Saturday, November 22, 2008

क्या निवेश सम्राट वारेन बफे का जादू खत्म हुआ



न्यूयॉर्क: अमेरिका के सबसे रईस और शेयर मार्केट में पैसा कमाने के सबसे बड़े जादूगर माने जाने वाले वारेन बफे को क्या हो गया है? क्या अब शेयर बा
जार की चाल पहचानने में वो चूक करने लगे हैं! दुनिया भर और खासकर अमेरिकी इनवेस्टर और आम लोगों के जहन में ये सवाल अब उठने लगे हैं। Tech बबल के समय भी बफे के कुछ इनवेस्टमेंट फैसले गलत साबित हुए थे। लेकिन अब तक कुल मिलाकर बफे को सही समय पर बाजार में घुसने और निकलने की कला के कारण जाना जाता है। वारेन बफे की कंपनी बर्कशायर हैथवे की हालत अब खराब हो चली है। इस तरह के भी सवाल पूछे जाने लगे हैं कि शेयर बाजार का ये बाजीगर क्या अपनी कंपनी के कर्ज चुका पाएगा। हैथवे के शेयर दिसंबर के ऊंचे लेवल से 50 परसेंट गिर चुके हैं। हैथवे पर सबसे बुरी मार इंश्योरेंस सेक्टर से आ रहे कम रिटर्न की वजह से पड़ी है। इस बीच कंपनी की क्रेडिट रेटिंग AAA से घटकर BBB हो चुकी है। बर्कशायर हैथवे सुनहरे रिटर्न देने वाली कंपनी मानी जाती है। इसके लगभग 80 बिजनेस हैं, जिनमें कार इंश्योरेंस, क्लोदिंग, फूड, किचन के सामान, और कंस्ट्रक्शन शामिल हैं। इसके अलावा बर्कशायर के पास कई कंपनियों के अरबों डॉलर के स्टाक्स हैं। दरअसल, बर्कशायर की पूंजी इतने क्षेत्रों में लगी है कि किसी एक सेक्टर में आई गिरावट से उसे खास फर्क नहीं आएगा। लेकिन इस समय तो लगभग हर सेक्टर में मंदी है और बर्कशायर पर उसका असर दिख रहा है। बफे की कंपनी का स्टॉक मार्केट में 76 अरब डॉलर का इनवेस्टमेंट हैं। जिन कंपनियों में बफे का पैसा लगा है, उनमें अमेरिकन एक्सप्रेस, कोका कोला, प्रॉक्टर एंड गैंबल और वेल्स फार्गे शामिल हैं। बफे ने पिछले कुछ महीनों में जनरल इलेक्ट्रिक और गोल्डमैन सैक्स में 8 अरब डॉलर के प्रेफर्ड शेयर खरीदे थे। निवेशक अब बफे के उस फैसले पर सवाल उठा रहे हैं, क्योंकि दोनों कंपनियों के शेयर अब काफी नीचे चल रहे हैं। बर्कशायर क्लास ए के शेयर इस समय 2003 के बाद के लोएस्ट लेवल पर हैं। इस साल दिसंबर 11 को ये स्टॉक 1,51,650 डॉलर के लेवल पर था। अब ये 74,100 डॉलर पर पहुंच गया है। ये न्यूयॉर्क स्टॉक्स एक्सचेंज का सबसे महंगा शेयर है। बर्कशायर ने 7 नवंबर को कहा था कि तीसरी तिमाही में उसका प्रॉफिट 77 परसेंट कम हो गया है। कंपनी ने लगातार चौथी तिमाही में गिरावट दिखाई है। अगर अमेरिकी शेयर बाजार नहीं सुधरता है तो 2019 से लेकर 2027 के बीच बर्कशायर को 37.4 अरब डॉलर चुकाने पड़ सकते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि बफे ने कुछ डेरिवेटिव कॉन्ट्रेक्ट ऊंचे रेट पर किए थे। लेकिन बफे को लेकर हर कोई निराश नहीं है। लोगों को उम्मीद है कि बफे सही समय पर सही कारोबारी फैसले कर फिर से चांदी काटेंगे। कई इंश्योरेंस कंपनियां बैंकिंग कंपनी बनने की फिराक में हैं ताकि उन्हें यूएस सरकार के 700 अरब डॉलर के बेलआउट प्लान का फायदा मिल सके। इन कंपनियों में लगा बफे का पैसा फिर जादू कर सकता है।

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