शेयर बाजार पिछले काफी समय से गिरावट का रुख देख रहे हैं और वैश्विक बैंकों के दबाव में होने की वजह से वित्तीय संकट गहराता जा रहा है। ऐसे में छोटे निवेशकों के पास क्या विकल्प हैं? उन्हें क्या करना चाहिए? क्या उन्हें बाजार से निकल जाना चाहिए या इसमें बने रहना चाहिए? कुछ निवेशक शेयर बाजारों में धन लगाने के बारे में सोच रहे हैं। कुछ अभी इस बात को लेकर संशय में हैं कि यह निवेश का सही स्तर है या नहीं और क्या बाजार इससे भी नीचे जा सकते हैं। अगर कम शब्दों में कहा जाए तो आप निवेश में बने रहें। मौजूदा घटनाएं एक अस्थायी दौर हैं। बाजार अभी कुछ और समय तक इन स्तरों के आसपास रह सकते हैं। निवेशकों को संयम बरतने की जरूरत है और उन्हें बाजार में चल रही अफवाहों से घबराना नहीं चाहिए। लंबी अवधि में इन स्थितियों में जरूर सुधार आएगा। निवेशकों को कारोबारी माहौल और कंपनी के प्रदर्शन के आधार पर स्थिति का आकलन करना चाहिए। इस समय वे चाहें तो खराब प्रदर्शन वाले शेयरों को बेचकर बेहतर प्रदर्शन वाले शेयरों में निवेश कर सकते हैं। बाजार में इस समय हड़बड़ी में बिकवाली हो रही है। इसके पीछे विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की बिकवाली एक बड़ी वजह है। पिछले कुछ महीनों में सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है। इस अवधि में लगभग प्रत्येक शेयर में भारी गिरावट देखी गई है और कुछ शेयर तो अपने वार्षिक उच्चतम स्तर से 70 फीसदी से अधिक गिर चुके हैं। भारी बिकवाली और एफआईआई द्वारा बाजार से बड़ी धनराशि निकालने की वजह से नकदी का संकट भी पैदा हो गया है और इससे बाजार में नकारात्मक संकेत फैल रहे हैं। इस समय घरेलू बाजारों की चाल वैश्विक बाजारों के समाचारों और घटनाओं से प्रेरित है। पिछले कुछ वर्षों में तेजी के दौर की अगुवाई करने वाले सेक्टरों और शेयरों को हाल की गिरावट में सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ा है। बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज, इंफ्रास्ट्रक्चर और रियल एस्टेट सेक्टर अपने उच्चतम स्तरों से 80 से 90 फीसदी तक गिर चुके हैं। जल्दबाजी में बिकवाली करने वालों में घरेलू वित्तीय संस्थान और छोटे निवेशक भी शामिल हैं। बाजार के मौजूदा माहौल में छोटे निवेशकों के लिए बाहर निकलना आसान नहीं है। बहुत से निवेशक ऊंचे स्तरों पर खरीदारी करने के बाद फंस गए हैं। वे समझ नहीं पा रहे हैं कि इन स्तरों पर बिकवाली की जाए या अपनी खरीद का औसत दाम कम करने के लिए और निवेश करें। वैश्विक संकट के इस दौर में घरेलू बाजारों की स्थिति बेहतर है और इनमें मध्यम से लंबी अवधि में जरूर सुधार आएगा। इसे देखते हुए ब्लू चिप या मजबूत आधार वाले मिड-कैप शेयरों में निवेश करने वाले लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है और उन्हें अपना निवेश बरकरार रखना चाहिए। ऊंचे स्तरों पर निवेश करने वाले अब अपनी खरीद की लागत कम करने के लिए और निवेश करने पर विचार कर रहे हैं। इन निवेशकों को बाजार में वही रकम लगानी चाहिए जिस पर वे जोखिम ले सकते हैं। मंदी के दौर में खरीदारी करने वाले निवेशकों को नियमित अंतराल पर छोटे लॉट में शेयर खरीदने चाहिए। मौजूदा स्तरों पर बहुत से ब्लू चिप शेयरों का मूल्यांकन काफी आकर्षक है। लेकिन निवेशकों को शेयर चुनने में सावधानी बरतने की जरूरत है। निवेश के लिए शेयरों का चुनाव करते समय कंपनी के कारोबार और सेक्टर के प्रदर्शन पर जरूर निगाह डालें। यह बिकवाली का सही समय नहीं है। मंदी के दौर में छोटे निवेशकों को बिकवाली से बचना चाहिए। अगर संभव हो तो वे अच्छी संभावनाओं वाली कंपनियों के शेयर खरीदकर अपना पोर्टफोलियो बड़ा कर सकते हैं। बाजार में निवेश के सही समय का अनुमान लगाना संभव नहीं है और मौजूदा दौर में अपने निवेश की औसत लागत कम करने के लिए छोटे लॉट में शेयर खरीदना सबसे बेहतर है।
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