Wednesday, October 29, 2008

फाइनेंशियल प्लानिंग करने में बरतें सावधानी!

अक्सर हम जिंदगी को उलझा देते हैं। यह हमारे निवेश के साथ भी हो सकता है। अपने पिता या दादा की तुलना में वित्तीय फैसलों के लिए हमें बहुत अधिक विकल्पों में से चुनाव करना होता है। इसके साथ ही बहुत सी जानकारियां भी जुटानी पड़ती हैं। इनमें क्रेडिट कार्ड पर बकाया भुगतान , कर्ज का भुगतान , बैंक खाते , शेयर बाजार में निवेश और हेल्थ इंश्योरेंस के साथ रिटायरमेंट की योजना का लेखा-जोखा भी शामिल हो सकता है। भारत में इस समय 950 से अधिक म्युचूअल फंड योजनाएं और बचत-रिटायरमेंट की योजनाओं के साथ ही निवेश के सैकड़ों अन्य विकल्प भी हैं। यही बात बैंक खातों और क्रेडिट कार्ड के साथ भी लागू होती है। इसके अलावा शेयर बाजार के बहुत से विकल्पों के अलावा कार लोन , पर्सनल , कंज्यूमर , हाउसिंग और व्यावसायिक लोन पर भी निगाह रखनी पड़ती है। बीमा भी जीवन का एक अहम हिस्सा है और आज के दौर में लगभग व्यक्ति से लेकर पालतू पशु तक के लिए बीमा योजना उपलब्ध है। समय बदलने के साथ ही लोगों की महत्वाकांक्षाओं में भी बढ़ोतरी हुई है। आज लोग परंपरागत पेंशन योजनाओं , एक बैंक खाते और बचत की सीमित योजनाओं से संतुष्ट नहीं होते। वे सैलरी और सेविंग खाते के अलावा डीमैट खाता और म्युचूअल फंड के साथ ही कई तरह की बीमा सुरक्षा भी चाहते हैं। इसके साथ ही बहुत से क्रेडिट कार्ड रखना भी उन्हें जरूरी लगता है। इसकी बड़ी वजह अर्थव्यवस्था का तेजी से बदलता हुआ स्वरूप है। यह सच है कि बाजार में उपलब्ध बहुत से प्रॉडक्ट भविष्य को सुरक्षित बनाने में मदद देते हैं , लेकिन कई बार इनसे व्यक्ति का पोर्टफोलियो इतना बड़ा और जटिल हो जाता है कि उसका प्रबंधन करना बहुत मुश्किल होता है। अपने वित्तीय भविष्य को मजबूत बनाने के लिए बहुत से लोग ऐसे प्रॉडक्ट जमा कर लेते हैं , जिनकी उन्हें जरूरत नहीं होती और इससे उनकी परेशानियां और बढ़ जाती हैं। ऐसा होने पर लोग भुगतान की निर्धारित तिथियां चूकने लगते हैं और उन्हें देरी से भुगतान पर भारी शुल्क चुकाना पड़ता है। उन पर कर्ज का बोझ भी लगातार भारी होता जाता है और गलतियों पर जुर्माना देने की तादाद भी बढ़ने लगती है। ऐसे में सोच-समझकर वित्तीय फैसले करना जरूरी है। आप जिस तरह से पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाइ करने पर मेहनत करते हैं , वित्तीय फैसले के साथ भी वैसा ही होना चाहिए। इंटरनेशनल मनी मैटर्स के मैनेजिंग डायरेक्टर और चीफ फाइनेशियल प्लानर लोवाई नवलखी का कहना है , ' डायवसर्फिकेशन निवेश का अहम पहलू है , लेकिन बहुत अधिक डायवर्सिफकेशन भी मददगार नहीं होता। रिसर्च से साबित होता है कि 90-95 फीसदी डायवर्सिफिकेशन 20-25 कंपनियों के शेयरों के साथ किया जा सकता है और इससे अधिक जाने पर कोई फायदा नहीं मिलता। ' जानकारों का कहना है कि जरूरत से अधिक डायर्वसिफिकेशन से भी बचना चाहिए क्योंकि इससे आपके मुनाफे पर असर पड़ता है।
जटिलता से बाहर आने और अपने वित्तीय जीवन को व्यवस्थित करने का सबसे आसान तरीका अपने मौजूदा और भविष्य के लक्ष्यों के आधार पर निवेश की एक साधारण रणनीति बनाना है। अगर आप चाहें तो प्रत्येक लक्ष्य के लिए निवेश की अलग योजना बना सकते हैं। इसके साथ ही आपको अपनी आमदनी और निवेश/प्रीमियम के भुगतान की क्षमता को भी ध्यान में रखना होगा। उदाहरण के तौर पर अगर आपके पास 10 बीमा पॉलिसियां हैं और उनमें से 6 कुछ समय के बाद लेप्स हो जाती हैं तो इतनी बीमा पॉलिसियां लेने की क्या जरूरत है ? इनवेस्ट शॉप इंडिया लिमिटेड के सीईओ , आशीष कपूर के अनुसार , ' वित्तीय योजना का एक महत्वपूर्ण भाग अपने लक्ष्य तय करना और समय-समय पर पोर्टफोलियो की समीक्षा करना है। ' अपने जोखिम का आकलन करने और पोर्टफोलियो की समीक्षा करने के बाद आपको ऐसी पॉलिसियों से छुटकारा पा लेना चाहिए , जिनकी आपको जरूरत नहीं है। आप चाहें तो जरूरत के मुताबिक , नई बीमा पॉलिसी भी ले सकते हैं। नवलखी ने बताया , ' खराब प्रदर्शन कर रहे निवेश को कम करना और संपत्ति में संतुलन बनाना जरूरी है। इससे पोर्टफोलियो संतुलित होता है। ' सटिर्फाइड फानेंशियल प्लानर और कैटालिस्ट फाइनेंशियल प्लानिंग के मैनेजिंग डायरेक्टर अतुल सुराना का कहना है , ' बचत और निवेश रोमांच और उत्साह से ज्यादा संयम और अनुशासन से जुड़ा होता है। लंबी अवधि में आपकी बचत आपके पास मौजूद निवेश के इंस्ट्रूमेंट्स से ज्यादा अहम होती है। ' अपने वित्तीय जीवन को पटरी पर लाने के लिए बहुत से अन्य तरीके भी मौजूद हैं। उदाहरण के लिए आप अपने बैंक खातों और क्रेडिट कार्डों की संख्या में कटौती कर सकते हैं। इसके अलावा आप लोन के भुगतान अन्य मासिक खर्चों की अदायगी ऑटोमैटिक पेमेंट के जरिए कर सकते हैं। इससे न केवल बिल भुगतान की आपकी प्रक्रिया आसान होगी बल्कि आपको देरी से भुगतान के लिए लगने वाले जुर्माने की चिंता से भी छुटकारा मिलेगा। अपने वित्तीय पोर्टफोलियो को आसान बनाने का सबसे बड़ा फायदा इसका बेहतर प्रबंधन है। कपूर के अनुसार , ' एक आसान पोर्टफोलियो की आसानी से निगरानी की जा सकती है। इसमें बदलाव करना भी मुश्किल नहीं होता। ' इसके साथ ही आपको अपने खचेर् कम करने और आमदनी बढ़ाने भी मदद मिलती है। वित्तीय जीवन में अनुशासन आने के साथ ही न केवल आपको राहत मिलेगी बल्कि आपकी समृद्धि की डगर पर भी आगे बढ़ने लगेंगे।
- संजीव सिन्हा

No comments: