वाशिंगटन: चीन और भारत समेत विकासशील देश दूसरे वर्ल्ड वार के बाद ग्रोथ रेट में सबसे तेज गिरावट का सामना करना वाले हैं। 2007 में डेवलपिंग
कंट्रीज की ग्रोथ रेट 7.9 परसेंट थी। वर्ल्ड बैंक ने मंगलवार को फोरकास्ट किया है कि 2009 में इन देशों की ग्रोथ रेट घटकर सिर्फ 4.5 परसेंट रह जाएगी।
2009 में भारत की ग्रोथ रेट के बारे में वर्ल्ड बैंक का अनुमान 5.8 परसेंट का है। 2007 में भारत ने नौ परसेंट की रफ्तार से तरक्की की थी। वो बहुत पुरानी बात नहीं है जब भारत में डबल डिजिट ग्रोथ का भारी हल्ला था। लेकिन अब हालात तेजी से बदल रहे हैं। दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती इकॉनमी में एक चीन की ग्रोथ रेट के बारे में वर्ल्ड बैंक का अनुमान 7.5 परसेंट का है। अगर इन दो देशों को छोड़ दें, तो डेवलपिंग वर्ल्ड की इकॉनमी की ग्रोथ रेट 2.9 परसेंट रहने का अनुमान है।
हालांकि वर्ल्ड बैंक का कहना है कि डेवलप्ड देशों के उलट नए उभरते और गरीब देशों की इकॉनमी में अगले साल निगेटिव ग्रोथ का खतरा नहीं है। लेकिन उम्मीद से कम प्रोडक्शन की वजह से इन देशों में बिजनेस बंद होंगे, लोगों की नौकरियां जाएंगी और कई तबकों की इनकम कम होगी।
इस खराब पूर्वानुमान से साफ है कि डेवलपिंग वर्ड के अमीर देशों से डिकपलिंग यानी कोई रिश्ता न होने की थ्योरी गलत साबित हुई है। खासकर लीमैन ब्रदर्स के सितंबर में पतन के बाद से क्रेडिट क्रंच का असर सारी दुनिया पर पड़ा है।
वर्ड बैंक का ये भी कहना है कि पूरी दुनिया की ग्रोथ रेट 2009 में घटकर 0.9 परसेंट रह जाएगा। जबकि इस साल की ग्रोथ रेट 2.5 परसेंट है। बैंक की चेतावनी है कि स्लोडाउन की वजह से इंटरनेशनल ट्रेड में तेजी से गिरावट आएगी और इसका असर गरीब और अमीर दोनों तरह के देशों पर होगा।
कंट्रीज की ग्रोथ रेट 7.9 परसेंट थी। वर्ल्ड बैंक ने मंगलवार को फोरकास्ट किया है कि 2009 में इन देशों की ग्रोथ रेट घटकर सिर्फ 4.5 परसेंट रह जाएगी।
2009 में भारत की ग्रोथ रेट के बारे में वर्ल्ड बैंक का अनुमान 5.8 परसेंट का है। 2007 में भारत ने नौ परसेंट की रफ्तार से तरक्की की थी। वो बहुत पुरानी बात नहीं है जब भारत में डबल डिजिट ग्रोथ का भारी हल्ला था। लेकिन अब हालात तेजी से बदल रहे हैं। दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती इकॉनमी में एक चीन की ग्रोथ रेट के बारे में वर्ल्ड बैंक का अनुमान 7.5 परसेंट का है। अगर इन दो देशों को छोड़ दें, तो डेवलपिंग वर्ल्ड की इकॉनमी की ग्रोथ रेट 2.9 परसेंट रहने का अनुमान है।
हालांकि वर्ल्ड बैंक का कहना है कि डेवलप्ड देशों के उलट नए उभरते और गरीब देशों की इकॉनमी में अगले साल निगेटिव ग्रोथ का खतरा नहीं है। लेकिन उम्मीद से कम प्रोडक्शन की वजह से इन देशों में बिजनेस बंद होंगे, लोगों की नौकरियां जाएंगी और कई तबकों की इनकम कम होगी।
इस खराब पूर्वानुमान से साफ है कि डेवलपिंग वर्ड के अमीर देशों से डिकपलिंग यानी कोई रिश्ता न होने की थ्योरी गलत साबित हुई है। खासकर लीमैन ब्रदर्स के सितंबर में पतन के बाद से क्रेडिट क्रंच का असर सारी दुनिया पर पड़ा है।
वर्ड बैंक का ये भी कहना है कि पूरी दुनिया की ग्रोथ रेट 2009 में घटकर 0.9 परसेंट रह जाएगा। जबकि इस साल की ग्रोथ रेट 2.5 परसेंट है। बैंक की चेतावनी है कि स्लोडाउन की वजह से इंटरनेशनल ट्रेड में तेजी से गिरावट आएगी और इसका असर गरीब और अमीर दोनों तरह के देशों पर होगा।
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