निवेशकों की रिटर्न की उम्मीदें और निवेश की अवधि बाजार की मौजूदा स्थिति के अनुरूप होनी चाहिए। फंडामेंटल के आधार पर धन लगाने वाले सफल निवेशक कारोबारी सहयोगियों की तरह निवेश करते हैं और वे आपात या अप्रत्याशित स्थितियां आने पर ही बिकवाली पर विचार करते हैं। व्यावहारिक बात की जाए तो छोटे निवेशक निश्चित समय अवधि के लिए धन लगाना अधिक पसंद करते हैं जो आमतौर पर तीन से पांच वर्ष की होती है। भारत में इक्विटी से लंबी अवधि का रिटर्न लगभग 18-20 फीसदी प्रतिवर्ष रहने का अनुमान है। भारतीय अर्थव्यवस्था मध्यम से लंबी अवधि में वास्तविक स्थितियों में 7-8 फीसदी की रफ्तार से बढ़ सकती है। ज्यादातर लिस्टेड कंपनियां मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज सेक्टरों की हैं और ये सेक्टर सकल घरेलू उत्पाद ( जीडीपी ) की तुलना में तेज गति से विकास करेंगे जिससे कृषि में धीमे विकास की भरपाई हो जाएगी। ये सेक्टर लगभग 18-20 फीसदी की दर से बढ़ सकते हैं और अगर आप इन सेक्टरों की ब्लू चिप कंपनियों में निवेश करते हैं तो लंबी अवधि में आप अच्छे रिटर्न की उम्मीद कर सकते हैं। कुछ लोग यह दलील दे सकते हैं कि वैश्विक मंदी , नकदी की कमी और निवेश के कम होने से विकास दर में गिरावट आ सकती है। ये लोग भले ही लघु अवधि में सही साबित हों , लेकिन अगर आशावादियों के नजरिए से देखा जाए तो अगली दो तिमाहियों में सुधार आना शुरू हो जाएगा। अगर अगले वर्ष विकास दर में 1-2 फीसदी की कमी होती है तो भी भारत निवेश के लिए एक अच्छा विकल्प होगा। तीस वर्ष पहले जीडीपी में कृषि का सबसे अधिक योगदान होता है लेकिन लंबी अवधि में इस क्षेत्र में कभी भी औसतन 2.5- 3 फीसदी से अधिक का विकास नहीं देखा गया। इस समय जीडीपी में सर्विसेज सेक्टर को 60 फीसदी से अधिक योगदान है और सामान्य स्थितियों में यह 10 फीसदी सालाना की दर से बढ़ सकता है। शेयर बाजार को लेकर इस वर्ष की शुरुआत में जहां आशाओं की कोई सीमा नहीं थी , वहीं अब निराशा के अलावा कुछ नजर नहीं आ रहा। जनवरी , 2008 में इक्विटी में निवेश करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही थी , लेकिन अक्टूबर में ये संख्या लगातार घट रही है। शेयर बाजारों में 50 फीसदी से अधिक की गिरावट आ चुकी है और यह निवेश का एक अच्छा समय है।
लेकिन निवेशकों को अस्थिरता का भी सामना करना सीखना होगा क्योंकि बाजार यहां से 10-20 फीसदी और गिर सकते हैं। निवेशक अभी अपने अतिरिक्त धन का निवेश कर रिटर्न का इंतजार कर सकते हैं। अगर मौजूदा स्तरों से और गिरावट की प्रतीक्षा करेंगे तो आप आकर्षक मूल्यांकन पर निवेश का मौका चूक सकते हैं। वैश्विक आर्थिक स्थितियों और उनके भारत पर असर को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि बाजार अपने निम्नतम स्तर के करीब हैं। इसके लिए कुछ कारण इस प्रकार हैं : कच्चे तेल के दामों में काफी कमी आई है जो कि भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण कारण है। भारत एक इतनी बड़ी अर्थव्यवस्था है कि अगर आप इसे बाकी दुनिया से पूरी तरह अलग - थलग कर दें तो भी यह अपने दम पर खड़ा रहकर आगे बढ़ सकता है ( आयातित कच्चे तेल पर निर्भरता को छोड़कर ) । बड़े पेंशन फंड और निवेशकों को आगे जाकर यह पता चलेगा कि विकास के लिहाज से भारत से अधिक आकर्षक कोई भी देश नहीं है। मौद्रिक नीतियों में ढील देने और ब्याज दरों में कटौती से धीरे - धीरे विश्वास और निवेश की गति लौटेगी। बाजार जब 21,000 अंकों के स्तर पर था तो कच्चे तेल के महंगे दामों के अलावा कुछ भी नकारात्मक नजर नहीं आ रहा था। बाजार अब 9,000 अंकों के आसपास है और इस समय कच्चे तेल के दामों में कमी को छोड़कर कुछ भी सकारात्मक नहीं दिख रहा। बाजार के उच्चतम स्तर पर पहुंचने पर कोई भी अपना निवेश बेचना नहीं चाहता था और इस समय कोई भी निवेश करने वाले नजर नहीं आ रहे। उस समय समय प्रत्येक व्यक्ति उधार लेना चाहता , अब हर कोई नकदी अपने पास रखने की फिराक में है। इस बात को लेकर कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि अगर अगले कुछ महीनों में ब्याज दरें गिरने और इक्विटी के चढ़ने के बावजूद कॉरपोरेट , बड़े निवेशक और म्यूचुअल फंड नकदी अपनी पास रखने में ज्यादा रूचि लें। इस समय हम नकदी को लेकर जुनून के दौर से गुजर रहे हैं जहां प्रत्येक व्यक्ति नकदी रखने की सलाह दे रहा है। अगर आपके पास नकदी मौजूद है तो अभी निवेश करें। अगर आप डेट में निवेश करते हैं और आज की रिटर्न पर अधिक से अधिक धन लगाएं क्योंकि आगामी महीनों में यह गिर सकता है। आप गिल्ट म्यूचुअल फंडों के जरिए सरकारी प्रतिभूतियों में भी निवेश कर सकते हैं। अगर आप जोखिम लेने की क्षमता रखते हैं तो इक्विटी में या अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड वाले म्यूचुअल फंडों में धन लगाना शुरू करें। इक्विटी में निवेश करने वालों को कम से कम तीन से पांच वर्ष के लिए धन लगाना होगा। इस समय इक्विटी बाजार वर्ष 2007 में लालच पर आधारित नहीं हैं , जब कम समय में ही बहुत अधिक रिटर्न मिल जाया करता था। आज बाजार में डर का माहौल है और अच्छी कंपनियों के शेयर आकर्षक दामों पर उपलब्ध हैं लेकिन अच्छा रिटर्न तभी मिलेगा जब सही जोखिम लेने के साथ संयम और अनुशासन से आप शेयर बाजार में निवेश करेंगे।
लेकिन निवेशकों को अस्थिरता का भी सामना करना सीखना होगा क्योंकि बाजार यहां से 10-20 फीसदी और गिर सकते हैं। निवेशक अभी अपने अतिरिक्त धन का निवेश कर रिटर्न का इंतजार कर सकते हैं। अगर मौजूदा स्तरों से और गिरावट की प्रतीक्षा करेंगे तो आप आकर्षक मूल्यांकन पर निवेश का मौका चूक सकते हैं। वैश्विक आर्थिक स्थितियों और उनके भारत पर असर को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि बाजार अपने निम्नतम स्तर के करीब हैं। इसके लिए कुछ कारण इस प्रकार हैं : कच्चे तेल के दामों में काफी कमी आई है जो कि भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण कारण है। भारत एक इतनी बड़ी अर्थव्यवस्था है कि अगर आप इसे बाकी दुनिया से पूरी तरह अलग - थलग कर दें तो भी यह अपने दम पर खड़ा रहकर आगे बढ़ सकता है ( आयातित कच्चे तेल पर निर्भरता को छोड़कर ) । बड़े पेंशन फंड और निवेशकों को आगे जाकर यह पता चलेगा कि विकास के लिहाज से भारत से अधिक आकर्षक कोई भी देश नहीं है। मौद्रिक नीतियों में ढील देने और ब्याज दरों में कटौती से धीरे - धीरे विश्वास और निवेश की गति लौटेगी। बाजार जब 21,000 अंकों के स्तर पर था तो कच्चे तेल के महंगे दामों के अलावा कुछ भी नकारात्मक नजर नहीं आ रहा था। बाजार अब 9,000 अंकों के आसपास है और इस समय कच्चे तेल के दामों में कमी को छोड़कर कुछ भी सकारात्मक नहीं दिख रहा। बाजार के उच्चतम स्तर पर पहुंचने पर कोई भी अपना निवेश बेचना नहीं चाहता था और इस समय कोई भी निवेश करने वाले नजर नहीं आ रहे। उस समय समय प्रत्येक व्यक्ति उधार लेना चाहता , अब हर कोई नकदी अपने पास रखने की फिराक में है। इस बात को लेकर कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि अगर अगले कुछ महीनों में ब्याज दरें गिरने और इक्विटी के चढ़ने के बावजूद कॉरपोरेट , बड़े निवेशक और म्यूचुअल फंड नकदी अपनी पास रखने में ज्यादा रूचि लें। इस समय हम नकदी को लेकर जुनून के दौर से गुजर रहे हैं जहां प्रत्येक व्यक्ति नकदी रखने की सलाह दे रहा है। अगर आपके पास नकदी मौजूद है तो अभी निवेश करें। अगर आप डेट में निवेश करते हैं और आज की रिटर्न पर अधिक से अधिक धन लगाएं क्योंकि आगामी महीनों में यह गिर सकता है। आप गिल्ट म्यूचुअल फंडों के जरिए सरकारी प्रतिभूतियों में भी निवेश कर सकते हैं। अगर आप जोखिम लेने की क्षमता रखते हैं तो इक्विटी में या अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड वाले म्यूचुअल फंडों में धन लगाना शुरू करें। इक्विटी में निवेश करने वालों को कम से कम तीन से पांच वर्ष के लिए धन लगाना होगा। इस समय इक्विटी बाजार वर्ष 2007 में लालच पर आधारित नहीं हैं , जब कम समय में ही बहुत अधिक रिटर्न मिल जाया करता था। आज बाजार में डर का माहौल है और अच्छी कंपनियों के शेयर आकर्षक दामों पर उपलब्ध हैं लेकिन अच्छा रिटर्न तभी मिलेगा जब सही जोखिम लेने के साथ संयम और अनुशासन से आप शेयर बाजार में निवेश करेंगे।
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