Sunday, November 9, 2008

बढ़िया शेयरों को खरीदने का सही वक्त

ढहते शेयर बाजारों और बढ़ता कर्ज, बाजार के हालात में इन दिनों कितना अंधियारा छाया है? क्या उत्साहित और बढ़त के वादे करने वाले बाजार अब डूबने वाले जहाज और गहरी खाई में बदल गए हैं। कठिनाइयों की सैकड़ों कहानियों और मेहनत की गाढ़ी कमाई के गायब होने से जुड़ी खबरों ने आथिर्क माहौल को भारी बनाया हुआ है। शेयर बाजार चक्रीय पैटर्न पर चलते हैं। अगर आज बाजार ऊंचाइयों पर खड़ा है तो कल उसे नीचे आने से भी कोई नहीं रोक सकता और आगे का सिलसिला भी इसी तरह होगा। फिलहाल इंडेक्स निम्नतम स्तरों पर खड़ा है, ऐसे में इस वक्त को वैल्यू पिक चुनने के मौके के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है।
जोखिम सहने की क्षमता
निवेशक को सबसे पहले जोखिम सहने की अपनी क्षमता पर गौर करना चाहिए। जोखिम सहने की कम क्षमता रखने वाला व्यक्ति इंडेक्स के जरा सा सरकने पर घबराहट की चपेट में आ सकता है। ऐसे निवेशक को अपना पैसा डेट निवेश तक सीमित रखना चाहिए। थोड़ा जोखिम सहने का सार्मथ्य रखने वाले निवेशक बैलेंस्ड फंड या म्युचूअल फंड सिस्टेमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान यानी एसआईपी में निवेश करना चाहिए। जोखिम सहने की अत्यधिक क्षमता रखने वाले निवेशकों को ही उठापटक के इस वक्त में बाजार में कदम रखना चाहिए। अगर आपके पास बाजार का पर्याप्त अध्ययन करने का वक्त नहीं है तो बेहतर यह होगा कि आप बाजारों से दूर ही रहें।
चुनें बढि़या शेयर
शेयरों की कीमतों में काफी गिरावट आई है। क्या ऐसे शेयर खरीदने दूरदर्शिता नहीं होगी जो बुनियादी रूप से मजबूत हैं और फिलहाल कौड़ियों के दाम पर उपलब्ध हैं? वैल्यू इनवेस्टिंग ऐसे स्टॉक चुनने की प्रक्रिया हैं, जिनके दाम फिलहाल उनकी क्षमता के हिसाब से काफी निचले स्तरों पर हैं। यहां ऐसी कंपनियों के शेयरों को तरजीह दी जाती है जो बाजार में अंडरवैल्यू हैं। निवेशकों का मानना है कि बाजार कई बार अतिवादी प्रतिक्रिया दिखाता है और कीमतों में उतार-चढ़ाव कंपनी के लंबी अवधि के बुनियादी पक्षों पर ज्यादा असर नहीं डालती। वैल्यू इनवेस्टिंग में कंपनी की वास्तविक कीमत का आकलन करना सबसे ज्यादा जरूरी होता है। यह काफी मुश्किल है और 2 अलग-अलग निवेशक एक ही कंपनी की अलग-अलग वैल्यू तक पहुंच सकते हैं। इसलिए वैल्यू निवेशकों को इसका आकलन करते हुए सुरक्षा का मार्जिन या गलतियों के लिए गुंजाइश छोड़नी चाहिए। असेट वैल्यू, डिविडेंड, आमदनी, नकद प्रवाह और दूसरे अनुपातों के आधार पर एक निवेशक कंपनी की आंतरिक वैल्यू तक पहुंचता है। जब मौजूदा बाजार भाव, वास्तविक वैल्यू से कम हो तो वैल्यू निवेशक को निवेश करने का फैसला करना चाहिए। हालांकि पिटे हुए और बाजार की आंधी में छिपे रह गए बढ़िया शेयरों को चुनने के लिए कोई तय नियम नहीं है लेकिन कुछ ऐसे सिद्धांत हैं जो वैल्यू निवेशकों को अपने दिमाग में रखने चाहिए। पीईजी रेश्यो अगर एक से कम है तो यह इस बात का संकेत हो सकता है कि शेयर अंडर वैल्यू है। कम पीई अनुपात होने पर भी ऐसे शेयरों का पता लगाया जा सकता है। इस अनुपात को एक ही उद्योग से जुड़ी 2 अलग-अलग कंपनियों के बीच तुलना करने में इस्तेमाल किया जा सकता है। डेट-इक्विटी रेश्यो का एक से कम होना और लंबी अवधि में आमदनी में मजबूत बढ़त भी बढि़या संकेत हैं। बाजार की आम अवधारणा के मुताबिक शेयरों की कीमत सभी प्रासंगिक जानकारी का अक्स देती है और इसलिए पहले से ही कंपनियों की आंतरिक वैल्यू का अंदाजा देती है। लेकिन वैल्यू इनवेस्टिंग करने वाले लोगों के लिए यह अवधारणा सही नहीं है क्योंकि वे शेयरों की वास्तविक कीमत तक पहुंचकर निवेश करते हैं जो उनका बाजार भाव नहीं दर्शाता। वैल्यू इनवेस्टिंग का विकल्प हर किसी के लिए नहीं है। केवल वही लोग इस डगर पर चल सकते हैं जिनके पास बाजार की अच्छी खासी जानकारी, जोखिम सहने की उनकी क्षमता, अध्ययन के लिए वक्त, लंबे वक्त तक इंतजार करने का संयम और खंगालने की इच्छा होती है। अगर आपके हाथ में पैसा है और आप ज्यादा जोखिम उठाने की क्षमता रखते हैं तो बाजार में पिटाई के इस दौर में वैल्यू स्टॉक चुनने का यह सही वक्त है।
-कविता श्रीराम

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