Tuesday, February 17, 2009

हेल्थ इंश्योरेंस जरूरी: जानिए इसकी बारीकियां

'जान है तो जहान है'- जिंदगी के फलसफे को शायद इससे बेहतर ढंग से बयान नहीं किया जा सकता। आपमें से शायद ही कोई इससे इनकार करे, लेकिन बात जब स्वास्थ्य बीमा की आती है तो इसे किसी न किसी वजह से हम टालते ही रहते हैं। हाल के समय में मेडिकल खर्च लगातार बढ़ रहा है। अचानक परिवार के किसी शख्स का इलाज आपकी बचत का बड़ा हिस्सा निगल सकता है। इसके बावजूद देश में बहुत कम लोगों के पास बीमा सुरक्षा है। आम लोगों को भले इसकी चिंता न हो लेकिन सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि देश के नागरिक अपने और परिवारजनों के लिए पर्याप्त मेडिकल कवर लें और इसे बढ़ावा देने के लिए वह स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी खरीदने पर टैक्स छूट देती है।
स्वास्थ्य बीमा
मेडिकल इंश्योरेंस पॉलिसी के लिए दिया जाने वाला 15,000 रुपए तक का प्रीमियम आयकर अधिनियम की धारा 80डी के तहत कर मुक्त होता है। यदि कोई करदाता, उस पर निर्भर अभिभावकों के बीमा कवर के लिए प्रीमियम का भुगतान कर रहा है तो उसे 15,000 रुपए की अतिरिक्त कर छूट मिलती है। अगर माता-पिता वरिष्ठ नागरिक हैं तो यह सीमा बढ़कर 20,000 रुपए तक हो जाती है। इस तरह अपने और अपने समूचे परिवार (माता-पिता समेत) के लिए बीमा कवर खरीदकर कोई भी व्यक्ति अधिकतम 30 से 35 हजार रुपए पर टैक्स बचा जा सकता है।
मेडिकल खर्च
वेतनभोगी कर्मचारियों को अपनी कंपनी से अधिकतम 15,000 रुपए सालाना बतौर कर मुक्त मेडिकल रिम्बर्समेंट मिल सकता है। अगर करदाता शारीरिक या मानसिक रूप से विकलांग आश्रित के इलाज (नर्सिंग, ट्रेनिंग और रिहैबिलिटेशन) पर 50,000 रुपए तक खर्च करता है तो अधिनियम की धारा 80डीडी के तहत यह रकम कर योग्य आमदनी में से घटा दी जाएगी। हालांकि अगर आश्रित व्यक्ति को ज्यादा गंभीर दिक्कत है तो कर छूट की सीमा 75,000 रुपए सालाना तक बढ़ जाएगी। इस धारा के तहत उल्लिखित विकलांगता में मानसिक रोग भी शामिल है। कैंसर, एड्स, पार्किंसन, क्रॉनिक रेनल फेलियर, थैलेसीमिया आदि बीमारियों से जूझ रहे मरीज के इलाज पर खर्च होने वाली रकम पर कर छूट के लिए क्लेम किया जा सकता है। आयकर अधिनियम की धारा 80डीडीबी के तहत अधिकतम 40,000 रुपए पर छूट हासिल की जा सकती है। अगर आश्रित वरिष्ठ नागरिक है तो डिडक्शन की रकम बढ़कर सालाना 60,000 रुपए हो जाएगी।
जीवन बीमा
करदाता, उसके जीवनसाथी या बच्चों की जीवन बीमा पॉलिसी के प्रीमियम के तौर पर चुकाई जाने वाली राशि कुल कर योग्य आमदनी में से कर छूट के लिए उपलब्ध होती है। आप प्रीमियम की अधिकतम एक लाख रुपए की राशि को कर से बचा सकते हैं। हालांकि इस बात पर गौर करना महत्वपूर्ण है कि कर छूट तभी मिलती है जब प्रीमियम की रकम बीमा पॉलिसी की कुल रकम के 20 फीसदी से ज्यादा न हो। बीमित राशि वह रकम होती है जो पॉलिसी की मियाद खत्म होने के बाद पॉलिसीधारक को बीमा कंपनी की ओर से मिलती है। इस टर्म को आम तौर पर एंडॉमेंट और मनी बैक प्लान में इस्तेमाल किया जाता है।

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