Thursday, December 11, 2008

संयम रखकर इस दौर में भी कमा सकते हैं मुनाफा

इक्विटी लंबे वक्त में आपको बेहतर रिटर्न देता है। इक्विटी ने हमेशा उन लोगों को फायदा दिया है , जिन्होंने मुश्किल समय में संयम बनाए रखा है। ऐसी रणनीति लंबे समय में फायदा तो देती है , लेकिन यहां आपके लिए अच्छे म्यूचुअल फंड का चुनाव जरूरी है। चुनिंदा फंडों के बीच जोखिम को बांटने से निवेशकों को फायदा मिलता है। यहां हम आपको बता रहे हैं कि कैसे एक बेहतर इक्विटी म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो तैयार किया जा सकता है
जोखिम के अनुसार करें डायवर्सिफाई
निवेशकों को जोखिम उठाने की क्षमता और निवेश की अवधि के अनुसार पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई करना चाहिए। उदाहरण के लिए निवेश को पांच डायवर्सिफाइड फंडों में बांटने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि इन सभी की निवेश की रणनीति एक जैसी होगी। डायवर्सिफिकेशन आपकी जरूरतों के अनुसार होना चाहिए। इसके लिए सबसे अच्छा विकल्प पोर्टफोलियो को लघु और लंबी अवधि में बांटने के बाद अवधि के हिसाब से फंडों का चुनाव करना है। लघु अवधि के फंडों में आप डेट पर अधिक भरोसा कर सकते हैं जबकि लंबी अवधि के लिए इक्विटी फंड बेहतर रहेंगे।
नियमित निगरानी जरूरी
लंबी अवधि के पोर्टफोलियो में इक्विटी के विकल्पों के चुनाव पर लगातार नजर रखना जरूरी होता है क्योंकि इक्विटी का मौजूदा आर्थिक माहौल से सीधा संबंध होता है। लंबी अवधि में इक्विटी से 12-15 फीसदी रिटर्न की उम्मीद की जा सकती है , लेकिन बीच के समय में यह रिटर्न गिर सकता है इसलिए इस पर आपको नजर रखनी होगी। शेयरों के मामले में निगरानी और भी जरूरी है क्योंकि बहुत कम कंपनियां ही ऐसी होती हैं जिनमें बाधाओं के बिना 10-15 वर्ष तक अच्छा कारोबार करने की क्षमता होती है। म्यूचुअल फंडों के मामले में नियमित निगरानी की जरूरत कम होती है , हालांकि फंडों का प्रदर्शन भी बाजार में तेजी या मंदी के साथ बदलता रहता है। अगर आप डायवर्सिफाइड फंडों में निवेश करते हैं तो भी ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं होती है। इन फंडों की स्टॉक बास्केट काफी बड़ी होती है। इसके साथ ही आप सेक्टर के जोखिमों से भी बचते हैं। लंबी अवधि के निवेश आवंटन में अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड वाले डायवर्सिफाइड फंडों को पोर्टफोलियो में अधिक स्थान दिया जा सकता है। अपने फंडों का चुनाव सावधानी से पिछले प्रदर्शन के आधार पर करें और अपनी निवेश की रणनीति से न भटकें।
थीम का मिश्रण
म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए एक बड़ा फायदा यह रहता है कि वे बहुत सी योजनाओं में से अपनी पसंद और जरूरत को पूरा करने वाली योजना चुन सकते हैं। पोर्टफोलियो को कम और लंबी अवधि में बांटने के साथ ही थीम के आधार पर विभाजित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए मौजूदा माहौल में आप एक बड़ा भाग लॉर्ज कैप फंडों में डाल सकते हैं। बाकी का आवंटन बैलेंस्ड , गोल्ड , डेट और इनकम फंडों को दिया जा सकता है। इनकम फंडों में निवेश 1-2 वर्ष के लिए रखना चाहिए क्योंकि इनका प्रदर्शन सीधे तौर पर ब्याज दरों से जुड़ा होता है। ब्याज दरें समय के साथ बदलती हैं और इसी वजह से लंबी अवधि में संपत्ति बनाने के लिए इनकम फंडों पर ज्यादा भरोसा ठीक नहीं है। इनमें निवेश ऊंची ब्याज दरों के दौरान ही बेहतर रहता है। शेयरों के मामले में पोर्टफोलियो में विकास और नकद प्रवाह के मिश्रण का ध्यान रखना चाहिए। नकद प्रवाह का उद्देश्य आप अच्छा डिविडेंड देने वाले शेयरों के साथ पूरा कर सकते हैं।

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