1 मैंने कहीं पढ़ा है कि 'चतुर निवेशक या तो बाजार में 5 फीसदी या उससे ज्यादा की हर गिरावट पर छोटी राशि का निवेश करते हैं या एसआईपी का माध्यम चुनते
हैं।' यह बात कहां तक सही है?
अगर कोई चतुर निवेशक लगातार गिरावट में खरीदने और बाजार चढ़ने पर बिकवाली करने में कामयाब रहे तो इससे बेहतर और क्या हो सकता है। लेकिन गिरावट को परिभाषित करना काफी मुश्किल है। जनवरी 2008 से बाजार गिरता ही जा रहा है। ज्यादातर पेशेवर और निवेशक बाजार की चाल का अंदाजा लगाने में नाकाम हैं। इक्विटी से पैसा बनाने का तरीका यह है कि बढि़या शेयरों का पोर्टफोलियो बनाएं और संयम के साथ उसे बरकरार रखें। दूसरा विकल्प है म्यूचुअल फंड के जरिए तैयार पोर्टफोलियो खरीदना और नियमित रूप से उसमें निवेश करना। एसआईपी अनुशासन सुनिश्चित करता है और गिरावट के वक्त घबराहट से निपटने में मदद देता है। यह इक्विटी से मुनाफा बनाने का सर्वश्रेष्ठ तरीका है।
2 मैं एसआईपी निवेशक हूं और संतुलन के लिए पोर्टफोलियो में बदलाव करना चाहता हूं। मदद कीजिए।
अगर आप डेट और इक्विटी में 60 : 40 का अनुपात रखना चाहते हैं तो इक्विटी में गिरावट आने पर डेट से अपनी रकम धीरे-धीरे इक्विटी के खाते में ले जाएं। ऐसा नियमित रूप से करते रहने पर आप इक्विटी से तब फायदा ले सकेंगे जब इसमें आपका निवेश बढ़ता जाएगा और बाजार चढ़ेगा। संतुलन लाने के कई तरीके हो सकते हैं। इक्विटी या डेट से फायदे पर लगने वाला कर संतुलन की प्रक्रिया में अवरोध साबित हो सकता है। इसलिए रिबैलेंसिंग से जुड़ा सिद्धांत यह होना चाहिए कि आवंटित राशि से जुडे़ हालात पूरी तरह उलट जाने तक लगातार ऐसा नहीं करना चाहिए। सालाना रिबैलेंसिंग कर के मामले में किफायती साबित हो सकती है क्योंकि लंबी अवधि में इक्विटी से मिलने वाले मुनाफे पर कर नहीं लगता।
3 क्या नाबालिग म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं?
जी हां। नाबालिग म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं लेकिन केवल अभिभावक के जरिए। वयस्क अभिभावक म्यूचुअल फंड की यूनिट रख सकता है और नाबालिग की ओर से उन्हें निवेश कर सकता है। आपको अपने बेटे या बेटी की उम्र के प्रमाण के साथ एएमसी पेश करना होगा और साथ ही यूनिट रखने और उन्हें इस्तेमाल करने की दक्षता का सबूत भी देना होगा।
4 कोई भी कंपनी आखिर कैसे माकेर्ट कैपिटलाइजेशन के आधार पर लार्ज, मिड या स्मॉल माकेर्ट कैप कैटेगरी में आती है। क्या किसी श्रेणी विशेष के लिए कोई सीमा तय है?
बीएसई पर सूचीबद्ध सभी शेयरों को माकेर्ट कैपिटलाइजेशन के आधार पर घटते क्रम में रखा जाता है। जो शेयर कुल माकेर्ट कैपिटलाइजेशन का शीर्ष 70 फीसदी हिस्सा रखते हैं, उन्हें लार्ज कैप कहा जाता है जो 40 से 90 फीसदी के बीच आते हैं उन्हें मिड-कैप कहा जाता है जबकि अंतिम 10 फीसदी हिस्सा रखने वाले स्मॉल कैप में शुमार किए जाते हैं। 30 नवंबर 2008 को 58 शेयर लार्ज कैप के थे।
हैं।' यह बात कहां तक सही है?
अगर कोई चतुर निवेशक लगातार गिरावट में खरीदने और बाजार चढ़ने पर बिकवाली करने में कामयाब रहे तो इससे बेहतर और क्या हो सकता है। लेकिन गिरावट को परिभाषित करना काफी मुश्किल है। जनवरी 2008 से बाजार गिरता ही जा रहा है। ज्यादातर पेशेवर और निवेशक बाजार की चाल का अंदाजा लगाने में नाकाम हैं। इक्विटी से पैसा बनाने का तरीका यह है कि बढि़या शेयरों का पोर्टफोलियो बनाएं और संयम के साथ उसे बरकरार रखें। दूसरा विकल्प है म्यूचुअल फंड के जरिए तैयार पोर्टफोलियो खरीदना और नियमित रूप से उसमें निवेश करना। एसआईपी अनुशासन सुनिश्चित करता है और गिरावट के वक्त घबराहट से निपटने में मदद देता है। यह इक्विटी से मुनाफा बनाने का सर्वश्रेष्ठ तरीका है।
2 मैं एसआईपी निवेशक हूं और संतुलन के लिए पोर्टफोलियो में बदलाव करना चाहता हूं। मदद कीजिए।
अगर आप डेट और इक्विटी में 60 : 40 का अनुपात रखना चाहते हैं तो इक्विटी में गिरावट आने पर डेट से अपनी रकम धीरे-धीरे इक्विटी के खाते में ले जाएं। ऐसा नियमित रूप से करते रहने पर आप इक्विटी से तब फायदा ले सकेंगे जब इसमें आपका निवेश बढ़ता जाएगा और बाजार चढ़ेगा। संतुलन लाने के कई तरीके हो सकते हैं। इक्विटी या डेट से फायदे पर लगने वाला कर संतुलन की प्रक्रिया में अवरोध साबित हो सकता है। इसलिए रिबैलेंसिंग से जुड़ा सिद्धांत यह होना चाहिए कि आवंटित राशि से जुडे़ हालात पूरी तरह उलट जाने तक लगातार ऐसा नहीं करना चाहिए। सालाना रिबैलेंसिंग कर के मामले में किफायती साबित हो सकती है क्योंकि लंबी अवधि में इक्विटी से मिलने वाले मुनाफे पर कर नहीं लगता।
3 क्या नाबालिग म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं?
जी हां। नाबालिग म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं लेकिन केवल अभिभावक के जरिए। वयस्क अभिभावक म्यूचुअल फंड की यूनिट रख सकता है और नाबालिग की ओर से उन्हें निवेश कर सकता है। आपको अपने बेटे या बेटी की उम्र के प्रमाण के साथ एएमसी पेश करना होगा और साथ ही यूनिट रखने और उन्हें इस्तेमाल करने की दक्षता का सबूत भी देना होगा।
4 कोई भी कंपनी आखिर कैसे माकेर्ट कैपिटलाइजेशन के आधार पर लार्ज, मिड या स्मॉल माकेर्ट कैप कैटेगरी में आती है। क्या किसी श्रेणी विशेष के लिए कोई सीमा तय है?
बीएसई पर सूचीबद्ध सभी शेयरों को माकेर्ट कैपिटलाइजेशन के आधार पर घटते क्रम में रखा जाता है। जो शेयर कुल माकेर्ट कैपिटलाइजेशन का शीर्ष 70 फीसदी हिस्सा रखते हैं, उन्हें लार्ज कैप कहा जाता है जो 40 से 90 फीसदी के बीच आते हैं उन्हें मिड-कैप कहा जाता है जबकि अंतिम 10 फीसदी हिस्सा रखने वाले स्मॉल कैप में शुमार किए जाते हैं। 30 नवंबर 2008 को 58 शेयर लार्ज कैप के थे।
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