यूं तो डेट हमेशा से निवेशकों के लिए प्रासंगिक रहा है, लेकिन बीते एक साल में उसके प्रदर्शन ने कई लोगों को अपनी ओर खींचा है। पिछले 12-14 महीने में इक्विटी के हल्के प्रदर्शन ने डेट को और मजबूत बनाया है क्योंकि शेयर बाजारों की कमजोरी ने बीते कुछ वर्षों के बेहतरीन प्रदर्शन को एक झटके में बेकार साबित कर दिया है। डेट पूंजी की सुरक्षा और तय रिटर्न की सहूलियत देता है, लेकिन वास्तविक अर्थों में सभी डेट विकल्प सुरक्षित नहीं होते। अगर उत्पाद का चयन गलत हो जाए तो डेट आपकी जेब को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए सही डेट उत्पाद का चुनाव करना सही शेयर का चयन करने की तरह होता है और कई मामलों में इससे भी ज्यादा मुश्किल होता है। दिलचस्प है कि कई लोगों के लिए चुनने के बजाय यह चुनौती बन जाता है कि डेट में कब रकम आवंटित की जानी चाहिए। इक्विटी का बुरा प्रदर्शन यूं तो सभी को डेट की राह पकड़ने पर मजबूर कर देता है, लेकिन जब निवेशक संपत्ति आवंटन की ओर बढ़ता है तो जरूरी नहीं कि ऐसा ही हो। अगर आप फाइनेंशियल प्लानिंग के सिद्धांतों के मुताबिक चलें तो देखेंगे कि निवेशकों की सभी श्रेणियों के लिए डेट अभिन्न हिस्सा होता है हालांकि इसके आवंटन का प्रतिशत निवेशक की उम्र और जरूरतों के हिसाब से अलग-अलग हो सकता है। मसलन, आमदनी के सीमित स्त्रोत रखने वाले कुछ युवा निवेशक ऐसे होते हैं जिन्हें मासिक या सालाना आधार पर वित्तीय प्रतिबद्धताएं पूरी करनी होती हैं। वे उम्र के मोर्चे पर बेहतर स्थिति में होने के बावजूद इक्विटी में पैसा लगाने की आजादी नहीं रखते। ज्यादातर निवेशकों के लिए मुनाफे और पूंजी की सुरक्षा तथा एसेट आवंटन जैसे कारणों के चलते डेट आवश्यक बन जाता है। ऐसे निवेशकों के पास आर्थिक हालात के मुताबिक डेट में निवेश की जाने वाली रकम का अनुपात बदलने की सहूलियत रहती है। मसलन, पिछले 12 महीनों में कई बड़े निवेशकों ने आर्थिक हालात पर अनिश्चिय की स्थिति की वजह से इक्विटी की राह पकड़ने के बजाय डेट का दामन थामना बेहतर समझा। दिलचस्प है कि इस समुदाय से ताल्लुक रखने वाले कई निवेशकों ने दिसंबर 2007 में ही डेट के विकल्प पर गौर करना शुरू कर दिया था जब इक्विटी बाजारों में गजब की तेजी जारी थी। इन निवेशकों की दलील थी कि 3-4 साल की तेजी के बाद निवेशकों को मुनाफा बचाने के लिए डेट की ओर लौटना होगा। कुछ के लिए रफ्तार पकड़ती महंगाई दर और ब्याज दर पोर्टफोलियो में डेट की अहमियत बढ़ाने के संकेत थे। वास्तव में 2007 के मध्य में आयोजित एक सम्मेलन में एक शीर्ष बीमा कंपनी के फंड मैनेजर ने कहा था कि जब निवेशक इक्विटी के पीछे दौड़ रहे हैं, तो उनका फंड डेट, खास तौर से गिल्ट और इनकम फंड में आवंटन बढ़ा रहा है। इन दोनों उत्पादों का प्रदर्शन सभी के सामने है और दुर्भाग्य से मौजूदा स्तरों पर डेट के लिए भी अब भी भागदौड़ जारी है। जो लोग पोर्टफोलियो से ज्यादा रिटर्न के लिए डेट पर गौर कर रहे हैं, उन्हें 12 से 15 महीने की निवेश अवधि के साथ गिल्ट और इनकम फंड जैसे उत्पादों का विकल्प चुनना चाहिए क्योंकि दरों में कटौती का दौर खत्म होने के बाद इन स्कीम से मिलने वाला रिटर्न अपनी चमक खोना शुरू कर देगा। इसके उलट लंबी अवधि के लिए पैसा लगाने वाले निवेशकों को कंपनियों की ओर से फिक्स्ड डिपॉजिट जैसे तय रिटर्न देने वाले उत्पाद चुनने चाहिए जो 10 फीसदी या उससे ज्यादा रिटर्न दे रहे हैं। हालांकि डिपॉजिट में पैसा डालते वक्त आपको टैक्स से जुड़े विषय पर भी गौर करना चाहिए जो यील्ड कम कर सकता है।
-श्रीकला भाष्यम
-श्रीकला भाष्यम
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