हैं तिमाही नतीजे?

कंपनियों के तिमाही नतीजे घोषित करने का समय फिर आ गया है। इस बार जनवरी से मार्च की चौथी तिमाही का बही-खाता पेश किया जाएगा। इस वित्त वर्ष की तीन तिमाहियां बीत चुकी हैं और इस बार के नतीजे 2008-09 में मंदी के दौरान कंपनियों की आर्थिक स्थिति का लेखा-जोखा होंगे। विश्लेषक और निवेशक इनकी बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहे हैं क्योंकि कॉरपोरेट जगत पर मंदी के असर की जानकारी इनसे मिलेगी। इसके साथ ही यह भी पता चलेगा कि चुनौती के समय में प्रबंधन ने कितनी कुशलता से कारोबार को आगे बढ़ाया है।

क्या होते हैं तिमाही नतीजे?

तिमाही नतीजों के जरिए कंपनियां तीन महीनों के अपने प्रदर्शन की रिपोर्ट पेश करती हैं। स्टॉक एक्सचेंजों के साथ लिस्टिंग समझौते के तहत नतीजों की घोषणा करना कंपनियों के लिए जरूरी होता है। ये नतीजे जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर में सार्वजनिक किए जाते हैं।

तिमाही आमदनी की घोषणाओं में आमतौर पर गैर ऑडिटेड वित्तीय नतीजे, तिमाही में कारोबार की स्थितियां और भविष्य में कारोबारी संभावनाओं का जिक्र होता है। आमदनी की रिपोर्ट में शुद्ध आय, प्रति शेयर आय, जारी कारोबार से आमदनी और शुद्ध बिक्री जैसी मद शामिल होती हैं। इससे कंपनी की वित्तीय स्थिति और कारोबारी माहौल को समझने में मदद मिलती है।

अगली तिमाहियों के अनुमान

कुछ कंपनियां इन नतीजों के साथ भविष्य के लिए अपने अनुमान भी जाहिर करती हैं। इन्हें गाइडेंस कहा जाता है। यह अगली तिमाही और वित्त वर्ष के लिए कारोबार के बारे में प्रबंधन का अनुमान होता है। कंपनी से वित्तीय उम्मीदें तय करने के लिए गाइडेंस हत्वपूर्ण होती है। अगर कंपनी की पिछली गाइडेंस और तिमाही नतीजे मेल खाते हैं तो इससे प्रबंधन की कुशलता का पता चलता है। अगर कंपनी के अनुमान और उसके नतीजों में बड़ा अंतर होता है तो इसका मतलब है कि प्रबंधन पर आप आगे भी ज्यादा भरोसा नहीं कर सकते। इन्हीं अनुमानों के आधार पर छोटी अवधि के निवेशक कई बार किसी कंपनी के शेयर खरीदने या बेचने का फैसला भी करते हैं।

कंपनी के प्रदर्शन का अक्स

तिमाही नतीजे कंपनी के प्रदर्शन का बड़ा संकेत देते हैं। इसी वजह से विश्लेषक और निवेशक इनका इंतजार करते हैं। आमतौर पर विश्लेषक अनुमानों के आधार पर अपनी उम्मीदें जाहिर करते हैं। इन सभी अनुमानों को मिलाकर कंपनी के प्रदर्शन को देखा जाता है। सच्चाई यह है कि आमदनी का अनुमान लगाना बहुत मुश्किल होता है। कंपनी की आय को लेकर ब्रोकरेज हाउस के अनुमान हकीकत से कुछ अधिक हो सकते हैं। कंपनियों के लिए खुद भी इनकी सही भविष्यवाणी करना आसान नहीं होता।

नतीजों के सीजन के लिए निवेश की रणनीति

कंपनियों के नतीजे आने के साथ ही उनके शेयर के दाम पर भी इनका असर दिखने लगता है। अगर नतीजे उम्मीद से बेहतर रहते हैं तो शेयर की कीमत चढ़ती है लेकिन अगर ये अनुमानों से कम या करीब रहते हैं तो इनमें गिरावट भी आ सकती है। अगर किसी कंपनी के आंकड़े लगातार कई तिमाहियों तक उम्मीद से कम रहते हैं तो हो सकता है कि कंपनी समस्याओं का सामना कर रही हो। छोटी अवधि के निवेशक तिमाही नतीजों के आधार पर निवेश की रणनीति तैयार कर सकते हैं।

लंबी अवधि के निवेशक इन्हें देखकर यह अंदाजा लगा सकते हैं कि उनकी कंपनी कैसा कारोबार कर रही है। किसी शेयर को आंकने के लिए उसके पिछले नतीजों को देखना भी जरूरी होता है। अगर प्रबंधन ने वित्त वर्ष की अपनी कारोबारी योजना का खुलासा पहले ही कर दिया है तो तिमाही नतीजों से निवेशक को यह पता चलता है कि योजना किस दिशा में और कितनी गति से बढ़ रही है। निवेशकों को यह भी देखना चाहिए कि कहीं कंपनी ने आंकड़ों में कोई हेरफेर तो नहीं की है। उदाहरण के लिए कोई कंपनी मौजूदा तिमाही की आमदनी को जोड़कर उससे जुड़े खर्चों को अगली तिमाही में दिखाने के साथ अपना अधिक मुनाफा दिखाने की कोशिश कर सकती है। इसके अलावा वह अनुमानों पर पूरा उतरने के लिए तिमाही के अंत में उत्पादों को कम दाम पर भी बेच सकती है। ऐसा होने से कंपनी के वास्तविक प्रदर्शन का संकेत मिल पाना बहुत मुश्किल हो जाता है।

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