इन दिनों शेयर बाजारों में गजब की उथल-पुथल देखी जा रही है। घरेलू और वैश्विक आर्थिक मोर्चे पर कई घटनाक्रम देखने को मिल रहे हैं। मसलन, साल के अंत तक उपभोक्ता बिक्री से जुड़े आंकड़े, सरकार की ओर से घोषित आर्थिक राहत पैकेज और भारतीय रिजर्व बैंक का अहम दरों में कटौती करने का एलान इनमें से प्रमुख हैं। ये घटनाक्रम बाजारों में उठापटक की मुख्य वजह रहे हैं। खबरों का आना और बाजार में उथल-पुथल आने वाले कुछ सप्ताह में भी जारी रहेगी क्योंकि दिसंबर तिमाही के नतीजे शुरू हो चुके हैं। कॉरपोरेट नतीजों के अलावा निवेशकों को बराक ओबामा के अमेरिकी राष्ट्रपति पद संभालने के बाद एक और राहत पैकेज के एलान की उम्मीद है। इसके अलावा सरकार पेट्रोल-डीजल की कीमतों में और कमी कर सकती है। ऐसे में शॉर्ट टर्म के लिए पैसा लगाने वालों के पास मुनाफा कमाने के मौके होंगे।
बाजार तक पहुंच
शॉर्ट टर्म ट्रेडरों के लिए मार्केट टर्मिनल तक नियमित और निर्बाध एक्सेस होना काफी अहम है। यह बढि़या ऑनलाइन पोर्टल या मजबूत एक्सेस रखने वाला स्टॉक ब्रोकर हो सकता है। निवेश चक्र की अवधि छोटी होती है, इसलिए शेयरों में पैसा लगाने और उससे बाहर निकलने के लिए सही वक्त का अंदाजा लगाना और ज्यादा महत्वपूर्ण होता है।
रहिए बाजार की खबरों पर नजर
छोटी मियाद के लिए पैसा लगाने वाले निवेशकों को नियमित आधार पर बाजार की खबरों को लेकर काफी सतर्क रहना चाहिए। बाजार के मौजूदा हालात में एक ही दिन में कई बार खबरों से जुड़े रहने की जरूरत पड़ सकती है। अतीत में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिनमें दिन के दौरान खबरों और घोषणाओं का बाजार पर खासा असर हुआ है। किसी भी बुरी खबर पर बाजार तेज प्रतिक्रिया देता है।
मुनाफा वसूली और सौदा काटना
शॉर्ट टर्म ट्रेडरों को बाजार की चाल पर करीबी निगाह रखनी चाहिए और ओपन पोजीशन के लिए 'सौदा काटने' और 'मुनाफा वसूली' के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। साथ ही बाजार की चाल के मुताबिक 'स्टॉप लॉस' और 'बुक प्रॉफिट' के स्तरों पर दोबारा गौर किया जाना जरूरी है। बाजार में काफी उथल-पुथल है और रात भर भी ओपन पोजीशन रखना खतरे से खाली नहीं है। छोटी अवधि के निवेशकों को हमेशा मुनाफे के साथ निवेश से बाहर निकलने के मौके बढ़ाने पर गौर करना चाहिए, लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं है कि आप गैर-जरूरी निवेश में बने रहें। निवेश में अटके रहने से बेहतर है, गलत पोजीशन पर कुछ नुकसान उठाकर बाहर निकलना और अगले मौके का इंतजार करना। जानकारों का कहना है कि अगर कोई निवेशक 10 में से 7 दफा औसतन मुनाफे के साथ बाहर निकलता है तो बाजार में प्रदर्शन को लेकर उसे संतुष्ट रहना चाहिए।
ब्रोकरेज खर्च
कई बार छोटी अवधि के निवेश पर ब्रोकरेज का खर्च छोटे निवेशकों के मुनाफा बनाने की क्षमता पर चोट करता है। कम पूंजी और क्षमता रखने वाले निवेशकों को शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग नहीं करनी चाहिए। छोटे लॉट की वजह से उन्हें फीसदी में ज्यादा ब्रोकरेज शुल्क चुकाना होगा और ट्रेडिंग में मुनाफा होने के बाद बावजूद समूचा फायदा यही ब्रोकरेज खर्च चट कर जाएगा। दूसरी तरफ अगर नुकसान होता है तो यही शुल्क उसे और बढ़ा देता है।
छोटे निवेशक करें परहेज
शॉर्ट टर्म टेडिंग के लिए अलग मानसिकता की जरूरत होती है। छोटे निवेशकों को शॉर्ट टर्म इनवेस्टिंग से बचने की सलाह दी जाती है, खास तौर से तब जब उसमें स्मॉल कैप या कम जानी जाने वाली कंपनियां शामिल हों। ऐसे निवेशकों को इसे नजरअंदाज कर लंबी अवधि के नजरिए के साथ बढि़या पोर्टफोलियो बनाने पर गौर करना चाहिए। जो निवेशक जोखिम नहीं लेना चाहते, उन्हें इक्विटी म्यूचुअल फंड रूट के जरिए बाजारों में निवेश करना चाहिए।
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