बाजार की चाल का अंदाजा लगाना तारे गिनने जैसा है। 2008 की शुरुआत शेयर मार्केट के लिए बुरी खबर लेकर आया और बीते कुछ वक्त से अमेरिकी वित्तीय संस्थानों के घुटने टेकने से दुनिया भर में बवाल मचा हुआ है। निवेशक इस बात से हैरान हैं कि आने वाले वक्त में निवेश की रणनीति कैसे तैयार की जाए ? आईटी विशेषज्ञ अनूप गुप्ता का उदाहरण ही ले लीजिए , जो इस बात पर पसोपेश में फंसे हैं कि पूंजी बाजारों के लिए उनकी रणनीति क्या होनी चाहिए। 30 साल के गुप्ता ने यह जानने के लिए फाइनेंशियल कंसल्टेंसी में काम करने वाले अपने दोस्तों से बातचीत की कि बाजार किस तरफ बढ़ रहा है। हालांकि , हर प्रॉडक्ट में इतनी पेचीदगी होती है कि निवेशकों के लिए कई बार खुद फैसला करना मुश्किल हो जाता है। इसलिए गुप्ता ने आखिरकार फाइनेंशियल प्लानर से बात करने का फैसला किया।
बदलता नजरिया
शेयर बाजार में भारी गिरावट से निवेशक डर जाते हैं। ऐसे में वह कई बार पोर्टफोलियो को पूरी तरह से बदलने के बारे में भी सोचने लगते हैं। हालांकि , जानकार ऐसे किसी कदम से बचने की सलाह देते हैं। जानकारों का कहना है कि बाजार की चाल को देखकर निवेश की रणनीति पूरी तरह से नहीं बदलनी चाहिए। उनके मुताबिक , इस तरह के बदलाव से आपको नुकसान हो सकता है। जानकार हमेशा लंबे वक्त के हिसाब से निवेश की रणनीति पर बने रहने की सलाह देते हैं। वेल्थकेयर सिक्योरिटीज के निदेशक मुकेश गुप्ता ने कहा , ' अगर आप लंबी अवधि के लिए निवेश करने वाले व्यक्ति हैं तो छोटी अवधि के उतार-चढ़ाव की फिक्र न करें। हालांकि आपको लंबी मियाद के वित्तीय लक्ष्यों के हिसाब से अपना दिमाग तैयार करना चाहिए। '
बाजार से बचना
यह मौजूदा विकल्पों में सबसे आसान है , लेकिन समझदारी नहीं। निवेशक कई बार इस विचार के साथ बाजार से दूरी बनाते हैं कि तेजी के दौर में वे दोबारा दलाल स्ट्रीट का रुख करेंगे। यह ऐसा ही हुआ जैसे , ' 30 फीसदी डिस्काउंट सेल खत्म होने के बाद मैं महंगे अपैरल स्टोर से खरीदारी करूंगा। '
क्वॉन्टम असेट मैनेजमेंट के सीईओ और सीओओ देवेंद्र नेवगी ने कहा , ' बाजार में गिरावट के दौरान हड़बड़ाहट के बजाए आपको एसआईपी के जरिए नियमित रूप से निवेश करते रहना चाहिए। भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार अभी भी काफी अच्छी बनी हुई है। ऐसे में शेयर बाजार भी जल्द ही रफ्तार पकड़ेगा। ' गुप्ता ने कहा , ' रणनीतिक संपत्ति आवंटन से भटकना आपके रिटर्न पर चोट कर सकता है और वास्तविक जोखिम में काफी इजाफा हो सकता है। '
नकदी का खेल
हाथ में नकदी रखना सुरक्षित हो सकता है , लेकिन बाजार में उथल-पुथल के दौर में भी इसे सही रणनीति करार नहीं दिया जा सकता। गुप्ता ने कहा , ' रुपया कॉस्ट एवरेजिंग एक रणनीति है , जिसमें बाजार में नियमित अंतराल पर तय राशि निवेश की जाती है। यह आपको शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान निवेश की रणनीति को लेकर उलझन से बचाता है। ' आपको यह बात दिमाग में रखने की जरूरत है कि बाजार में आज जो हालात नजर आ रहे हैं , उनके लिए घरेलू चिंताओं के अलावा बाहरी कारण भी जिम्मेदार हैं।
बदलिए संपत्ति आवंटन
अगर अब ऐतिहासिक चलन पर कड़ाई से पालन करते हैं तो उपरोक्त टिप्पणी आपके लिए निराधार है। विशेषज्ञों के मुताबिक बीते 10 साल से शेयर बाजार सालाना 15 फीसदी के करीब रिटर्न दे रहा है और फिक्स्ड इनकम उत्पादों की पहुंच इतनी नहीं दिखी है। ऐसे उत्पाद उसी सूरत में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं , जब ब्याज दरों में गिरावट आए। महत्वपूर्ण यह है कि नियमित अंतराल पर संपत्ति को डायवर्सिफाइड करने और पोर्टफोलियो में संतुलन बनाने की कोशिश की जानी चाहिए। शेयर बाजार से बाहर निकलने के बजाए निवेशक को अपने पोर्टफोलियो में इक्विटी आवंटन बढ़ाना चाहिए।
शेयर बाजार में भारी गिरावट से निवेशक डर जाते हैं। ऐसे में वह कई बार पोर्टफोलियो को पूरी तरह से बदलने के बारे में भी सोचने लगते हैं। हालांकि , जानकार ऐसे किसी कदम से बचने की सलाह देते हैं। जानकारों का कहना है कि बाजार की चाल को देखकर निवेश की रणनीति पूरी तरह से नहीं बदलनी चाहिए। उनके मुताबिक , इस तरह के बदलाव से आपको नुकसान हो सकता है। जानकार हमेशा लंबे वक्त के हिसाब से निवेश की रणनीति पर बने रहने की सलाह देते हैं। वेल्थकेयर सिक्योरिटीज के निदेशक मुकेश गुप्ता ने कहा , ' अगर आप लंबी अवधि के लिए निवेश करने वाले व्यक्ति हैं तो छोटी अवधि के उतार-चढ़ाव की फिक्र न करें। हालांकि आपको लंबी मियाद के वित्तीय लक्ष्यों के हिसाब से अपना दिमाग तैयार करना चाहिए। '
बाजार से बचना
यह मौजूदा विकल्पों में सबसे आसान है , लेकिन समझदारी नहीं। निवेशक कई बार इस विचार के साथ बाजार से दूरी बनाते हैं कि तेजी के दौर में वे दोबारा दलाल स्ट्रीट का रुख करेंगे। यह ऐसा ही हुआ जैसे , ' 30 फीसदी डिस्काउंट सेल खत्म होने के बाद मैं महंगे अपैरल स्टोर से खरीदारी करूंगा। '
क्वॉन्टम असेट मैनेजमेंट के सीईओ और सीओओ देवेंद्र नेवगी ने कहा , ' बाजार में गिरावट के दौरान हड़बड़ाहट के बजाए आपको एसआईपी के जरिए नियमित रूप से निवेश करते रहना चाहिए। भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार अभी भी काफी अच्छी बनी हुई है। ऐसे में शेयर बाजार भी जल्द ही रफ्तार पकड़ेगा। ' गुप्ता ने कहा , ' रणनीतिक संपत्ति आवंटन से भटकना आपके रिटर्न पर चोट कर सकता है और वास्तविक जोखिम में काफी इजाफा हो सकता है। '
नकदी का खेल
हाथ में नकदी रखना सुरक्षित हो सकता है , लेकिन बाजार में उथल-पुथल के दौर में भी इसे सही रणनीति करार नहीं दिया जा सकता। गुप्ता ने कहा , ' रुपया कॉस्ट एवरेजिंग एक रणनीति है , जिसमें बाजार में नियमित अंतराल पर तय राशि निवेश की जाती है। यह आपको शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान निवेश की रणनीति को लेकर उलझन से बचाता है। ' आपको यह बात दिमाग में रखने की जरूरत है कि बाजार में आज जो हालात नजर आ रहे हैं , उनके लिए घरेलू चिंताओं के अलावा बाहरी कारण भी जिम्मेदार हैं।
बदलिए संपत्ति आवंटन
अगर अब ऐतिहासिक चलन पर कड़ाई से पालन करते हैं तो उपरोक्त टिप्पणी आपके लिए निराधार है। विशेषज्ञों के मुताबिक बीते 10 साल से शेयर बाजार सालाना 15 फीसदी के करीब रिटर्न दे रहा है और फिक्स्ड इनकम उत्पादों की पहुंच इतनी नहीं दिखी है। ऐसे उत्पाद उसी सूरत में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं , जब ब्याज दरों में गिरावट आए। महत्वपूर्ण यह है कि नियमित अंतराल पर संपत्ति को डायवर्सिफाइड करने और पोर्टफोलियो में संतुलन बनाने की कोशिश की जानी चाहिए। शेयर बाजार से बाहर निकलने के बजाए निवेशक को अपने पोर्टफोलियो में इक्विटी आवंटन बढ़ाना चाहिए।
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