बीमा पॉलिसी खरीदने की दिशा में पहला कदम बीमा कंपनी को चुनने का होता है। इसके लिए आप कंपनी के प्रमोटरों, कस्टमर सविर्स, ट्रैक रेकॉर्ड और प्रोडक्ट पोर्टफोलियो को देख सकते हैं। इसके बाद दूसरा काम है अपनी वित्तीय जरूरतों को समझना। इसके लिए अपनी उम्र, जोखिम लेने की क्षमता, अपने आश्रितों, खर्च करने योग्य आय और देनदारियों के बारे में सोचना चाहिए। इनसे आपको अपनी सुरक्षा और बचत की जरूरतों को समझने का मौका मिलेगा।
बीमा की राशि कितनी हो यह कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे- भविष्य में आपकी कमाने की क्षमता, संपत्ति और देनदारियां। इसलिए यह हमेशा एक समान नहीं होती। कारकों में निरंतर होने वाले बदलाव के अनुसार जीवन के अलग-अलग चरणों में बीमा की जरूरतों की फिर से समीक्षा करनी पड़ती है। पारिवारिक आय, संपत्ति और देनदारियां, परिवार का आकार, आश्रितों की संख्या और जीवन अवस्था, जैसे- जन्म, शिक्षा, शादी जैसे कारकों में होने वाले बदलावों के अनुसार जरूरी बीमा राशि भी बदलती रहती है।
एक सही विकल्प और जीवन बीमा सुरक्षा का सही आकार तय करने के लिए आपको इन सभी बातों पर गौर करना चाहिए। आपको हर दो सालों पर कम-से-कम एक बार अपनी बीमा जरूरतों की समीक्षा करनी चाहिए और देखना चाहिए कि इस बीच आपकी आय, आपके आश्रितों के प्रोफाइल, जीवन खर्च, देनदारियां जैसे हाउसिंग लोन में कोई बदलाव तो नहीं हुआ है। इसके बाद यह देखना चाहिए कि जो बीमा सुरक्षा आपने ले रखी है, क्या वह काफी है।
जीवन बीमा योजना एक एक लंबी अवधि का कॉन्ट्रैक्ट होता है। इसलिए यह जरूरी है कि अपनी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए आप सही योजना लें। यूनिट लिंक्ड पॉलिसी में लचीलापन, पारदर्शिता, सरलता, तरलता और फंड मैनेजमेंट की सुविधा जैसे कई फायदे होते हैं। ये पॉलिसी ग्राहकों की बदलती जरूरतों के अनुकूल होती हैं। वहीं पार्टिसिपेटरी पॉलिसी इसकी तुलना में कम लचीली होती है।
इन पॉलिसियों का चुनाव करने वाले लोगों को अपने जीवन की प्रमुख जरूरतों के अनुसार सही वक्त पर सही पॉलिसी खरीदते रहना चाहिए। सही समय के अलावा उन्हें अलग-अलग जरूरतों के मुताबिक अलग-अलग पॉलिसी खरीदनी चाहिए। पार्टिसिपेटरी पॉलिसी के अंतर्गत जीवन बीमा और बचत के अनुपात में बदलाव करने की सुविधा नहीं होती। यूनिट-लिंक्ड प्लान का चार्ज स्ट्रक्चर अधिक सुविधाजनक है।
बीमा लेने वाले व्यक्ति को सभी देनदारियों और भविष्य में होने वाली आय के लिए सुरक्षा लेनी चाहिए। इससे कम-से-कम यह तय हो जाता है कि बीमाधारक के साथ कोई अनहोनी होने की स्थिति में उसके ऊपर निर्भर लोगों के जीवन स्तर पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा।
बचत का हिस्सा अपने वित्तीय लक्ष्यों के आधार पर तय किए जाना चाहिए। एक निवेश के रूप में जीवन बीमा के कई खास फायदे हैं। इसमें संपत्ति के डूबने की संभावना न के बराबर होती है। योजना की लंबी अवधि के कारण यह लंबे समय का निवेश है, इसलिए फंड के बेहतर मैनेजमेंट की सुविधा मिल जाती है।
नियमित बचत और कंपाउंडिंग की सुविधा के कारण लंबे समय में काफी बचत हो जाती है। अलग-अलग प्रोडक्ट में लचीलापन, पारदर्शिता और कस्टमाइजेशन की सुविधा के आधार पर थोड़ा-बहुत अंतर होता है। इनके आधार पर ग्राहक अपनी बदलती वित्तीय जरूरतों के अनुसार सही प्रोडक्ट का चुनाव कर सकते हैं। चार्ज स्ट्रक्चर अलग-अलग ग्राहकों के अनुसार अलग-अलग होता है और ऊंचे शुल्क का मतलब अधिक असुविधा नहीं है। बीमा कराते समय हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि इसका सबसे जरूरी उद्देश्य सुरक्षा होता है बचत और निवेश नहीं।
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