Friday, October 17, 2008

निवेश से कीजिए सुकून का इंतजाम

प्रोफेसर मिलेवस्की और डॉ. चेन ने पोर्टफोलियो बनाते वक्त मानव पूंजी और वित्तीय पूंजी , दोनों पर गौर करने की वकालत की थी। दुर्भाग्य से आम तौर पर निवेशक और खासा अनुभव रखने वाले उनके पोर्टफोलियो मैनेजर भी इस पहलू को नजरअंदाज करते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि उनके क्लाइंट जरूरत से ज्यादा जोखिम उठा बैठते हैं और उन्हें अंत में इसका नतीजा भी भुगतना पड़ता है। निवेशक होने के नाते आपके पास 2 तरह की पूंजी होती है- मानव पूंजी और वित्तीय पूंजी। मानव पूंजी आप खुद हैं। क्योंकि आप काम करते हैं और अपने लिए आमदनी जुटाते हैं। एक कारोबारी अपने कौशल और कड़ी मेहनत से आमदनी कमाता है। एक वेतनभोगी एक महीने काम करने के बदले में तनख्वाह पाता है और एक प्रोफेशनल के साथ भी ऐसा ही है। मुनाफा , तनख्वाह या प्रोफेशनल आमदनी इसलिए आती है क्योंकि हम सभी मानव पूंजी हैं या आमदनी जुटाने वाली संपत्तियों की भूमिका में हैं। आपकी दूसरी पूंजी है शेयर , फिक्स्ड डिपॉजिट , म्युचूअल फंड , डाक घर बचत योजनाएं , रियल एस्टेट या दूसरी संपत्तियों में किया गया निवेश। ये संपत्तियां आपके लिए मुनाफा या फायदा कमाने का काम करती हैं। यह वैल्यू में बढ़त या ब्याज , डिविडेंड और किराए के तौर पर रिटर्न देने का काम करती हैं। ऐसे मामले में धन आपके लिए काम करता है। चाहे आप काम करते हों या न करते हों , लेकिन इस पूंजी पर रिटर्न मिलता रहता है। यहां तक कि निवेशक की मृत्यु होने के बावजूद भी उसका निवेश मुनाफा कमाना जारी रखता है। जब आप अपना करियर शुरू करते हैं और आपके पास विरासत में मिली कोई जायदाद नहीं होती तो उस स्थिति में आप केवल मानव पूंजी होते हैं। एक चतुर निवेशक वह होता है जो एक वक्त के बाद अपने आप को मानव पूंजी से वित्तीय या वास्तविक पूंजी में तब्दील करने में कामयाब रहता है। जब आप मानव पूंजी से आमदनी जुटाते हैं तो आप पैसे के लिए काम करते हैं। जब आप मानव पूंजी को वित्तीय पूंजी में बदलते हैं तो पैसा आपके लिए काम करना शुरू कर देता है। भले ही यह कहानी सुनने में आसान लगे लेकिन कई निवेशक मानव पूंजी को वित्तीय पूंजी में बदलने में काफी मुश्किलों का सामना करते हैं। इसके कई कारण हैं। पहला , जब वे अपनी पूंजी कारोबार में लगाते हैं तो समझते हैं कि उस पर उनका पूरा नियंत्रण है। लेकिन वास्तविकता में ऐसा नहीं है। जब अर्थव्यवस्था में मंदी आती है तो कारोबार पर असर पड़ना तय है। इसलिए यह बात पूरी तरह सच नहीं है कि आप अपने कारोबार पर पूरा नियंत्रण रखते हैं।
वेतनभोगी लोगों के बीच अपनी मेहनत की कमाई को अपनी ही कंपनी या संस्थान में लगाने का चलन देखा गया है। कई वेतनभोगी लोग उसी कंपनी या उद्योग के शेयरों में निवेश करते हैं जहां वे काम करते हैं। टेक्नोलॉजी बूम के दौरान सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कंपनी में काम करने वाले ज्यादातर लोगों ने आईटी कंपनियों के शेयरों में निवेश करने का फैसला किया था। कई के पास ईसॉप (स्टॉक ऑप्शन) होता है जिन्हें भुनाया भी जा सकता है। लेकिन कर्मचारी इस विचार के साथ उन्हें रखे रहते हैं कि वे उस संस्थान में काम कर रहे हैं , इसलिए उसके बारे में काफी कुछ जानते हैं। कारोबारी और प्रोफेशनल जो दूसरी सबसे बड़ी गलतफहमी रखते हैं वह यह कि ' वे अपने कारोबार का काम से अधिकतम रिटर्न जुटा रहे हैं। ' हो सकता है कि वे किसी दूसरे निवेश की तुलना में ज्यादा मुनाफा बना रहे हों लेकिन यह भी सच है कि वे काफी जोखिम वाले खेल में अटके हैं। इसमें जोखिम इसलिए ज्यादा होता है कि क्योंकि उनकी मानव पूंजी और वित्तीय पूंजी एक ही जगह होती है। अगर कल उनके कारोबार के साथ कोई हादसा होता है तो वे सब खो देंगे। दूसरा , कारोबारियों और प्रोफेशनल को खुद से यह सवाल पूछना चाहिए - अगर आप बीमार या रिटायर होते हैं तो क्या आपका परिवार उसी तरह व्यापार को आगे बढ़ाने में कामयाब रहेगा जैसा आप खुद कर रहे थे ? क्या आपका परिवार बकाया राशि जुटाने में सफल होगा ? क्या आपका परिवार ठीक आपकी तरह क्लाइंट को संभाल सकेगा ? फर्ज कीजिए कि परिवार आपकी तरह कारोबार को सफलतापूर्वक चलाने की स्थिति में नहीं है तो क्या आपके पारिवारिक सदस्य कम से कम सही बाजार भाव पर लिक्विडेटिंग की प्रक्रिया ठीक तरह से पूरी कर सकते हैं ? कारोबार में पैसा लगाइए और उसे बढ़ाने की कोशिश कीजिए। लेकिन ऐसा इस छलावे के साथ मत कीजिए कि यह सर्वश्रेष्ठ विकल्प है और यह आपको अधिकतम मुनाफा दे रहा है। नियमित अंतराल पर वित्तीय पूंजी एकत्र कीजिए जो आपके लिए काम करे और आपको मानसिक सुकून दे।
- गौरव मशरूवाला

No comments: