मुंबई - निवेशक पिछले काफी समय से चौथी तिमाही के नतीजों का इंतजार कर रहे थे। नतीजों का दौर शुरू हो चुका है और सेंसेक्स पर इसका नकारात्मक असर नहीं पड़ा है। बहुत से लोगों का मानना है कि निवेशकों को चिंता में डालने वाले नकारात्मक समाचार बहुत अधिक नहीं हैं। इसके बावजूद ब्रोकर और एनालिस्ट निवेशकों को सतर्कता बरतने की सलाह दे रहे हैं क्योंकि जमीनी स्तर पर अर्थव्यवस्था की स्थिति अभी उत्साहजनक नहीं है।
आईटी कंपनियों ने भी चौथी तिमाही के नतीजों के साथ गाइडेंस में कहा है कि आगामी दो तिमाहियां चुनौतीपूर्ण रह सकती हैं। इसे देखते हुए बहुत से लोगों को बाजार में तेजी चौंका रही है। मौजूदा रैली के पीछे एक बड़ा कारण विदेशी संस्थागत निवेशकों ( एफआईआई ) की खरीदारी है। तेजी चुनिंदा शेयरों तक ही सिमटी है। छोटे निवेशक अभी भी बाजार से दूर बनाए हुए हैं। इसका एक बड़ा कारण नई सरकार को लेकर राजनीतिक अनिश्चितता भी है। इसके अलावा बाजार में कारोबार का वॉल्यूम कम होना भी उन्हें चिंता में डाल रहा है।
बाजार के मार्च - अप्रैल के दौरान खराब वित्तीय नतीजों की आशंका से गिरने की आशंका जताई जा रही थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ और इसके उलट बाजार में प्रत्येक गिरावट के बाद अच्छा उछाल देखा गया है। मौजूदा रैली के बावजूद निवेशकों को संभल कर आगे बढ़ने की जरूरत है क्योंकि गिरावट का एक और बड़ा दौर आने का अनुमान है।
गिरावट के समय के बारे में कोई भी निश्चित नहीं है लेकिन इसके पक्ष में बहुत से कारण नजर आ रहे हैं। लघु अवधि में आम चुनाव के नतीजे और तिमाही प्रदर्शन बाजार को नीचे ला सकते हैं। बहुत से लोग यह दलील दे सकते हैं कि बाजार में इन दोनों कारणों का असर देखा जा चुका है लेकिन आर्थिक रफ्तार धीमी पड़ने का वास्तविक प्रभाव अगली 2-3 तिमाहियों में ही नजर आएगा। इसे देखते हुए निवेशकों के लिए समय - समय पर प्रॉफिट बुकिंग करना अच्छा होगा। शेयरों के दाम नीचे जाने पर वे खरीदारी भी कर सकते हैं।
लंबी अवधि के निवेशकों के लिए कुछ सेक्टरों में अच्छी संभावनाएं दिख रही हैं। लॉर्ज - कैप शेयरों के अलावा मिड - कैप में भी अच्छे अवसर मौजूद हैं। निवेशक पावर , टेक्नोलॉजी और फार्मा में निवेश पर विचार कर सकते हैं। पिछले कुछ सत्रों में कैपिटल गुड्स और बैंकिंग सेक्टर में तेजी दर्ज की गई है और गिरावट आने की स्थिति में इनमें खरीदारी की जा सकती है। इक्विटी जहां निवेश के लिए काफी आकर्षक नजर आ रही है , वहीं बैंकों द्वारा जमा दरें घटाने से डेट की चमक फीकी पड़ी है। इसकी एक बड़ी वजह डेट से धन निकलकर इक्विटी में जाना भी है। बाजार के सूत्रों का कहना है कि भले ही रीटेल सेक्टर की रफ्तार काफी धीमी है लेकिन इसमें निवेश के लिए बहुत से लोग इंतजार कर रहे हैं।
एक बड़े फंड हाउस के सीईओ ने हाल ही में कहा था कि वैश्विक स्तर पर निवेश के लिए धन की कोई कमी नहीं है लेकिन यह नकारात्मक समाचारों का प्रवाह थमने के बाद ही बाजार में आएगा। ऐसा होने पर घरेलू शेयर बाजारों में समय से पहले तेजी का लंबा दौर आ सकता है।
आईटी कंपनियों ने भी चौथी तिमाही के नतीजों के साथ गाइडेंस में कहा है कि आगामी दो तिमाहियां चुनौतीपूर्ण रह सकती हैं। इसे देखते हुए बहुत से लोगों को बाजार में तेजी चौंका रही है। मौजूदा रैली के पीछे एक बड़ा कारण विदेशी संस्थागत निवेशकों ( एफआईआई ) की खरीदारी है। तेजी चुनिंदा शेयरों तक ही सिमटी है। छोटे निवेशक अभी भी बाजार से दूर बनाए हुए हैं। इसका एक बड़ा कारण नई सरकार को लेकर राजनीतिक अनिश्चितता भी है। इसके अलावा बाजार में कारोबार का वॉल्यूम कम होना भी उन्हें चिंता में डाल रहा है।
बाजार के मार्च - अप्रैल के दौरान खराब वित्तीय नतीजों की आशंका से गिरने की आशंका जताई जा रही थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ और इसके उलट बाजार में प्रत्येक गिरावट के बाद अच्छा उछाल देखा गया है। मौजूदा रैली के बावजूद निवेशकों को संभल कर आगे बढ़ने की जरूरत है क्योंकि गिरावट का एक और बड़ा दौर आने का अनुमान है।
गिरावट के समय के बारे में कोई भी निश्चित नहीं है लेकिन इसके पक्ष में बहुत से कारण नजर आ रहे हैं। लघु अवधि में आम चुनाव के नतीजे और तिमाही प्रदर्शन बाजार को नीचे ला सकते हैं। बहुत से लोग यह दलील दे सकते हैं कि बाजार में इन दोनों कारणों का असर देखा जा चुका है लेकिन आर्थिक रफ्तार धीमी पड़ने का वास्तविक प्रभाव अगली 2-3 तिमाहियों में ही नजर आएगा। इसे देखते हुए निवेशकों के लिए समय - समय पर प्रॉफिट बुकिंग करना अच्छा होगा। शेयरों के दाम नीचे जाने पर वे खरीदारी भी कर सकते हैं।
लंबी अवधि के निवेशकों के लिए कुछ सेक्टरों में अच्छी संभावनाएं दिख रही हैं। लॉर्ज - कैप शेयरों के अलावा मिड - कैप में भी अच्छे अवसर मौजूद हैं। निवेशक पावर , टेक्नोलॉजी और फार्मा में निवेश पर विचार कर सकते हैं। पिछले कुछ सत्रों में कैपिटल गुड्स और बैंकिंग सेक्टर में तेजी दर्ज की गई है और गिरावट आने की स्थिति में इनमें खरीदारी की जा सकती है। इक्विटी जहां निवेश के लिए काफी आकर्षक नजर आ रही है , वहीं बैंकों द्वारा जमा दरें घटाने से डेट की चमक फीकी पड़ी है। इसकी एक बड़ी वजह डेट से धन निकलकर इक्विटी में जाना भी है। बाजार के सूत्रों का कहना है कि भले ही रीटेल सेक्टर की रफ्तार काफी धीमी है लेकिन इसमें निवेश के लिए बहुत से लोग इंतजार कर रहे हैं।
एक बड़े फंड हाउस के सीईओ ने हाल ही में कहा था कि वैश्विक स्तर पर निवेश के लिए धन की कोई कमी नहीं है लेकिन यह नकारात्मक समाचारों का प्रवाह थमने के बाद ही बाजार में आएगा। ऐसा होने पर घरेलू शेयर बाजारों में समय से पहले तेजी का लंबा दौर आ सकता है।
-श्रीकला भाष्यम
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