Monday, April 13, 2009

महंगाई दर 30 साल में सबसे कम, पर खाने का चीज महंगा

नई दिल्ली : आम चुनाव से कुछ ही दिन पहले जारी आंकड़े के मुताबिक मुद्रास्फीति की सालाना दर गिरकर तीन दशक के निम्नतम स्तर 0.26 फीसदी पर पहुंच गई, हालांकि जरूरी खाद्य पदार्थों की कीमतों में 17 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई। मार्च 28 को खत्म हुए हफ्ते के दौरान थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति में पिछले सप्ताह के मुकाबले 0.05 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई। पिछले सप्ताह महंगाई दर 0.31 फीसदी थी।

मुद्रास्फीति जहां शून्य के करीब पहुंच गई है वहीं वित्त वर्ष 2008-09 के दौरान मूल्य वृद्धि की औसत दर 8.4 फीसदी रही जबकि 2007-08 में यह 4.7 फीसदी थी। पिछले साल के मुकाबले इस साल की नमक, चीनी, दूध, अनाज, दाल, तैयार खाद्य पदार्थ, मसाले और फल महंगे रहे। गन्ने की के उत्पादन में कमी के मद्देनजर चीनी की कीमत में भी 17 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। मुद्रास्फीति चुनाव एक प्रमुख मुद्दा बन गया है। हर राजनीतिक पार्टी गरीबों के लिए सस्ते राशन का वायदा कर रही है।

नमक की कीमत में 10.68 फीसदी, दूध की कीमत 6.22 फीसदी की बढ़ोतरी हुई जबकि अनाज 9.61 फीसदी, दाल 8.46 फीसदी और फल 8.02 फीसदी महंगा हुआ। हालांकि मुख्य तौर पर खनिज, धातु, ईंधन, ऊर्जा और ल्यूब्रिकेंट की कीमतों में गिरावट के कारण मुद्रास्फीति तीन दशक के निम्नतम स्तर पर पहुंची। मुदास्फीति के इतने निम्न स्तर पर पहुंचने के कारण विश्लेषकों को लगता है कि भारतीय रिजर्व बैंक ब्याज दरों में और कटौती का संकेत दे सकता है।

रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव ने बुधवार को मुंबई में व्यावसायिक बैंकों के प्रमुखों के साथ ब्याज दर के हालात की समीक्षा की। आरआईएस के महानिदेशक नागेश कुमार का कहना है कि मांग की कमी के कारण मुद्रास्फीति कम हो रही है। वित्त मंत्रालय का कहना है कि 28 मार्च 2009 को समाप्त सप्ताह के दौरान इसके पिछले सप्ताह के मुकाबले प्राथमिक उत्पादों की मुद्रास्फीति में गिरावट हुई। हालांकि सालाना स्तर पर इनमें 3.46 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।

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