शेयर बाजारों में पिछले कुछ समय से मंदी का दौर जारी है और बहुत से निवेशक अब अपने म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो की ओर देखना भी पसंद नहीं कर रहे। शायद यही समय इस पोर्टफोलियो में बदलाव कर इसे बेहतर बनाने का है। अगर बाजार ने अपने निवेश का मूल्य घटाया है तो साथ ही निवेश के नए मौके भी दिए हैं। आप गिरावट में निम्न तरीकों से म्यूचुअल फंड में निवेश कर फायदा उठा सकते हैं:
एमएफ योजनाओं की सूची बनाएं
पोर्टफोलियो में से किन योजनाओं को हटाया जाए और कौन सी नई योजनाओं में धन लगाया जाए , इसका फैसला करने से पहले आपको अपने पोर्टफोलियो में मौजूद इक्विटी म्यूचुअल फंड योजनाओं की सूची बनानी चाहिए। इससे आपको यह पता चल सकेगा कि इन योजनाओं मे आपने कितना निवेश किया है और इस समय उसका क्या मूल्य है। आप यह भी पता लगा पाएंगे कि जब आपने निवेश किया था तो आपके पोर्टफोलियो में इसका कितना हिस्सा (फीसदी में) था।
आपके निवेश का आधार क्या था
यह जानने की कोशिश करें कि आपने कोई विशेष फंड क्यों खरीदा था। ऐसा हो सकता है कि आपने कोई कमोडिटी आधारित थीमेटिक फंड यह सोचकर खरीदा हो कि कमोडिटी के दाम बढ़ने वाले हैं। हो सकता है कि आज आपको अपने इस फैसले पर हैरानी हो रही हो। निवेश के पीछे कारणों को खोजने का उद्देश्य आपकी गलतियों को खंगालना नहीं बल्कि उनसे सीख लेना है। इसके साथ ही आपको खुद से एक प्रश्न भी पूछना चाहिए कि अगर आपके पास यह फंड नहीं होता और कुछ नकदी मौजूद होती तो क्या आप इस फंड में निवेश करते ? अगर आपका जवाब ' नहीं ' है तो शायद यह फंड आपके पोर्टफोलियो में नहीं होना चाहिए। हालांकि , किसी निवेश से बाहर निकलने का फैसला करने से पहले आपको कुछ और बातों पर ध्यान देना होगा।
आपके वित्तीय लक्ष्य और जोखिम उठाने की क्षमता
जोखिम उठाने की अपनी क्षमता का आकलन करें। अगर आपने अपने वित्तीय लक्ष्य और उन तक पहुंचने के रास्ते तलाश लिए हैं तो आप बाजार में मौजूद बहुत से विकल्पों में से कुछ में निवेश कर सकते हैं। अगर आप कुछ ऐसे भाग्यशाली लोगों में शामिल हैं , जिनके पास धन की कमी नहीं है और उन्हें अपने रिटायरमेंट के बाद के जीवन के लिए मुदास्फीति को मात देनी है तो आपको अपनी संपत्ति का 90 फीसदी इक्विटी में लगाने की जरूरत नहीं है। इंडेक्स फंड या लार्ज कैप फंड के जरिए 10 फीसदी का निवेश आपके लिए काफी रहेगा। दूसरी ओर अगर आप करियर की शुरुआत कर रहे हैं और अभी आपके ऊपर पारिवारिक जिम्मेदारियां नहीं हैं तो इक्विटी में अधिक निवेश करें। आपको यह भी ध्यान रखना होगा कि यह निवेश लंबी अवधि में ही अधिक फायदा देगा।
किन फंडों को भुनाएं
बहुत से ऐसे निवेशक हैं जिन्होंने अपने पोर्टफोलियो में खराब प्रदर्शन करने वाली योजनाओं की पहचान कर ली है। अगर आप इस बात को लेकर निश्चित हैं कि कोई विशेष फंड आपके उद्देश्यों को पूरा नहीं करेगा तो इसे अलविदा कहना ही बेहतर होगा। उदाहरण के तौर पर अगर आपके पास एक से अधिक इंडेक्स फंड हैं तो उस फंड को रखें जिसका खर्च कम हो और जिसमें ट्रैकिंग एरर भी न्यूनतम हो। बाकी के फंड से बाहर निकल जाएं। जिन फंडों में निवेश का उद्देश्य समान होता है उनका रिटर्न भी एक जैसा ही रहता है। इसलिए ऐसे फंड में निवेश बरकरार रखें जिसका ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा हो और बाकी से बाहर निकल जाएं। फंड की सूची बनाते समय आपको कुछ ऐसे फंड भी मिल सकते हैं जिनकी आपके पोर्टफोलियो में हिस्सेदारी एक फीसदी से भी कम होगी। इनसे पोर्टफोलियो में ज्यादा असर नहीं पड़ता और इन्हें भुनाया जा सकता है।
कर बाध्यता और एग्जिट लोड:
कर बाध्यता और एग्जिट लोड दो ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दे हैं जिन्हें निवेश को भुनाते समय ध्यान रखना चाहिए। इन पर ध्यान देकर आप न्यूनतम नुकसान के साथ पोर्टफोलियो में फेरबदल कर सकते हैं। मान लीजिए आपने किसी इक्विटी फंड में 11 महीने की अवधि में 10 फीसदी का रिटर्न हासिल किया है और कर से बचने के लिए आप इसे लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ में बदलने के लिए एक महीना और रखने का फैसला करते हैं। अगर इस एक महीने में फंड में 15 फीसदी का नुकसान हो जाता है तो आपका मुनाफा भी कम हो जाएगा। इसे भुनाना ही आपके लिए बेहतर होगा। यही बात एग्जिट लोड के साथ भी लागू होती है। अगर आप एक फीसदी का एग्जिट लोड बचाने का प्रयास करते हैं तो हो सकता है कि आपको इससे कहीं अधिक का नुकसान उठाना पड़े। इसलिए निवेश से बाहर निकलने से पहले कर बाध्यता और एग्जिट लोड पर जरूर ध्यान दें।
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