कोलकाता : अगर जनरल इंश्योरेंस काउंसिल अपनी कोशिश में कामयाब होती है तो हेल्थ इंश्योरेंस के खर्च में 12 फीसदी कमी आ सकती है। आप सोच रहे हैं कि ऐसा होगा कैसे? जवाब हाजिर है। परिषद ने वित्त मंत्रालय को भेजे प्री-बजट प्रस्ताव में हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर सर्विस टैक्स हटाने की मांग की है, जो करीब 12.5 फीसदी है। साथ ही उसने वित्त मंत्रालय से साधारण बीमा खरीदते वक्त 2500 रुपए से कम के लेन-देन को सेवा कर से छूट देने का आग्रह भी किया है। काउंसिल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'साल 2007 में अधिसूचित की गई 50 रुपए की सीमा में आज तक कोई बदलाव नहीं किया गया है। सरकार बीमा की जरूरत का प्रसार कर रही है और कोशिश है इसकी पहुंच बढ़ाने की। इसी के मुताबिक ५० रुपए की सीमा को औसतन कम से कम 1000 रुपए तक बढ़ाया जाना चाहिए। प्रीमियम के रूप में 1000 रुपए से कम का भुगतान करने वाले लोग मुख्य रूप से समाज के निचले वर्ग से होते हैं जिनके लिए प्रीमियम का भुगतान करना भी एक चुनौती की तरह है।' उन्होंने कहा, 'इस कदम से बीमा कवर खरीदने का खर्च और कंपनी के लिए प्रशासनिक खर्च कम कर आबादी के ज्यादा बड़े हिस्से को इसके दायरे में लाया जा सकेगा जिससे बीमा उद्योग को मजबूती दी जा सकेगी और समाज को फायदा पहुंचेगा।' दिलचस्प है कि परिषद ने पिछले साल भी इसी तरह की छूट देने की मांग की थी जिस पर सरकार ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और 2008-09 के बजट में इस सिलसिले में कोई घोषणा नहीं की गई। इस बीच सेवा कर में कमी से ग्राहकों को काफी राहत मिलेगी। फिलहाल हेल्थ कवर के मामले में बीमा कंपनियां प्रीमियम पर 12.5 फीसदी कर लगाती हैं। जबकि दूसरी पॉलिसी के मामले में 50 रुपए से ज्यादा के प्रीमियम पर भी इसी दर से टैक्स लगता है।
1 comment:
अच्छी खबर है...
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