भारतीय रिजर्व बैंक के रेपो और रिवर्स रेपो रेट में हालिया 100 बेसिस अंकों की कटौती के बाद तेजड़ियों की शेयर बाजार में शानदार वापसी हुई है। सरकार ने 307 अरब डॉलर के आर्थिक राहत पैकेज की घोषणा की, जिससे निवेशकों का उत्साह कुछ और बढ़ा। सरकार की योजना इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के लिए जरूरी मंजूरी की प्रक्रिया को रफ्तार देने की भी है और इसका मतलब 100 अरब डॉलर का निवेश है। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक की डरावनी तस्वीर और और वैश्विक स्तर से मिलने वाली नकारात्मक खबरों को धता बताते हुए एनएसई निफ्टी 3000 के स्तर को पार कर चुका है। सबसे ज्यादा फायदा बटोरने वालों में रियल एस्टेट, मेटल, ऑटो और बैंकिंग के शेयर शामिल रहे। उत्पाद शुल्क में 4 फीसदी की कटौती ने सीमेंट, स्टील और ऑटोमोबाइल कंपनियों के स्टॉक में जान डालने का काम किया। हालांकि रुपए के एक महीने के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंचने की वजह से आईटी शेयरों में गिरावट दर्ज की गई। भारतीय आईटी कंपनियों के ग्राहक बजट में कटौती कर सकते हैं, इससे यहां की कंपनियों की आमदनी पर नकारात्मक असर पड़ेगा। इस वजह से भी आईटी शेयरों में कमजोरी आई। एशिया में पिछले हफ्ते हैंगसेंग इंडेक्स कमजोर आर्थिक डेटा को दरकिनार करते हुए 6 फीसदी बढ़ा जबकि जापान की अर्थव्यवस्था तीसरी तिमाही में शुरुआती अनुमानों से कहीं ज्यादा मंदी के दलदल में फंसती दिखाई दी। जापानी अर्थव्यवस्था ने 0.5 फीसदी का नुकसान और झेला। इस आशंका को और बल मिला है कि देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अब तक की सबसे लंबी और भीषण मंदी का सामना कर रही है। अमेरिकी बाजार की स्थिति गंभीर बनी हुई है। हमारा मानना है कि यह ऑटो राहत पैकेज 700 अरब डॉलर के टार्प (टीएआरपी) पैकेज में से ही दिया जाएगा। हालांकि भविष्य में इसके वापसी करने की संभावना पर सवालिया निशान अब भी कायम है क्योंकि बेरोजगारी तेजी से बढ़ रही है। वैश्विक स्तर पर निराशाजनक आंकड़े डराने का काम जारी रखे हुए हैं। अमेरिका का व्यापार घाटा 1.1 फीसदी बढ़कर अक्टूबर में 57.2 अरब डॉलर पर पहुंच गया है क्योंकि वैश्विक मांग में कमजोरी की वजह से निर्यात में लगातार तीसरी दफा गिरावट देखने को मिली है। अमेरिका में बेरोजगारी 1982 के बाद सबसे ऊंचे स्तर तक पहुंच गई है। भारत में महंगाई दर गिरकर 8 फीसदी पर आ गई है। 33 हफ्तों में मुद्रास्फीति का यह सबसे नरम रुख है। भारत का इंफ्रास्ट्रक्चर उद्योग अक्टूबर में 3.4 फीसदी बढ़ा। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल पर दबाव बना हुआ है जिससे अर्थव्यवस्था पर राजकोषीय घाटे का दबाव कुछ कम होगा। वाणिज्य मंत्री ने संकेत दिए हैं कि सरकार इस सप्ताह अर्थव्यवस्था के लिए राहत पैकेज के दूसरे चरण की घोषणा कर सकती है। रिजर्व बैंक के गवर्नर ने सुझाया है कि आर्थिक मंदी से निपटने के लिए और कदम भी उठाए जा सकते हैं। अगले 5-4 महीनों की बात करें तो भारतीय बाजारों को लेकर हम सकारात्मक रुख रखते हैं। आईआईपी के नकारात्मक आंकड़ों के बावजूद भारतीय बाजारों की रैली ने सकारात्मक रुख दिखाया है। हमारी राय में बाजार में काफी बिकवाली हो चुकी है और सारी नकारात्मक खबरें शामिल हैं। इस बात की काफी संभावना है कि भारतीय बाजार आने वाले कुछ महीने में अमेरिका से अलग राह अख्तियार करेगा क्योंकि हम अगले 3-4 महीने में चुनाव पूर्व तेजी की उम्मीद बांध रहे हैं।
-अमिताभ चक्रवर्ती, प्रेजिडेंट (इक्विटी) रेलिगेयर सिक्योरिटीज
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