बाजार के मौजूदा हाल को देखते हुए भले ही इस समय 'लंबी अवधि' की सलाह निवेशकों को ज्यादा पसंद नहीं आएगी लेकिन ऐसे दौर में लंबे समय का निवेश ही अच्छा रहता है। चाहे शेयर हों या म्यूचुअल फंड, निवेशकों को बाजार की किसी भी स्थिति में अच्छा रिटर्न कमाने के लिए 3-5 वर्ष का नजरिया रखना चाहिए। बाजार में अस्थिरता के मद्देनजर यह अवधि अब और भी महत्वपूर्ण हो गई है। लंबी अवधि के निवेशकों के लिए इक्विटी ही एकमात्र विकल्प नहीं है। प्रॉपर्टी भी संपत्ति का एक ऐसा वर्ग है, जो न केवल लंबी अवधि में अच्छा मुनाफा देता है बल्कि तेजी का दौर आने पर लघु अवधि में भी इससे अच्छा रिटर्न कमाया जा सकता है। लेकिन इक्विटी से अलग इसमें तरलता ज्यादा नहीं होती। खासकर मंदी के समय में इस निवेश से बाहर निकलना काफी मुश्किल हो जाता है। चाहे इक्विटी हो या प्रॉपर्टी दोनों में लंबी अवधि में जोखिम कम हो जाता है और ये अधिक समय के लिए निवेश करने वालों के लिए अच्छे विकल्प हैं।
ऐसे निवेश के लिए सही प्रोडक्ट के चुनाव के साथ ही इन बातों पर भी ध्यान देना चाहिए:
व्यवस्थित निवेश
लंबी अवधि के निवेश की योजना का यह मूल सिद्धांत है। इक्विटी निवेशकों के लिए यह और भी जरूरी है क्योंकि इसमें अस्थिरता काफी अधिक होती है। तेजी के दौरान एकमुश्त निवेश सिस्टेमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) की तुलना में अच्छा रिटर्न दे सकता है लेकिन लंबे समय में जोखिम को कम करने और रिटर्न को बढ़ाने के लिए एसआईपी अच्छा रहता है। लेकिन यह तरीका प्रॉपर्टी में कारगर नहीं है क्योंकि आप प्रॉपर्टी में व्यवस्थित निवेश नहीं कर सकते।
डायवर्सिफिकेशन
कोई भी अकेला प्रोडक्ट आपकी संपत्ति में इजाफे के लिए पर्याप्त नहीं होता क्योंकि समय के साथ ही आपकी जोखिम उठाने की क्षमता और जरूरतें भी बदलती रहती हैं। इसे देखते हुए डायवर्सिफिकेशन बहुत जरूरी है। इससे आप जोखिम का बेहतर प्रबंधन भी कर सकते हैं। कुछ प्रोडक्ट्स का बास्केट चुनने के साथ ही इनमें संपत्ति के आवंटन की भी समय-समय पर समीक्षा करना न भूलें।
पोर्टफोलियो में बदलाव
बहुत से निवेशक अपने चुनिंदा शेयरों या निवेश के प्रोडक्ट्स से भावनात्मक लगाव रखने लगते हैं, जो ठीक नहीं है। अधिकतम रिटर्न हासिल करने के लिए नियमित अंतराल पर खरीदारी और बिकवाली करना जरूरी होता है। किसी प्रोडक्ट को हमेशा के लिए न त्यागें और न ही उससे पूरी जिंदगी अपने साथ बांधे रखें। उदाहरण के तौर पर बाजार की मौजूदा स्थिति में एक वर्ष पहले निवेश की शुरुआत करने वाले लोगों को नुकसान कम करने के लिए बिकवाली करने पर मजबूर होना पड़ सकता है। ऐसे लोगों को इक्विटी से मुंह नहीं फेरना चाहिए। बाजार सुधरने पर अपनी वित्तीय जरूरतों और जोखिम उठाने की क्षमता के अनुसार फिर से निवेश किया जा सकता है।
No comments:
Post a Comment