नई दिल्लीः अगर आप अपने मेडिकल बीमा प्रवाइडर की सेवाओं से संतुष्ट नहीं हैं, तो अगले वित्त वर्ष से आपको जमा बोनस के साथ कंपनी बदलने की छूट होगी। गैर-जीवन बीमा कंपनियों की संस्था जनरल इन्शुअरन्स काउंसिल (जीआईसी) इस नतीजे पर पहुंची है और इस आशय की सिफारिश जल्द ही बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीए) के पास भेज दी जाएगी।
काउंसिल के सदस्य और ओरिएंटल इन्शुअरन्स कंपनी के अध्यक्ष एम. रामदास ने बताया कि सभी बीमाकर्ता इस पर सहमत हैं। मुमकिन है कि सिफारिशें इस महीने के अंत तक या अगले महीने के शुरू में बीमा नियामक के पास भेज दी जाएं। उन्होंने उम्मीद जताई कि बीमा कंपनी बदलने की छूट अप्रैल 2009 तक संभव हो जाएगी। प्राधिकरण जैसे ही मंजूरी देगा, कंपनियां इसे लागू करेंगी।
मौजूदा व्यवस्था के तहत पोलसी धारक को एक साल के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा दी जाती है और हर साल इसे रिन्यू कराना होता है। पोलसी धारक को हर उस साल के लिए बोनस मिलता है, जिसमें उसने कोई दावा नहीं किया हो। यह बोनस साल दर साल इकट्ठा होता जाता है। अगर कोई ग्राहक अवधि की समाप्ति पर पोलसी रिन्यू कराने के बजाय कंपनी बदल ले तो जमा हुआ बोनस उसे नहीं मिलता और कस्टमर को नए सिरे से शुरुआत करनी होती है।
उन्होंने बताया कि चूंकि बीमा कंपनियों की बोनस संबंधी नीति अलग-अलग हो सकती है, इसलिए काउंसिल ने मिनिमम कवर बेनिफिट ट्रांसफर को लेकर आम सहमति बनाई है। इस सहमति के आधार पर इंडस्ट्री न्यूनतम लाभ की गारंटी तय करेगी, जिसका फायदा नई पोलसी लेते समय ग्राहक को मिलेगा।
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