मुंबई : बुजुर्गवार और चिकित्सा जांच से गुजर रहे लोगों को अब अपनी स्वास्थ्य बीमा योजनाएं रिन्यू कराने में आसानी होगी। अदालत के आदेशों और विभिन्न समितियों की सिफारिशों पर प्रतिक्रिया देते हुए बीमा नियामक इरडा ने हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी रिन्यू कराने के नियम बदल दिए हैं।
नए नियमों के मुताबिक किसी भी बीमा कंपनी के लिए हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को रिन्यू करना जरूरी है, भले ही व्यक्ति विशेष ने कितने भी क्लेम क्यों न किए हों। इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि बीमा कंपनियों को अब रिन्युअल की तारीख से 15 दिन की छूट देनी होगी और पहले से मौजूद बीमारियों के लिए कवरेज के फायदे जारी रखने होंगे। स्वास्थ्य बीमा कंपनियों के खिलाफ इस बारे में काफी शिकायत होती रही है कि अगर पॉलिसी को रिन्यू कराने में एक दिन की देर भी हो जाती है तो वे बुजुर्ग और इलाज करा रहे लोगों की पॉलिसी रिन्यू करने से बचने की कोशिश करती हैं।
सभी गैर जीवन बीमा कंपनियों को जारी सर्कुलर में बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा)ने कहा कि स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी को हर हाल में रिन्यू किया जाना चाहिए। अगर पॉलिसीधारक फर्जीवाड़ा करता है या झूठ बोलता है तो बात और है। सर्कुलर में कहा गया है, 'विशेष रूप से रिन्युअल के लिए इस आधार पर इनकार नहीं किया जाना चाहिए कि पॉलिसीधारक ने बीते सालों में एक या उससे ज्यादा क्लेम किए हैं।'
निर्देशों में यह भी कहा गया है कि सभी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों में ऐसा प्रावधान शामिल होना चाहिए जो 15 दिन तक की देरी पर रियायत देने का इंतजाम करे ताकि बीमा पॉलिसी लेने वाला व्यक्ति वेटिंग पीरियड और पहले से मौजूद बीमारियों की कवरेज जैसे निरंतर जारी रहने वाले बेनेफिट के मामले में लगातार कवरेज हासिल करे।
अब तक ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिनमें बीमा कंपनियों ने पॉलिसी जारी रहने के बीच आने वाले ब्रेक को रिन्यू की दरख्वास्त खारिज करने के बहाने के तौर पर इस्तेमाल किया। ऐसे मामलों में प्रस्तावक मुश्किल में फंस जाता है क्योंकि कोई भी दूसरी बीमा कंपनी उन बीमारियों के लिए कवरेज नहीं देती जिसके लिए दूसरी बीमा कंपनी क्लेम का भुगतान कर चुकी हो।
युवा प्रस्तावक को कुछ मोर्चा पर नुकसान उठाकर भले कवर मिल जाए लेकिन 70 साल से ज्यादा उम्र के लोगों पर सबसे ज्यादा मार पड़ती है। कोई भी बीमा कंपनी 70 साल से ज्यादा उम्र के वरिष्ठ नागरिक की ओर से नया प्रस्ताव स्वीकार नहीं करती। विशेष स्कीम के तहत होने पर मामला दूसरा है। इरडा के निर्देश उन लोगों को सुरक्षा मुहैया कराएंगे जो रिन्यू के आवेदन खारिज होने के मामले में सबसे ज्यादा बुरी स्थिति में हैं।
इसलिए, कंपनियों को इस बात का खुलासा करना होगा कि वे अधिकतम किस उम्र तक रिन्युअल उपलब्ध कराएंगी। उन्हें यह भी बताना होगा कि उम्र के हिसाब से उनके प्रीमियम का भुगतान किस तरह बढ़ेगा। रिन्युअल के नियमों में प्रक्रिया और कवर के दायरे की जानकारी होनी चाहिए। रिन्युअल पर निर्देशों से अलग नियामक संस्था ने स्वास्थ्य बीमा पर पारदर्शिता का स्तर भी बढ़ाया है। अगर रिन्युअल का प्रीमियम मौजूदा प्रीमियम से ज्यादा मांगा जाता है तो बीमा कंपनी को इस बढ़ोतरी के कारणों का उल्लेख करते हुए नोट देना होगा।
नए नियमों के मुताबिक किसी भी बीमा कंपनी के लिए हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को रिन्यू करना जरूरी है, भले ही व्यक्ति विशेष ने कितने भी क्लेम क्यों न किए हों। इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि बीमा कंपनियों को अब रिन्युअल की तारीख से 15 दिन की छूट देनी होगी और पहले से मौजूद बीमारियों के लिए कवरेज के फायदे जारी रखने होंगे। स्वास्थ्य बीमा कंपनियों के खिलाफ इस बारे में काफी शिकायत होती रही है कि अगर पॉलिसी को रिन्यू कराने में एक दिन की देर भी हो जाती है तो वे बुजुर्ग और इलाज करा रहे लोगों की पॉलिसी रिन्यू करने से बचने की कोशिश करती हैं।
सभी गैर जीवन बीमा कंपनियों को जारी सर्कुलर में बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा)ने कहा कि स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी को हर हाल में रिन्यू किया जाना चाहिए। अगर पॉलिसीधारक फर्जीवाड़ा करता है या झूठ बोलता है तो बात और है। सर्कुलर में कहा गया है, 'विशेष रूप से रिन्युअल के लिए इस आधार पर इनकार नहीं किया जाना चाहिए कि पॉलिसीधारक ने बीते सालों में एक या उससे ज्यादा क्लेम किए हैं।'
निर्देशों में यह भी कहा गया है कि सभी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों में ऐसा प्रावधान शामिल होना चाहिए जो 15 दिन तक की देरी पर रियायत देने का इंतजाम करे ताकि बीमा पॉलिसी लेने वाला व्यक्ति वेटिंग पीरियड और पहले से मौजूद बीमारियों की कवरेज जैसे निरंतर जारी रहने वाले बेनेफिट के मामले में लगातार कवरेज हासिल करे।
अब तक ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिनमें बीमा कंपनियों ने पॉलिसी जारी रहने के बीच आने वाले ब्रेक को रिन्यू की दरख्वास्त खारिज करने के बहाने के तौर पर इस्तेमाल किया। ऐसे मामलों में प्रस्तावक मुश्किल में फंस जाता है क्योंकि कोई भी दूसरी बीमा कंपनी उन बीमारियों के लिए कवरेज नहीं देती जिसके लिए दूसरी बीमा कंपनी क्लेम का भुगतान कर चुकी हो।
युवा प्रस्तावक को कुछ मोर्चा पर नुकसान उठाकर भले कवर मिल जाए लेकिन 70 साल से ज्यादा उम्र के लोगों पर सबसे ज्यादा मार पड़ती है। कोई भी बीमा कंपनी 70 साल से ज्यादा उम्र के वरिष्ठ नागरिक की ओर से नया प्रस्ताव स्वीकार नहीं करती। विशेष स्कीम के तहत होने पर मामला दूसरा है। इरडा के निर्देश उन लोगों को सुरक्षा मुहैया कराएंगे जो रिन्यू के आवेदन खारिज होने के मामले में सबसे ज्यादा बुरी स्थिति में हैं।
इसलिए, कंपनियों को इस बात का खुलासा करना होगा कि वे अधिकतम किस उम्र तक रिन्युअल उपलब्ध कराएंगी। उन्हें यह भी बताना होगा कि उम्र के हिसाब से उनके प्रीमियम का भुगतान किस तरह बढ़ेगा। रिन्युअल के नियमों में प्रक्रिया और कवर के दायरे की जानकारी होनी चाहिए। रिन्युअल पर निर्देशों से अलग नियामक संस्था ने स्वास्थ्य बीमा पर पारदर्शिता का स्तर भी बढ़ाया है। अगर रिन्युअल का प्रीमियम मौजूदा प्रीमियम से ज्यादा मांगा जाता है तो बीमा कंपनी को इस बढ़ोतरी के कारणों का उल्लेख करते हुए नोट देना होगा।
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