ज्यादा पुरानी बात नहीं जब इक्विटी बाजार आसमान छू रहे थे और छोटे निवेशक शेयर बाजार से गजब का मुनाफा बटोर रहे थे। लेकिन 2008 में बाजार में जो तबाही का मंजर दिखा , उसने हर उस बचत उत्पाद पर चोट की , जिसमें इक्विटी का जरा सा भी अंश था। इस तूफान का मंथली इनकम प्लान (एमआईपी) पर भी असर पड़ा। एमआईपी ने सांकेतिक और वास्तविक पैमाने , दोनों की दृष्टि से नकारात्मक रिटर्न दिया है लेकिन बाजार के जानकारों का कहना है कि इन पर निवेश विकल्प के तौर पर एक बार फिर विचार किया जा सकता है।
क्या होता है एमआईपी ?
इस फंड को निवेशक को नियमित आमदनी मुहैया कराने के उद्देश्य के साथ पेश किया गया था। अगर डिविडेंड से कमाई होती है तो उसे मासिक , तिमाही या छमाही आधार पर बांट दिया जाता है। नियमित आमदनी से जुड़ा लक्ष्य तब पूरा किया जा सकता है , जब संपत्ति का कम से कम 75 फीसदी हिस्सा बढ़िया गुणवत्ता वाले फिक्स्ड इनकम उत्पादों में लगाया जाए और शेष इक्विटी में। कम जोखिम लेकर पैसा बनाने वाले फंड संपत्ति के 10 फीसदी हिस्से को इक्विटी में लगाते हैं।
किसे करना चाहिए निवेश ?
एमआईपी रिटायर्ड या रिटायरमेंट के करीब पहुंच चुके लोगों के लिए निवेश का बेहतर जरिया है। यह उत्पाद उन लोगों की मुश्किल दूर कर सकता है जो सुरक्षित माध्यमों में निवेश करना चाहते हैं और साथ ही इक्विटी का स्वाद भी चखना चाहते हैं। फंड का जोखिम से जुड़ा प्रोफाइल इसे इनकम और बैलेंस्ड फंड के बीच लाकर खड़ा कर देता है और यह उन निवेशकों को आकर्षित करते हैं , जिनमें जोखिम सहने की क्षमता कम है। जो लोग खतरा लिए बगैर निवेश करना चाहते हैं और बाजार में बढ़त के दौरान उसका कुछ फायदा उठाना बेहतर समझते हैं , वे एमआईपी के जरिए निवेश कर सकते हैं।
क्या उम्मीद की जाए ?
बाजार में उथल-पुथल के इस दौर में ज्यादातर लोग इस बात को लेकर कुछ नहीं कह सकते कि इक्विटी बाजार किस राह पर आगे बढ़ेंगे। हालांकि ज्यादातर विशेषज्ञों का कहना है कि इक्विटी आज आकर्षक स्तरों पर उपलब्ध है , लेकिन इसके बावजूद उसकी तरफ कदम बढ़ाना मुश्किल हो गया है। ऐसे हालात में एमआईपी इक्विटी में निवेश करने का बेहतर तरीका जान पड़ रहा है। ब्याज दरों में गिरावट के माहौल में एमआईपी आगे चलने पर बढ़िया रिटर्न दे सकते हैं। संभावित मुश्किलें बाजार में ऐसे कुछ ही उत्पाद हैं , जिन्होंने लगातार डिविडेंड दिया है। लगातार रिटर्न देने से जुड़े दबाव का मतलब है कि फंड मैनेजर लंबी अवधि का दांव नहीं खेल सकते। यही वजह है कि बाजार में तेजी आने के वक्त मुनाफा कमाने की संभावना सीमित हो जाती है। जब रिटर्न पर अनिश्चितता के बादल घिरे हों तो गारंटी से रिटर्न देने वाली डाकघर मासिक आमदनी स्कीम एमआईपी से बेहतर प्रदर्शन करती है। फिक्स्ड इनकम निवेश कर्ज और ब्याज दर से जुड़ा जोखिम रखता है। फंड मैनेजरों पर इक्विटी और फिक्स्ड इनकम , दोनों संपत्ति श्रेणियों में बेहतर प्रदर्शन करने का दबाव होता है जो वास्तव में अलग-अलग दिशा की ओर चलते हैं। सही दिशा में खड़ा होना बहुत जरूरी है। एक फंड को इक्विटी में कितना निवेश करने की इजाजत दी जाती है और इक्विटी में निवेश का सक्रिय प्रबंधन ही फंड की ओर से रिटर्न सुनिश्चित करता है। इक्विटी में निवेश पर 10 फीसदी की तय सीमा निवेशकों को आकर्षित कर सकती है क्योंकि बुरे वक्त में गिरावट भी सीमित रहेगी। लेकिन यही बात उस वक्त काफी दिक्कत देती है जब बाजार वापसी करते हैं। निवेशकों का एक ऐसा समूह है जो डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड और इनकम फंड में खरीदारी कर चीजों को साधारण रखते हैं जिसमें से प्रत्येक में निवेश का अनुपात निवेशक तय करता है और निवेशक ही बढ़िया रिटर्न का लुत्फ लेता है।
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