Wednesday, November 26, 2008

वैल्यू इनवेस्टिंग है आज के दौर का मंत्र

इक्विटी में पैसा लगाने वाले लोग पहली बार इस तरह के हालात का सामना कर रहे हैं। इस बात पर गौर कीजिए कि अतीत में क्या कहा गया था और किस तरह 2008 की मुश्किल घड़ी ने उस वक्त दी गई सलाह के पीछे के सिद्धांत को एक बार फिर सही ठहराया है। पेश है ऐसे कुछ सिद्धांत जो कभी नहीं बदलते। जिस किसी निवेशक ने इस सलाह पर अमल किया था, वह आज के हालात में भी बढ़िया स्थिति में है। आपके निवेश की मार्केट वैल्यू भले आज नीचे हो, लेकिन अगर आपको इस रकम की जरूरत आने वाले वर्षों में नहीं पड़ने वाली तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। फिलहाल आपको इस पैसे की जरूरत नहीं है, इसलिए निवेश बढ़ाने का यह एक और मौका हो सकता है। हम जो कह रहे हैं, उस पर ज्यादातर निवेशकों की स्वाभाविक प्रतिक्रिया है कि गिरावट में उन्होंने पैसा खोया है। वे कह रहे हैं, 'भविष्य में रिटर्न मिल सकता है, लेकिन उस नुकसान का क्या जो हम आज उठा रहे हैं।' जो लोग ऐसा कह रहे हैं, वे अंकगणित में सही हो सकते हैं, लेकिन भविष्य को लेकर उनकी आशंका सही नहीं है। निवेश के जिस नजरिए की वकालत हम कर रहे हैं, वह भविष्य की ओर देखने की बात कहता है।
इतिहास ने किया साबित
अगर आपने 1997 की शुरुआत में सेंसेक्स आधारित इंडेक्स फंड में हर महीने 20,000 रुपए निवेश करना शुरू किया था और बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद इसे जारी रखा तो आज आपको सालाना 14 फीसदी रिटर्न हासिल हुआ होता। 1997 से लेकर अब तक इस हिसाब से आपने 28.6 लाख रुपए निवेश किए और आज आपकी यह रकम 66 लाख रुपए हो गई होती। इक्विटी से यह रिटर्न बाजार की मौजूदा तबाही के बावजूद आपको हासिल हुआ होता। इस दौरान कई म्यूचुअल फंड ने सेंसेक्स को भी पीछे छोड़ा है। इस हिसाब से अगर आपने मीडियम फंड में हर महीने 20,000 रुपए निवेश किया होता तो 10 साल में आपकी कुल रकम 1.04 करोड़ रुपए हो गई होती। यह बात और है कि इस दौरान शेयर बाजार ने दो बड़ी गिरावट देखी है। इसमें मौजूदा गिरावट भी शामिल है। आज बाजार लंबी अवधि के निचले स्तर पर है। बाजार जब वापसी करेगा तो आपको बेहतर रिटर्न मिलेंगे। लंबी मियाद में निवेश के तथाकथित 'सुरक्षित' फिक्स्ड इनकम माध्यमों ने 'असुरक्षित' समझे जाने वाले इक्विटी से भी बदतर प्रदर्शन किया। इसलिए इन दोनों के बीच कहीं कोई मुकाबला नहीं है। 1997 से अब तक अगर आपने फिक्स्ड इनकम विकल्पों में पैसा लगाया होता तो आपको सालाना आठ फीसदी से ज्यादा रिटर्न नहीं मिलता। यानी 10 साल तक हर महीने 20,000 रुपए का इन विकल्पों में निवेश करने पर आज आपकी कुल रकम करीब 44 लाख रुपए होती।
गिरावट आपका दोस्त
आप गिरावट के बावजूद कैसे पैसा बनाने में कामयाब हो सकते हैं? इसका जवाब उन लोगों के लिए आसान है जो इस बात से वाकिफ हैं कि यहां चल रही गतिविधियों का गणित वास्तव में क्या है। बाजार में गिरावट से आपको सस्ते स्तरों पर खरीदारी का मौका मिलता है और आपका कुल रिटर्न बढ़ता है। अगर आप धीमी रफ्तार से लंबी मियाद में पैसा लगा रहे हैं तो बीच में आने वाली गिरावटों से आपको ज्यादा मुनाफा कमाने में मदद मिलती है न कि कम। इसी तरह 2008 की गिरावट से भी आखिरकार मुनाफा ही होगा। शेयर अब सस्ते हैं और संभवत: और सस्ते हो सकते हैं। यह गिरावट जितनी गहरी और लंबी होगी, आप उतना ज्यादा फायदा इससे कमा सकते हैं। अगर आप यह जानते हैं कि आपके लिए सही क्या है तो आपको सेंसेक्स के 6,000 या 7,000 तक लुढ़कने और कुछ महीनों या साल तक मंदी के बने रहने की दुआ करनी चाहिए। इक्विटी इनवेस्टिंग का सीक्रेट भी यही है और कहानी का असल निचोड़ भी।
- धीरेन्द्र कुमार

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