Monday, October 20, 2008

निचले स्तर के पास शेयरों की खरीद का दिखाएं दम

शेयर बाजारों में बॉटम फिशिंग (अत्यंत निचले स्तरों पर शेयरों की खरीदारी) गहरे पानी में मछली के लिए जाल बिछाने जैसा है। मतलब साफ है। जब-जब जाल फेंका जाता है तो कितनी मछली पकड़ने की उम्मीद लगाई जानी चाहिए , इसका कोई अंदाजा नहीं होता। इसी तरह जब कभी आप शेयरों की दुनिया में वैल्यू इनवेस्टिंग करने निकलते हैं , आप आगे आने वाले नतीजों से पूरी तरह अनजान होते हैं। दोनों ही काम में बुद्धिमानी , अनुभव और अपने फैसलों को हकीकत के पैमाने पर जांचने की जरूरत होती है। अभी शेयर बाजारों में बवंडर मचा हुआ है और मार्केट लगातार गिर रहे हैं , ऐसे में भारतीय निवेशकों के सामने अहम सवाल खड़ा हो गया है कि क्या यह बॉटम फिशिंग का वक्त है ? क्या बाजार की मौजूदा स्थिति आकर्षक स्तरों पर बेहतरीन शेयर हासिल करने का अवसर दे रही है। बाजार में उठापटक के दौर में आपको खरीदारी की क्या रणनीति अपनानी चाहिए , जरा गौर कीजिए:
क्या बाजार छू चुका है सबसे निचला स्तर ?
अगर विश्लेषकों पर भरोसा किया जाए तो शेयर बाजार ने अभी गिरावट का सबसे निचला स्तर नहीं देखा है। आईसीआईसीआई डायरेक्ट के अनूप बागची के मुताबिक , काफी कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि अब तक घोषित बेलआउट या राहत पैकेज आने वाले दिनों में क्या कमाल करते हैं। उन्होंने कहा , ' जिस गिरावट का सामना इन दिनों दुनिया के तमाम शेयर बाजार कर रहे हैं , वह अभूतपूर्व है। इस प्रक्रिया में बाजार में मोलभाव के बढ़िया अवसर भी पैदा हुए हैं। हालांकि अब भी पूरे विश्वास के साथ यह नहीं कहा जा सकता कि भारतीय बाजारों ने बॉटम छू लिया है। ' बाजार के मंदी में फंसे होने के 2 पहलू होते हैं: पहला कीमतों में गिरावट और दूसरा मंदी की मियाद। विश्लेषकों का मानना है कि पहले मामले में भारतीय बाजार लगभग वहां पहुंच चुके हैं जबकि ज्यादा दिक्कतें दूसरे पहलू से होंगी। बागची ने कहा , ' यह वह वक्त है जब बाजार आपके संयम और दृढ़ता का इम्तिहान लेगा। छोटी अवधि में जहां वैल्यूएशन कम होता दिख रहा है , वहीं यह साफ नहीं हे कि बाजार के चढ़ने में कितना वक्त लग सकता है। '

क्या होनी चाहिए आपकी रणनीति ?
कोटक सिक्योरिटीज के प्राइवेट क्लाइंट गुप के वाइस प्रेजिडेंट दीपन शाह के मुताबिक , बाजार के बॉटम छूने का इंतजार करने के बजाए चुनिंदा सेक्टरों में मध्यम से लंबी मियाद के नजरिए के साथ धीरे-धीरे शेयर खरीदने के लिए यह सही वक्त है। उन्होंने कहा , ' इससे आपको आगे आने वाली गिरावट का फायदा उठाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा यह आपको बढ़ते बाजार में सक्रिय रूप से हिस्सा लेने या रणनीति के हिसाब से मुनाफा वसूली करने में मदद दे सकता है। बाजार में घबराहट के दौर में खरीदारी करने और घबराकर खरीदारी न करने की सलाह हमेशा दी जाती है। ' हालांकि बागची का मानना है कि निवेशकों को बेहतरीन और दिग्गज कंपनियों के शेयरों में धीरे-धीरे पैसा डालना चाहिए। उन्होंने कहा , ' इस तरह इक्विटी/इक्विटी म्युचूअल फंड में 30-40 फीसदी आवंटित किया जा सकता है , जबकि 20-25 फीसदी नकदी के तौर पर हाथ में रखना चाहिए। शेष रकम फिक्स्ड डिपॉजिट और सर्राफा में लगाई जा सकती है। ' उन निवेशकों को सतर्कता बरतने की सलाह दी जा रही है , जो बाजार की चाल का अंदाजा लगाने की भूल करते हैं। आपको निचले स्तरों पर जाने से पहले शेयरों से बेचकर कुछ हद तक फायदा जरूर हो सकता है लेकिन बाजार की वापसी का लाभ लेने से आप चूक जाएंगे। अतीत में यह कई बार साबित हो चुका है कि संपत्ति आवंटन , डायवर्सिफिकेशन को नियमित रूप से संतुलित कर निवेशक मंदी के दौर में नुकसान खत्म या कम कर सकते हैं। इसके अलावा आपको शेयर की वैल्यूएशन के साथ इस पर भी गौर करना चाहिए कि कंपनी बुनियादी रूप से कितनी मजबूत है।
किन सेक्टरों पर खेला जाए दांव ?
विश्लेषकों का मानना है कि बाजार में हद से ज्यादा बिकवाली हो चुकी है , इसलिए अगर तकनीकी तेजी आती है तो पिटाई खाने वाले सभी शेयर छोटी अवधि में जल्द मुनाफा देंगे। बागची ने कहा , ' हालांकि यह सवाल काफी अहमियत रखता है कि यह तकनीकी तेजी कब तक कायम रहेगी। काफी कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि कंपनियों के वित्तीय नतीजों की घोषणा किस दिशा में जाती है क्योंकि अनुमानों से जरा भी इधर-उधर होने से शेयरों में भारी उठापटक देखने को मिल सकती है। ' मध्यम से लंबी अवधि के लिए जानकार उन सेक्टरों में निवेश की सलाह देते हैं जो घरेलू बाजारों पर ज्यादा गौर करते हैं और हाल में काफी मार खा चुके हैं। शाह ने कहा , ' महंगाई दर की तेज रफ्तार और ब्याज दरों में इजाफा चूकता दिख रहा है , ऐसे में निवेशक बैंकिंग , कैपिटल गुड्स , कंस्ट्रक्शन , मीडिया और लॉजिस्टिक जैसे सेक्टरों के चुनिंदा शेयरों पर गौर कर सकते हैं। '

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