बाजार में मंदी के दौर का एक फायदा है कि यह बढ़िया प्रदर्शन करने वाले फंडों को दूसरों की भीड़ से अलग खड़ा कर देता है। बाजार में तेजी के वक्त निवेशकों के लिए काम ज्यादा मुश्किल नहीं होता क्योंकि सप्ताह दर सप्ताह आधार पर उनके सामने अगुवा फंड का नया समूह खड़ा होता है। लंबी अवधि के लिए पैसा लगाने वाले निवेशक छोटी मियाद के विजेताओं की ओर नहीं देखते , लेकिन ऐसे कुछ ही लोग होते हैं जो निरंतरता पर रिटर्न को नजरअंदाज करने में कामयाब होते हैं। बाजार मंदी की गिरफ्त में हो तो निवेशकों के हाथ में पर्याप्त वक्त होता है और वह अपने मुताबिक उसका इस्तेमाल करने की स्वतंत्रता ले सकता है क्योंकि एनएवी ( नेट एसेट वैल्यू ) कुछ ही दिनों में गायब होने वाली चीज नहीं है। अब सवाल यह उठता है कि आप ऐसे वक्त एक फंड का चुनाव कैसे करें , जब सभी फंड पैसा गंवा रहे हों ? अगर आप खेल के कुछ बुनियादी सिद्धांतों पर कायम रहते हैं तो यह काम बहुत मुश्किल नहीं है। मसलन , पोर्टफोलियो के लिए फंड का चुनाव करने से पहले अपने संपत्ति आवंटन पर गौर कीजिए। हालांकि , फंड का चुनाव और संपत्ति आवंटन हमेशा एक - सा नहीं रहता , क्योंकि आपको निरंतर आधार पर निवेश प्रक्रिया की समीक्षा करने की जरूरत होती है। उदाहरण के लिए मौजूदा स्तरों पर इनकम फंड या लिक्विड फंड में पैसा लगाना बेहतर विकल्प साबित हो सकता है , लेकिन ज्यादा लंबे वक्त के लिए नहीं। ब्याज दरों में गिरावट और शेयर बाजारों में उथल - पुथल के इस समय में डेट के जरिए निवेश करना भी आकर्षक दिख रहा है। लंबी अवधि में हालांकि इक्विटी बाजार बेहतर रिटर्न देने का माद्दा रखता है। पोर्टफोलियो के लिए फंड के मिश्रण पर लौटें तो बढ़िया टैक रिकॉर्ड रखने वाले डायवर्सिफाइड फंड पर भरोसा कीजिए। रिटर्न के ट्रैक रेकॉर्ड के अलावा फंड के निवेश के तरीके पर भी गौर कीजिए। मसलन , वैल्यू पिकिंग एक ऐसा टर्म है जिसे अपनाते सभी फंड हाउस हैं लेकिन इसके सिद्धांत पर चलने वाले फंड हाउस कम ही हैं।
इस साल की शुरुआत में वैल्यू इनवेस्टमेंट रणनीति रखने वाले फंड हाउस 50 से ज्यादा पीई रखने वाले रियल्टी स्टॉक या पावर सेक्टर के शेयरों के पीछे भागते देखे गए थे। एक बढ़िया म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो में निवेश की जोखिम सहन करने की क्षमता का अक्स नजर आना चाहिए इसलिए इसका कोई एक फॉर्मूला नहीं हो सकता। हालांकि बाजार की मौजूदा स्थिति में निवेशक लार्ज कैप आवंटन को लेकर जेब का दरवाजा खोल सकते है। डायवर्सिफाइड फंड लार्ज कैप शेयरों पर स्वाभाविक फोकस रखते हैं , इसलिए इन फंड में ज्यादा पैसा लगाना जरूरी हो जाता है। फंड चुनते वक्त पोर्टफोलियो को मिश्रित रूप से तैयार करने पर विचार कीजिए। एक जैसा स्टॉक पोर्टफोलियो रखने वाले कई सारे फंड भी डायवर्सफिकेशन का उद्देश्य पूरा नहीं करते। यहां , निवेशकों को विश्लेषण संबंधी कौशल का इस्तेमाल करना चाहिए और अगर आवश्यकता पड़े तो प्रोफेशनल की मदद लेने से भी नहीं हिचकिचाना चाहिए। बाजार की कमजोरी ने मिड कैप शेयरों की चमक पर चोट की है लेकिन अपनी रकम का 10-15 फीसदी हिस्सा इन फंड में लगाना लंबी अवधि में बढ़िया रणनीति साबित हो सकता है। हालांकि आपको मिड कैप फंड चुनते वक्त काफी सतर्कता बरतने की जरूरत होती है क्योंकि उनका प्रदर्शन अलग - अलग फंड में अलग - अलग होता है। बीते 12-24 सालों में कई फंड हाउस ने मिड कैप स्टॉक पर फोकस करने वाले फंड लॉन्च किए हैं लेकिन इनमें से कुछ ही कामयाब ही हुए।
इस साल की शुरुआत में वैल्यू इनवेस्टमेंट रणनीति रखने वाले फंड हाउस 50 से ज्यादा पीई रखने वाले रियल्टी स्टॉक या पावर सेक्टर के शेयरों के पीछे भागते देखे गए थे। एक बढ़िया म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो में निवेश की जोखिम सहन करने की क्षमता का अक्स नजर आना चाहिए इसलिए इसका कोई एक फॉर्मूला नहीं हो सकता। हालांकि बाजार की मौजूदा स्थिति में निवेशक लार्ज कैप आवंटन को लेकर जेब का दरवाजा खोल सकते है। डायवर्सिफाइड फंड लार्ज कैप शेयरों पर स्वाभाविक फोकस रखते हैं , इसलिए इन फंड में ज्यादा पैसा लगाना जरूरी हो जाता है। फंड चुनते वक्त पोर्टफोलियो को मिश्रित रूप से तैयार करने पर विचार कीजिए। एक जैसा स्टॉक पोर्टफोलियो रखने वाले कई सारे फंड भी डायवर्सफिकेशन का उद्देश्य पूरा नहीं करते। यहां , निवेशकों को विश्लेषण संबंधी कौशल का इस्तेमाल करना चाहिए और अगर आवश्यकता पड़े तो प्रोफेशनल की मदद लेने से भी नहीं हिचकिचाना चाहिए। बाजार की कमजोरी ने मिड कैप शेयरों की चमक पर चोट की है लेकिन अपनी रकम का 10-15 फीसदी हिस्सा इन फंड में लगाना लंबी अवधि में बढ़िया रणनीति साबित हो सकता है। हालांकि आपको मिड कैप फंड चुनते वक्त काफी सतर्कता बरतने की जरूरत होती है क्योंकि उनका प्रदर्शन अलग - अलग फंड में अलग - अलग होता है। बीते 12-24 सालों में कई फंड हाउस ने मिड कैप स्टॉक पर फोकस करने वाले फंड लॉन्च किए हैं लेकिन इनमें से कुछ ही कामयाब ही हुए।
-श्रीकला भाष्यम
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