रमेश को हर महीने 7,000 रुपए की आमदनी किराए से होती है। वेतन और अन्य स्रोतों से उनकी कर योग्य सालाना आय 10 लाख रुपए है। रमेश को किराए की आमदनी पर कितना टैक्स देना होगा? क्या उन्हें इस पर कोई कर छूट मिलेगी? प्रॉपटी के दाम कुछ साल पहले काफी कम थे। उस समय बहुत से ऐसे लोगों ने निवेश के लिए दूसरा घर खरीदा था। इनके पास रहने के लिए पहले से प्रॉपर्टी थी। दूसरे घर को अक्सर लोग किराए पर दे देते हैं क्योंकि यह आमदनी का जरिया बन जाता है। अगर किसी व्यक्ति के पास एक घर है और उसमें वह खुद रहता है तो उसे इस पर कोई कर नहीं देना होता। लेकिन दूसरी प्रॉपर्टी के बारे में क्या नियम हैं? अगर दूसरी प्रॉपर्टी से किराए के तौर पर कोई आमदनी नहीं हो रही है तो उस पर मामूली/ अनुमानित किराए के अनुसार कर देना होता है। यह अनुमानित किराया बहुत सी बातों पर निर्भर होता है, जिसमें घर की कीमत, लोकेशन, सुविधाएं, उस जगह पर किराए की मौजूदा दरें शामिल होती हैं। वार्षिक मूल्य आय अर्जित करने की प्रॉपर्टी की क्षमता होती है। यह प्रॉपर्टी के मालिक को मिलने वाले वास्तविक किराए से भी ज्यादा हो सकती है। किराए से हासिल आमदनी पर कर बाध्यता इस आय को कर योग्य आमदनी में जोड़ दिया जाता है और कर बाध्यता कर के स्लैब के आधार पर होती है। किराए से मिलने वाली आमदनी का 30 फीसदी तक प्रॉपर्टी के रखरखाव और संपत्ति कर जैसे खर्च के भुगतान के लिए घटाया जा सकता है। अगर किराए पर दी गई प्रॉपर्टी को खरीदने के लिए होम लोन लिया गया है तो मासिक किस्त (ईएमआई) के भुगतान पर पूरा ब्याज आयकर कानून की धारा 24 के तहत आमदनी में से घटा दिया जाता है। इसके लिए 1.5 लाख रुपए सालाना तक की कोई सीमा नहीं है। अगर करदाता की प्रॉपर्टी खाली है और वह किसी अन्य शहर यह जगह पर नौकरी कर रहा है तो इस प्रॉपर्टी का वार्षिक मूल्य शून्य माना जा सकता है। किराए से होने वाली आय पर 'इनकम फ्रॉम हाउस प्रॉपर्टी' के मद में कर चुकाना होता है। रमेश को अपनी अन्य आय में इस आमदनी को जोड़ने के बाद कर बाध्यता की गणना करनी चाहिए। वह चाहें तो रखरखाव और अन्य खर्चों के लिए किराए की आमदनी में से 30 फीसदी रकम घटा सकते हैं।
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