मुंबई: बैंक की नजर में बचत खाता रखने वाले लोग लंबे वक्त के साथी होते हैं। उनमें से ज्यादातर तब तक बैंक से नाता नहीं तोड़ते, जब तक उन्हें मकान या नौकरी न बदलनी हो। इसके बावजूद बचत खाता खोलने से जुड़ा फैसला ज्यादा जानकारी जुटाए बिना किया जाता है। इसकी एक वजह यह हो सकती है कि अधिकतर ग्राहक बचत खाते को कमोडिटी के तौर पर लेते हैं, जिसमें ब्याज दर तय होती है और लेन-देन में पैसा जमा कराना, निकालना और चेक जारी करना शामिल है। लेकिन अगर आप बचत खाता खोलते वक्त सतर्कता नहीं बरतते तो कई ग्राहकों को अंत में एक से ज्यादा बैंक एकाउंट खुलवाना पड़ता है क्योंकि मूल बैंक उनकी जरूरतों को पूरा नहीं करता। बैंकिंग जरूरतों को पहचान कर उसके मुताबिक बैंक चुनने से आप आगे जाकर पैसा और वक्त, दोनों बचा सकते हैं। इससे जोखिम कम करने के लिए एक से ज्यादा खाते खुलवाने की जरूरत पहले ही खत्म हो जाती है। कोटक महिंद्रा बैंक के ग्रुप हेड (रीटेल लायबिलिटीज और ब्रांच बैंकिंग) के वी एस मानियान ने कहा, 'इससे यह सुनिश्चित होगा कि आप उन फायदों को खो न दें जो खाते में ज्यादा बड़ी रकम रखने पर मिलते हैं।'
सही बैंक का चुनाव
सही बैंक खाता चुनने की दिशा में पहला कदम सामान्य तौर पर सभी बैंकों के प्रोफाइल और विशेष रूप से किसी बैंक शाखा की समीक्षा करने से जुड़ा है। इस सिलसिले में कोई भी फैसला करते वक्त बैंक के टारगेट ग्रुप पर भी विचार करना जरूरी है। आपको यह जानने की आवश्यकता है कि बैंक का फोकस आम लोगों पर है या उनमें से खास पर या फिर वह समाज के रईस तबके पर है। मसलन, अगर बैंक का टारगेट समूह रईस ग्राहक हैं और आप मध्य आय वर्ग में शामिल हैं तो आप उस वित्तीय संस्थान के लिए वैल्यू कस्टमर नहीं होंगे जिसका नतीजा यह होगा कि आपको बैंक से संतुष्ट करने लायक सेवाएं नहीं मिलेंगी। उदाहरण के लिए बड़े आकार के निजी बैंक छोटे कारोबारियों की जरूरतों को पर्याप्त महत्व नहीं देते क्योंकि ऐसे बैंकों के लिए छोटे कारोबारी प्राथमिकता श्रेणी में शामिल नहीं होते। कई बार ऐसे मामलों में दस्तखत की जांच जैसी साधारण सेवा में भी काफी वक्त लगाया जाता है।
सहूलियत का पैमाना
एक बार अगर आपको यह भरोसा हो जाता है कि बैंक का प्रोफाइल आपके पैमाने पर दुरुस्त बैठता है तो उसके बाद आप सहूलियत के पहलू पर गौर करते हैं। एचडीएफसी बैंक में सीनियर वाइस प्रेसिडेंट-रीटेल लायबलिटीज अनिंद्या मित्रा ने कहा, 'इस फैसले पर ब्रांच और एटीएम का नेटवर्क काफी अहम भूमिका अदा करता है। जिस बैंक पर आप विचार कर रहे हैं, अगर आपके घर के पास उसकी शाखा नहीं है तो इस बात पर विचार कीजिए कि उसका एटीएम आसपास जरूर हो।' अगर आप लॉकर की सुविधा लेने पर विचार कर रहे हैं तो बैंक शाखा की नजदीकी महत्वपूर्ण है। एक और माध्यम, जिसमें आप सभी, खास तौर से वरिष्ठ नागरिकों की दिलचस्पी हो सकती है, वह होम बैंकिंग सुविधा से जुड़ा है। आपको यह जानने की जरूरत है कि क्या बैंक आपके घर पर नकदी, चेक बुक और दस्तावेज पहुंचाने की सुविधा देगा। इसके अलावा बचत खाता खुलवाते वक्त यह जरूर जानने की कोशिश कीजिए कि क्या बिल का भुगतान, फंड ट्रांसफर करना और चेक बुक के लिए ऑर्डर देने जैसी सेवाएं सभी माध्यमों से आप तक पहुंचाई जाएंगी या नहीं।
टेक्नोलॉजी-फ्रेंडली
एचएसबीसी बैंक के अधिकारी ने कहा, 'अगर सेवा अंतर पैदा करती है तो प्रौद्योगिकी उसे आसान बनाने का काम करती है। खास तौर से प्रभावशाली वर्ग लगातार आगे बढ़ रहा है। इसलिए बचत खाता ऐसा होना चाहिए जो ग्राहकों को जहां चाहे, जब चाहे सुविधा मुहैया करा सके।' ज्यादातर बैंक इस बात का दावा करते हैं कि वे सभी मंचों से सभी सुविधाएं मुहैया कराएंगे, लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं है कि वे सेवाएं भी उतनी बढि़या उपलब्ध कराएंगे। मानियान ने कहा, 'सभी बैंक इंटरनेट, फोन या मोबाइल प्लेटफॉर्म पर सेवाएं मुहैया नहीं कराते। अगर आप इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति हैं लेकिन नेट बैंकिंग के मामले में आपका बैंक आधुनिक है तो आपको इस वजह से काफी दिक्कतें होंगी।' इसे एक उदाहरण से समझा जा सकता है। अगर आपका बैंक इंटरनेट पर नेट बैंकिंग पासवर्ड रिजनरेट करने की सुविधा नहीं देता तो आपके इस सिलसिले में आवेदन दाखिल कराने के लिए बैंक की शाखा तक जाना होगा जिसमें पैसा और वक्त, दोनों खर्च होगा। यही कहानी मोबाइल बैंकिंग के साथ है। अगर आप काफी ट्रैवल करते हैं और ज्यादातर लेन-देन के लिए अपने मोबाइल फोन पर निर्भर करते हैं तो आपको ऐसे बैंक की आवश्यकता है जो पूरी तरह से इनेबल मोबाइल प्लेटफॉर्म रखता हो।
उत्पाद की विशेषता की समीक्षा
अलग-अलग बैंकों के खातों से जुड़ी विशेषताओं की तुलना करना भी काफी अहम है। ज्यादातर विदेशी और निजी बैंक 5 से 10 हजार रुपए एसे कम की न्यूनतम राशि के बिना खाता खोलने की सुविधा नहीं देते जबकि पब्लिक सेक्टर के अधिकतम बैंकों में आप 500 रुपए की न्यूनतम रकम के साथ खाता खोल सकते हैं। आपको इस बारे में सवाल करना भी जरूरी है कि आपका खाता न्यूनतम दैनिक रकम या औसत तिमाही बैलेंस सिस्टम के हिसाब से चलता है। दैनिक आधार पर समीक्षा होती है तो किसी भी एक दिन जरूरी रकम खाते में न होने पर आपका बैंक नॉन-मेंटेनेंस शुल्क लगा सकता है। दूसरी ओर, दूसरा तंत्र होने पर आप ज्यादातर दिन तक पर्याप्त बैलेंस रखकर बैंक की तरफ से लगाए जाने वाले शुल्क से बच सकते हैं। मानियान ने कहा, 'अगर आपको किसी ऐसे पारिवारिक सदस्य को नियमित आधार पर पैसा भेजने की जरूरत पड़ती है जो किसी दूसरे शहर में रहता है तो साधारण खाते से काम नहीं चलेगा क्योंकि हो सकता है कि उसमें 'एट पार' चेक जारी न हो जिससे पैसा पहुंचाने में दिक्कत हो सकती है।' इसके अलावा यह पता लगाइए कि क्या खाता स्वीप इन स्वीप आउट सुविधा के साथ आता है क्योंकि इससे खाते में रकम पड़ी रहने देने पर होने वाले मामूली नुकसान से भी आप बच सकते हैं।
शुल्कों की जानकारी जरूरी
खाता खोलने पर ज्यादातर बैंक एकाउंट ओपनिंग किट भेजते हैं जिसमें नॉन-मेंटेनेंस चार्ज, चेक रिटर्न पेनल्टी, डेबिट कार्ड फीस जैसे शुल्कों का ब्योरा होता है। कई खाताधारकों को इस बात की जानकारी नहीं होती कि एक साल बीत जाने के बाद डेबिट कार्ड पर फीस लगती है। कुछ बैंक एसएमएस अलर्ट के लिए भी ग्राहकों से पैसा लेते हैं। अलग-अलग बैंकों के शुल्कों की तुलना करते हुए आपको यह गौर करना चाहिए कि वह सेवा कर लगने के बाद है या पहले। शुल्कों की गहन जांच से आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि बाद में आपको चौंकना नहीं पड़ेगा।
तफ्तीश
बचत खाता खोलने से पहले बैंक के टारगेट ग्रुप पर विचार करना जरूरी है। आपको यह भी पता लगाना होगा कि बैंक सबसे ज्यादा ध्यान आम लोगों पर देता है या अपने रईस ग्राहकों पर। अगर आप लॉकर की सुविधा लेने पर विचार कर रहे हैं तो शाखा नजदीक होनी जरूरी है। वरिष्ठ नागरिकों को इस बात की जानकारी जरूर जुटानी चाहिए कि क्या बैंक नकदी, चेक बुक और दस्तावेज घर तक पहुंचाने की सहूलियत दे रहा है या नहीं।
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