बाजार में निराशा का माहौल जारी है और इसी वजह से इक्विटी में निवेशकों की दिलचस्पी लगातार कम हो रही है। एनएसई और बीएसई पर घटे वॉल्यूम इसकी कहानी साफ बता रहे हैं। निवेशकों को लग रहा है कि बाजार में अभी और गिरावट आ सकती है। इसलिए फिलहाल वह इक्विटी से दूर ही रह रहे हैं। जानकारों का भी कहना है कि 2009 में भी गिरावट जारी रह सकती है। कंपनियों का मूल्यांकन 60-80 फीसदी गिरने की वजह से बीएसई और एनएसई में लिस्टेड ज्यादातर कंपनियों के शेयर बेहद सस्ते दामों पर उपलब्ध हैं। इस समय केवल लंबी अवधि के निवेशक ही खुश हैं क्योंकि वे अपने पसंदीदा शेयरों को बेहद कम कीमतों पर खरीद सकते हैं। लंबी अवधि के निवेश का यह सही समय लग रहा है। जिम रॉजर्स और वॉरेन बफेट जैसे निवेश गुरुओं के अनुसार , बाजारों में इस समय भारी गिरावट है और यह समय लंबी अवधि के निवेश के लिए बेहतरीन है। बहुत से शेयर अपने वास्तविक मूल्यों से बहुत नीचे कारोबार कर रहे हैं। जानकारों का कहना है कि चतुर निवेशक वह होता है जो धन लगाने के ऐसा समय चुनता है जब सफलता की संभावनाएं अधिक हों। इस नजरिए से शेयर बाजार में निवेश का यह अच्छा समय है। सही कंपनी की पहचान के लिए आपको CANSLIM नाम की निवेश रणनीति काफी फायदा दे सकती है। इसका विकास विलियम ओ नील ने किया था। इस शब्द में शामिल अंग्रेजी वर्णमाला का प्रत्येक अक्षर निवेश से जुड़ी किसी मानक की ओर इशारा करता है। यह रणनीति काफी सफल साबित हुई है और इसने पूर्व में अच्छे रिटर्न दिए हैं। चलिए इस रणनीति पर नजर डालते हैं :
C- प्रति शेयर मौजूदा तिमाही आय। तिमाही आधार पर बढ़ोतरी दर्ज करने वाले शेयरों को चुनना बहुत महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए अगर किसी कंपनी की प्रति शेयर आय ( ईपीएस ) के आंकड़े इस वर्ष अप्रैल - जून की अवधि में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में बढ़ने चाहिए। इस रणनीति के अनुसार अगर यह बढ़ोतरी 18-20 फीसदी के बीच है तो शेयर तिमाही - दर - तिमाही आधार पर अच्छा प्रदर्शन कर रहा है।
C- प्रति शेयर मौजूदा तिमाही आय। तिमाही आधार पर बढ़ोतरी दर्ज करने वाले शेयरों को चुनना बहुत महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए अगर किसी कंपनी की प्रति शेयर आय ( ईपीएस ) के आंकड़े इस वर्ष अप्रैल - जून की अवधि में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में बढ़ने चाहिए। इस रणनीति के अनुसार अगर यह बढ़ोतरी 18-20 फीसदी के बीच है तो शेयर तिमाही - दर - तिमाही आधार पर अच्छा प्रदर्शन कर रहा है।
A- प्रति शेयर वार्षिक आय। यह आंकड़ा पिछले पांच वर्षों में अच्छी रफ्तार के साथ बढ़ना चाहिए। इस रणनीति में वार्षिक आय में बढ़ोतरी को काफी महत्व दिया जाता है। अगर कंपनी पिछले पांच वर्षों में लगातार अच्छा वार्षिक विकास कर रही है तो इसमें निवेश पर विचार किया जा सकता है।
N - नई चीजें। एक अच्छी कंपनी का तीसरा मानक यह है कि उसने हाल ही में कोई बदलाव किया हो। सफलता के लिए बदलाव बहुत जरूरी होते हैं। यह नई प्रबंधन टीम , नया उत्पाद , नया बाजार या फिर इसके शेयर के दाम का ऊंचाई का नया स्तर छूना हो सकता है।
S- लंबित शेयर। ऐसे शेयरों की संख्या कम होनी चाहिए। इस रणनीति पर चलने वाले निवेशकों को लंबे समय से कारोबार कर रही ऐसी कंपनियों से बचना चाहिए जिनका पूंजीकरण बहुत अधिक हो।
L- अगुवा कंपनी। ऐसी कंपनियों में निवेश करें जो अपने सेक्टर या उद्योग में शीर्ष पर हों। प्रत्येक उद्योग में ऐसी कंपनियां होती हैं जो सबसे कारोबार के लिहाज से सबसे आगे होती हैं और निवेशकों को बेहतरीन रिटर्न देती हैं। कुछ ऐसी कंपनियां भी होती हैं जो कारोबार की दौड़ में पिछड़ती हैं। निवेशकों को इन कंपनियों से बचना चाहिए। इस रणनीति में बाजार की शीर्ष और पिछड़ी कंपनियों की पहचान पर काफी जोर है।
I- संस्थागत प्रायोजन। ऐसे शेयर खरीदें जिनके संस्थागत प्रायोजकों के औसत से बेहतर प्रदर्शन का रिकॉर्ड हो। कंपनी के संस्थागत मालिकों की गुणवत्ता बहुत महत्वपूर्ण होती है। इसलिए इससे जुड़े सभी पहलुओं पर ध्यान दें।
M- आम बाजार। बाजार आपका फायदा या नुकसान तय करता है। इसे देखते हुए बाजार की मौजूदा दिशा , सूचकांकों ( मूल्य और मात्रा में बदलाव ) की चाल और बाजार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली बड़ी कंपनियों की गतिविधियों से जुड़ी जानकारी जुटाएं। रणनीति के इस अंतिम कदम में बाजार की दिशा की बात कही गई है। शेयरों को चुनते समय बाजार किस तरह का है इसकी पहचान करना बहुत महत्वपूर्ण है।
CANSLIM रणनीति का पालन करने से निवेशकों को एक अच्छे शेयर की पहचान करने में काफी मदद मिल सकती है। अच्छे शेयर से मतलब ऐसी कंपनी से है जिसने पिछले कुछ समय से लगातार बेहतर प्रदर्शन किया हो और आगे भी इसके अच्छा कारोबार करने की संभावना हो।
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