पिछले कुछ महीनों में कई प्रमुख कंपनियों के शेयरों में हर दिन तेज गिरावट होने की वजह से अब यह चर्चा शुरू हो गई है कि इसकी वजह सिर्फ 'अंतरराष्ट्रीय बाजार में कमजोरी' और 'कंपनियों की आमदनी घटने की चिंता' ही नहीं हो सकती। दलाल स्ट्रीट के कई पुराने ब्रोकर्स का मानना है कि कई विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) नकदी और वायदा बाजार में अपना उल्लू सीधा करने के लिए दिलचस्पी ले रहे हैं। इन एफआईआई की वजह से नकदी बाजार में शेयरों की कीमतें घट जाती हैं और इसके बाद उन्हीं सस्ते शेयरों के फ्यूचर में लॉन्ग पोजीशन लेकर ये एफआईआई अच्छा मुनाफा हासिल कर लेते हैं। फिलहाल तो एफआईआई की यह रणनीति काफी कारगर रही है , क्योंकि बाजार लगातार नीचे की ओर जा रहा है और उसमें खरीद-फरोख्त बहुत कम है। ब्रोकर्स का कहना है कि मंदी के बाजार में ऊंचा मुनाफा हासिल करने के लिए बड़ी संख्या में पार्टिसिपेटरी नोट्स (पीएन) जारी करने वाले एफआईआई इस रास्ते को अपना रहे हैं। एक कारोबारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, 'इस जुगत से शेयरों की कीमतों में उतार-चढ़ाव हो रहा है और एफआईआई द्वारा विदेश में शेयरों को उधार लेने या देने (इसके बारे में सेबी जानकारी मांग सकता है) जैसे कार्यों की तुलना में इस पर नजर रख पाना भी कठिन है।' एफआईआई मुनाफा कैसे कमा रहे हैं, इसे एक उदाहरण से समझना होगा। मान लीजिए किसी एफआईआई के एक पीएन एकाउंट में विप्रो के 5 लाख शेयर हैं। इस साल की शुरुआत तक जब बाजार में तरलता थी तो विप्रो के इन 5 लाख शेयरों को आसानी से बिना घाटे के बेचा जा सकता था। आज हालत यह है कि बाजार में तरलता बिल्कुल नहीं है इसलिए विप्रो के इन शेयरों के लिए एक सत्र में खरीदार मिलना बहुत मुश्किल है। बहुत हुआ तो एफआईआई करीब 2.5 लाख शेयर बेच सकते हैं। मान लीजिए जब एफआईआई ने विप्रो के शेयरों की बिकवाली शुरू की तो उसकी औसत बिक्री कीमत 330 से 335 रुपए थी। लेकिन इतने बड़े पैमाने पर बिक्री से शेयरों की कीमत में 25 से 30 रुपए की कमी आ जाएगी। मान लिया कि विप्रो के शेयरों की कीमत घटकर 320 रुपए हो गई, जो इसके एक माह के वायदा बाजार कीमत से 1-2 रुपए ज्यादा या कम होगी। इसके बाद एफआईआई ने नकदी बाजार में विप्रो के जितने शेयर बेचे हैं उतने ही शेयरों की स्टॉक फ्यूचर में लॉन्ग पोजीशन ले लेता है। इसके बाद अगले दिन से एफआईआई नकदी बाजार में फिर से धीरे-धीरे शेयरों की खरीद कर अपनी पुरानी स्थिति में वापस जाना शुरू करता है। इस खरीद से विप्रो के शेयरों को मजबूती मिलनी शुरू होती है। आमतौर पर ऐसा होता है कि यदि किसी शेयर का वायदा रेट 102 रुपया हो और बाजार में उसकी कीमत 100 रुपए तो एफआईआई वायदा में बिकवाली कर और बाजार में खरीद कर हर शेयर पर 2 रुपया बना लेता है।
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