Tuesday, December 9, 2008

लंबी अवधि के लिए म्यूचुअल फंड में करे निवेश

म्यूचुअल फंड सभी के लिए है। दुनिया भर के लाखों निवेशक म्यूचुअल फंड में निवेश कर रहे हैं क्योंकि इनसे उन्हें भविष्य की आसान और सुविधाजनक योजना बनाने में मदद मिलती है। म्यूचुअल फंड क्या है और वित्तीय लक्ष्यों तक पहुंचने में ये किस तरह मदद दे सकते हैं , यह हम तफ्सील से जानेंगे लेकिन उससे पहले निवेश के कुछ अहम पहलुओं पर गौर करना भी जरूरी है। सबसे पहले अपनी वित्तीय जरूरतों और लक्ष्यों को जानें। मुझे कब पैसे की जरूरत होगी और किस काम के लिए , इस तरह के सवालों के जवाब खोजने की कोशिश कीजिए। अपने वित्तीय लक्ष्यों की सूची तैयार करें जैसे पुत्र या पुत्री की उच्च शिक्षा , मकान खरीदना आदि। साथ ही इस बात का अंदाजा भी लगाएं कि आपको इन तमाम जरूरी कामों के लिए कितनी रकम की जरूरत होगी। इन सवालों के जवाब आपको निवेश की अवधि तय करने में मदद देंगे। लक्ष्य और वक्त के मुताबिक अपने निवेश का मिलान करें। रिटायरमेंट या बच्चों की शिक्षा जैसे लंबी अवधि के लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए इक्विटी फंड को चुनें जो तेजी से बदलती परिस्थितियों के मद्देनजर शॉर्ट टर्म की अपेक्षा आपको अपेक्षित रिटर्न मुहैया कराएगा। छोटी मियाद के लक्ष्यों के लिए पूंजी बाजार या कैश फंड में निवेश करें। यह आपको ज्यादा स्थिरता दे सकते हैं।

जोखिम
निवेश से संबंधित कोई भी फैसला करने से पहले यह जानना अहम है कि आप कितना जोखिम ले सकते हैं। इस बात पर गौर करें कि आप अपने निवेश के मूल्यांकन में उतार - चढ़ाव को लेकर सहज रह पाएंगे या नहीं। निवेश में यह बात कोई मायने नहीं रखती कि आपका पैसा इक्विटी में लगा हो और लघु अवधि के तेजी से बदलते हालात के चलते आपके रातों की नींद उड़े लेकिन यह सुनिश्चित करना भी जरूरी कि आपका निवेश लंबी अवधि के वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने में मददगार साबित हो।
अनुशासन
पद्धति के मुताबिक निवेश करने से निवेशकों को इक्विटी मार्केट में पैठ बनाने का अच्छा आधार मिल जाता है। इसके अलावा अनुशासित निवेश से बाजार में उतार - चढ़ाव के वक्त भी निवेश में स्थिरता मिलती है।

टैक्स लाभ
म्यूचुअल फंड में निवेश करने से कर बचाने में भी मदद मिलती है। इसके अलावा कुछ विशेष फंड में निवेश कर आप धारा 80 सी के तहत कर लाभ ले सकते हैं। लाभांश यानी डिविडेंड का पैसा सीधा निवेश के हाथ में पहुंचता है जो करमुक्त होता है।
योजना पर डटे रहें
निवेश करने से पहले इस बात की अच्छी तरह जांच - परख कर लें कि वर्तमान संपत्ति और व्यवसाय पर उसका क्या असर पड़ सकता है। जैसे - जैसे वक्त बीतेगा , आपकी जिंदगी में बदलाव आता रहेगा इसलिए आपको नियमित रूप से अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा कर उसमें वांछित बदलाव भी करने होंगे लेकिन कम वक्त की उथल - पुथल की वजह से लंबी अवधि की योजना से छेड़छाड़ किया जाना समझदारी नहीं है। आसान शब्दों में कहा जाए तो निवेश पूंजी बढ़ाने और भविष्य में वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है लेकिन अगर फैसले गलत होंगे तो उनका नतीजा भी हमारे खिलाफ ही जाएगा।

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