शेयर बाजार में कई महीनों से मंदी है। ऐसे में लोग ऐसे निवेश की तलाश में हैं , जो अच्छे रिटर्न के साथ-साथ सुरक्षित भी हों। फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान (एफएमपी) ऐसा ही जरिया है। इन हालात में फाइनेंशियल कंसल्टेंट्स भी एफएमपी में पैसा लगाने की सलाह दे रहे हैं। यह प्रॉडक्ट बड़े निवेशकों (एचएनआई) के बीच भी काफी लोकप्रिय है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पिछले कुछ समय में दरों में कई बार बढ़ोतरी की है और ऐसे में इस डेट इंस्ट्रूमेंट में निवेश और भी आकर्षक हो गया है।
क्या है एफएमपी ?
एफएमपी क्लोज एंडेड आय योजनाएं होती हैं , जिन्हें म्युचूअल फंड जारी करते हैं। इनकी परिपक्वता (मैच्योरिटी) तिथि तय होती है और अवधि 1 महीने से लेकर 2 साल या इससे भी अधिक हो सकती है। मैच्योरिटी का वक्त खत्म होने के बाद निवेशक को ब्याज समेत राशि का भुगतान कर दिया जाता है। एफएमपी के तहत म्युचूअल फंड आमतौर पर डेट इंस्ट्रूमेंट और कंपनियों के कर्मशल पेपर और बैंक के डिपॉजिट सर्टिफिकेट में पैसा लगाते हैं।
कर चुकाने के बाद आकर्षक रिटर्न
एफएमपी के साथ एक अन्य आकर्षण इसका कर प्रभावी होना है। डिविडेंड विकल्प वाली लघु अवधि की एफएमपी योजना पर 14.16 फीसदी की दर से डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स देना पड़ता है। इसके अलावा इसे लघु अवधि के पूंजीगत लाभ के तौर पर माना जाता है। अगर एफएमपी की अवधि एक वर्ष से अधिक होती है तो निवेशक को बिना इंडेक्सेशन के 11.33 फीसदी की दर से लंबी अवधि का पूंजीगत लाभ कर और इंडेक्सेशन के साथ 22.66 फीसदी की दर से कर देना होता है। 1 साल से अधिक की अवधि के लिए इंडेक्सेशन का दोहरा लाभ मिलता है। इसकी तुलना में सावधि जमा योजना (एफडी) में मिलने वाले रिटर्न को निवेशक की आय में जोड़ने के बाद कर लगाया जाता है। जो व्यक्ति आयकर के ऊंचे स्लैब में आता है , उसे सावधि जमा पर 33.99 फीसदी की दर से कर देना पड़ता है और इसी वजह से इसमें निवेश ज्यादा आकर्षक नहीं होता।
जोखिम भी मौजूद
जोखिम भी मौजूद
सावधि जमा की तुलना में एफएमपी में जोखिम अधिक होता है। एफएमपी में कंपनियों के कर्मशल पेपर में निवेश किया जाता है जो असुरक्षित ऋण है। खराब समय में कुछ कंपनियों अपने वायदे से पीछे हट सकती हैं और इससे मूल राशि भी जोखिम में आ जाती है। एफएमपी में जोखिम का स्तर बहुत हद तक निवेश प्रबंधक की क्षमता पर निर्भर करता है।
एफएमपी में तरलता की कमी
एफएमपी उन निवेशकों के लिए बेहतर हैं जो योजना की पूरी अवधि के लिए अपने धन को अलग रख सकते हैं। अगर आप निर्धारित अवधि से पहले धन निकालते हैं तो उस पर भारी एग्जिट लोड चुकाना पड़ता है और निवेश का लाभ भी नहीं मिलता। इसी वजह से एफएमपी में तरलता का अभाव होता है। अगर संपूर्ण तौर पर देखा जाए तो एफएमपी निवेश का एक अच्छा विकल्प है जिसमें अच्छे रिटर्न तो मिलता ही है साथ ही जोखिम भी कम होता है। इसके अलावा कर बाध्यता के हिसाब से भी डेट में निवेश के अन्य विकल्पों की तुलना में बेहतर है।
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