Tuesday, November 11, 2008

अब ले लें निवेश के फैसले

नई दिल्ली : शेयर बाजारों में चल रही गिरावट की मार से कई कंपनियों के शेयर अपने उच्चतम स्तर से आधे की कीमत पर आ गए हैं। नवंबर के पहले हफ्ते तक सेंसेक्स जनवरी के अपने 21,206.8 अंक के स्तर से 52.3 फीसदी नीचे चला गया है। इसी अवधि में निफ्टी में तकरीबन 53 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। इस वक्त ज्यादातर निवेशक बाजार में चल रही मंदी की मार से चिंतित दिखाई दे रहे हैं, लेकिन निवेशक एक अहम तथ्य की उपेक्षा कर रहे हैं। बाजार में गिरावट की वजह से तमाम कंपनियों के शेयरों की कीमत उनकी बुक वैल्यू से भी नीचे चली गई है। किसी भी कंपनी की बुक वैल्यू से उस कंपनी की परिसंपत्तियों और देनदारियों के बीच के अंतर का पता चलता है। दूसरे शब्दों में कहें तो बुक वैल्यू से यह पता चलता है कि अगर कंपनी बंद होने की स्थिति में आ गई तो उसकी देनदारियों को चुकाने के बाद और संपत्तियों को बेचने के बाद आपको क्या मिलेगा। ऐसे में अगर कोई कंपनी बेहतर मुनाफे वाले कारोबार में लगी हो तो अमूमन उसकी वैल्यू बुक वैल्यू से कहीं ज्यादा होती है। क्योंकि कंपनी की मुनाफा कमाने की क्षमता ज्यादा होती है। ऐसे में इन कंपनियों के शेयरों की इनकी बुक वैल्यू से कम दाम पर खरीद निवेशक निवेश के जोखिम को कम कर सकते हैं। बीएसई 500 सूचकांक में शामिल 500 कंपनियों के शेयरों के विश्लेषण से पता चलता है कि इस वक्त इनमें से हर तीन में से एक कंपनी के शेयर अपनी बुक वैल्यू से नीचे की कीमत पर चल रहे हैं। बीएसई 500 की कंपनियों में से 479 कंपनियों के शेयरों के सैंपल को अध्ययन में शामिल किया गया। इन कंपनियों के हाल में जारी किए गए वुक वैल्यू की जानकारियों का अध्ययन किया गया। इन कंपनियों के शेयरों की बाजार कीमत को इनकी बुक वैल्यू से भाग दिया गया। इससे इनकी प्राइस और बुक वैल्यू के अनुपात (प्राइस/बुक वैल्यू) का पता चला। इस अध्ययन के मुताबिक कम से कम 170 कंपनियों के शेयरों के भाव इस वक्त इनकी बुक वैल्यू से कम पर चल रहे हैं। आश्चर्यजनक तौर पर 21 जनवरी को जबकि शेयर बाजार में भारी नुकसान होने की वजह से कारोबार को कुछ वक्त के लिए रोकना पड़ा था उस वक्त केवल 26 कंपनियों के शेयर अपनी बुक वैल्यू से कम पर चल रहे थे। स्टडी से यह भी पता चला कि 3 नवंबर को 10 में से नौ कंपनियों के शेयरों में कारोबार प्राइस/बुक वैल्यू उनकी 21 जनवरी की वैल्यू से कम पर चल रही थी। इस लिस्ट में सबसे ऊपर रियल एस्टेट कंपनियां हैं। रियल्टी कंपनियों की बुक वैल्यू में इस अवधि के दौरान भारी गिरावट दर्ज की गई है। इस लिस्ट में शामिल टॉप 10 कंपनियों में से पांच रियल्टी सेक्टर की कंपनियां हैं। प्राइस/बुक वैल्यू में कमी आने की दो अहम वजहें हैं। इस दौरान न केवल कंपनियों के शेयरों की कीमतों में काफी गिरावट रही बल्कि ज्यादातर मामलों में बुक वैल्यू में भी इजाफा देखा गया। हर पांच में से चार कंपनियों की बुक वैल्यू में जनवरी से नवंबर के दौरान उछाल देखा गया है। निवेशक प्राइस और बुक वैल्यू के अनुपात को निवेश के फैसले के लिए एक आधार के तौर पर ले सकते हैं। प्राइस और बुक वैल्यू के अनुपात का एक से कम पर होना निवेशकों के लिए कम जोखिम भरा सौदा होने की ओर इंगित करता है। ईटीआईजी के अध्ययन से निकल कर सामने आया है कि जनवरी के बाद से कई कंपनियों के प्राइस और बुक वैल्यू के अनुपात में काफी गिरावट आई है।
-रंजीत शिंदे

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