दो अलग-अलग बाजार में किसी फाइनेंशियल प्रोडक्ट की कीमत के बीच के अंतर का फायदा उठाने की रणनीति आर्बिट्राज कहलाती है। इसमें आर्बिट्राज करने वाला व्यक्ति या संस्थान यानी आबिर्ट्राजर एक बाजार में कम दाम पर उत्पाद खरीदकर तुरंत दूसरे बाजार में ऊंची कीमत पर बेचता है। माना कि कोई आबिर्ट्राजर हाजिर बाजार में 10 रुपए की दर से किसी कंपनी के 100 शेयर खरीदता है और वायदा बाजार में 10.10 रुपए की दर से बेच देता है। इस सौदे में लेनदेन की लागत नहीं आती है, ऐसा मान लिए जाने पर आर्बिट्राज करने वाले को कुल 10 रुपए का लाभ होता है।
क्या है इसकी बुनियादी शर्तें?
हर सामान की एक कीमत का सिद्धांत लागू होने पर आर्बिट्राज मुमकिन नहीं। यानी कि आर्बिट्राज का अवसर तभी बनेगा जब कीमत में अंतर होगा। आर्बिट्राज के लिए प्रोडक्ट का किसी समय अलग-अलग भाव होना जरूरी है। आर्बिट्राजर कई बार एक जैसे कैश फ्लो वाले अलग-अलग प्रोडक्ट का इस्तेमाल करते हैं। इस रणनीति से ये फाइनेंशियल प्रोडक्ट के हाजिर और वायदा बाजार में कीमत के बीच अंतर का भी फायदा उठाते हैं। इसमें प्रोडक्ट का हाजिर भाव वायदा मूल्य और उसके कॉस्ट ऑफ कैरी से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
कितने तरह के होते हैं आर्बिट्राज?
आर्बिट्राज करने के कई तरीके होते हैं जैसे-मर्जर आर्बिट्राज, कनवटिर्बल बॉन्ड आर्बिट्राज और रिवर्स आर्बिट्राज। मर्जर आर्बिट्राज में जिस कंपनी का अधिग्रहण होना है उसके शेयरों में तेजी और जो अधिग्रहण करने वाली है, उसमें मंदी का सौदा किया जाता है। इसमें आर्बिट्राजर अधिग्रहीत होने वाली कंपनी के शेयरों के बाजार भाव और अधिग्रहण करने वाली कंपनी के पेशकश मूल्य के बीच के अंतर यानी स्प्रेड में खेलता है। आमतौर पर फाइनेंशियल प्रोडक्ट का वायदा भाव हाजिर भाव से ज्यादा होता है। लेकिन कभी-कभार वायदा भाव हाजिर से नीचे आ जाता है तो आर्बिट्राजर को कमाई करने का मौका मिल जाता है। वे हाजिर बाजार में प्रोडक्ट को बेचकर उसे वायदा बाजार में खरीद लेते हैं। यह रिवर्स आर्बिट्राज कहलाता है।
आर्बिट्राजर में क्या जोखिम होते हैं?
आमतौर पर आर्बिट्राजर में जोखिम कम होता है लेकिन कुछ घटनाएं नुकसान का खतरा बढ़ा सकती हैं। उदाहरण के लिए, कोई आर्बिट्राजर मर्जर आर्बिट्राजर में पोजीशन लेता है लेकिन विलय नहीं हो पाता है। ऐसे में आर्बिट्राजर का काफी बड़ा नुकसान हो सकता है। आर्बिट्राजर में एक एक्सचेंज से कम भाव पर शेयर खरीद कर दूसरे में ऊंचे दाम पर बेचा जाता है। लेकिन शेयरों की कीमत में अंतर काफी समय के लिए रहता है। अगर कोई निवेशक एक ही समय में खरीदारी और बिकवाली न करे तो उसे नुकसान होने का खतरा पैदा हो जाता है।
वर्तमान स्थिति क्या है?
पिछले एक साल से निवेशक उन फाइनेंशियल प्रोडक्ट में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं जिनमें अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार में अत्यधिक अनिश्चय की स्थिति होने से जोखिम अपेक्षाकृत कम है। कुछ समय से आर्बिट्राज फंड में भी अच्छा खासा निवेश हो रहा है और ये बेहतर प्रदर्शन भी कर रहे हैं। कुल मिलाकर आर्बिट्राज फंडों ने सेंसेक्स को भी पछाड़ दिया है। पिछले एक साल में सेंसेक्स 40 फीसदी कमजोर हुआ है। लेकिन ज्यादातर आर्बिट्राज फंडों ने इस दौरान 6 से 10 फीसदी का रिटर्न दिया है। पिछले एक साल में यूटीआई स्प्रेड फंड-ग्रोथ 9.68 फीसदी और एचडीएफसी आर्बिट्राज फंड-आईपी-ग्रोथ 7.68 फीसदी बढ़ा है।
क्या है इसकी बुनियादी शर्तें?
हर सामान की एक कीमत का सिद्धांत लागू होने पर आर्बिट्राज मुमकिन नहीं। यानी कि आर्बिट्राज का अवसर तभी बनेगा जब कीमत में अंतर होगा। आर्बिट्राज के लिए प्रोडक्ट का किसी समय अलग-अलग भाव होना जरूरी है। आर्बिट्राजर कई बार एक जैसे कैश फ्लो वाले अलग-अलग प्रोडक्ट का इस्तेमाल करते हैं। इस रणनीति से ये फाइनेंशियल प्रोडक्ट के हाजिर और वायदा बाजार में कीमत के बीच अंतर का भी फायदा उठाते हैं। इसमें प्रोडक्ट का हाजिर भाव वायदा मूल्य और उसके कॉस्ट ऑफ कैरी से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
कितने तरह के होते हैं आर्बिट्राज?
आर्बिट्राज करने के कई तरीके होते हैं जैसे-मर्जर आर्बिट्राज, कनवटिर्बल बॉन्ड आर्बिट्राज और रिवर्स आर्बिट्राज। मर्जर आर्बिट्राज में जिस कंपनी का अधिग्रहण होना है उसके शेयरों में तेजी और जो अधिग्रहण करने वाली है, उसमें मंदी का सौदा किया जाता है। इसमें आर्बिट्राजर अधिग्रहीत होने वाली कंपनी के शेयरों के बाजार भाव और अधिग्रहण करने वाली कंपनी के पेशकश मूल्य के बीच के अंतर यानी स्प्रेड में खेलता है। आमतौर पर फाइनेंशियल प्रोडक्ट का वायदा भाव हाजिर भाव से ज्यादा होता है। लेकिन कभी-कभार वायदा भाव हाजिर से नीचे आ जाता है तो आर्बिट्राजर को कमाई करने का मौका मिल जाता है। वे हाजिर बाजार में प्रोडक्ट को बेचकर उसे वायदा बाजार में खरीद लेते हैं। यह रिवर्स आर्बिट्राज कहलाता है।
आर्बिट्राजर में क्या जोखिम होते हैं?
आमतौर पर आर्बिट्राजर में जोखिम कम होता है लेकिन कुछ घटनाएं नुकसान का खतरा बढ़ा सकती हैं। उदाहरण के लिए, कोई आर्बिट्राजर मर्जर आर्बिट्राजर में पोजीशन लेता है लेकिन विलय नहीं हो पाता है। ऐसे में आर्बिट्राजर का काफी बड़ा नुकसान हो सकता है। आर्बिट्राजर में एक एक्सचेंज से कम भाव पर शेयर खरीद कर दूसरे में ऊंचे दाम पर बेचा जाता है। लेकिन शेयरों की कीमत में अंतर काफी समय के लिए रहता है। अगर कोई निवेशक एक ही समय में खरीदारी और बिकवाली न करे तो उसे नुकसान होने का खतरा पैदा हो जाता है।
वर्तमान स्थिति क्या है?
पिछले एक साल से निवेशक उन फाइनेंशियल प्रोडक्ट में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं जिनमें अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार में अत्यधिक अनिश्चय की स्थिति होने से जोखिम अपेक्षाकृत कम है। कुछ समय से आर्बिट्राज फंड में भी अच्छा खासा निवेश हो रहा है और ये बेहतर प्रदर्शन भी कर रहे हैं। कुल मिलाकर आर्बिट्राज फंडों ने सेंसेक्स को भी पछाड़ दिया है। पिछले एक साल में सेंसेक्स 40 फीसदी कमजोर हुआ है। लेकिन ज्यादातर आर्बिट्राज फंडों ने इस दौरान 6 से 10 फीसदी का रिटर्न दिया है। पिछले एक साल में यूटीआई स्प्रेड फंड-ग्रोथ 9.68 फीसदी और एचडीएफसी आर्बिट्राज फंड-आईपी-ग्रोथ 7.68 फीसदी बढ़ा है।
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