मुम्बई।सोमवार का दिन सत्यम के लिए राहत भरी खबर लेकर आया। शेयर मार्केट नियामक सेबी ने सत्यम को खास तरह का मामला बताते हुए नियमों में बदलाव की घोषणा की। सेबी बोर्ड की मीटिंग के बाद भावे ने कहा कि हम दिशा-निर्देशों के तहत नियमों में बदलाव करेंगे ताकि ऎसे एक्जिविशन की कीमत साफ-सुथरे तरीके से तय हो सके। हालांकि भावे ने इस बारे में कोई समय सीमा देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि सत्यम के लिए कोई अलग से नियम न बनाकर सेबी अपने नियमों में ही बदलाव करेगा।
एलएंडटी को मिली राहत
सेबी अगर ओपन ऑफर में किसी प्रकार की छूट देता है तो इसका सबसे बडा फायदा अग्रणी इंजीनियरिंग व कन्स्ट्रक्शन कंपनी लार्सन एण्ड टुब्रो को मिलेगा। उल्लेखनीय है कि कम्पनी ने सत्यम में अपनी हिस्सेदारी को बढाकर 12 प्रतिशत कर लिया है जो कि कम्पनी में सबसे बडी हिस्सेदारी है। इसके अलावा कम्पनी ने सत्यम को खरीदने की अपनी इच्छा पहले ही जाहिर कर दी है। एलएंडटी ने भी सेबी से नियमों में छूट देने की गुजारिश की थी।
पेचीदा है अघिग्रहण का फार्मूला
सेबी के कम्पनी अधिग्रहण नियमों के अनुसार अगर कोई निवेशक किसी कम्पनी में 15 फीसदी से अधिक शेयर हिस्सेदारी खरीदता है तो उसे प्राइसिंग फॉर्मूले के आधार पर अतिरिक्त 20 फीसदी इक्विटी जुटाने के लिए ओपन ऑफर लाना होता है। यह ओपन ऑफर 26 सप्ताह की औसत कीमत में से जो ज्यादा होना चाहिए। इसके अनुसार सत्यम खरीद में दिलचस्प कम्पनियों को इसके शेयरों की 26 सप्ताह की औसत कीमत माननी पडती जो 270 रूपए प्रति शेयर से अधिक होती। सत्यम को खरीदने में जुटी किसी भी कम्पनी के लिए यह एक झटका हो सकता था क्योंकि इस आधार पर हिस्सेदारी खरीदने के लिए भारी रकम चुकानी होती। सत्यम बोर्ड ने सेबी के समक्ष यह मुद्दा उठाया और जिन प्रस्तावों पर विचार हुआ, उनमें से यह दो सप्ताह की औसत कीमत से जुडा था जो जनवरी की किसी कट-ऑफ तारीख से जुडी होती।
फायदे का सौदा
अगर दो सप्ताह की शेयर कीमत को पैमाना माना जाए तो अधिग्रहण का खर्च काफी नीचे आ जाएगा क्योंकि सत्यम के शेयर की कीमत 60 रूपए से भी कम पर थी। जानकारों का मानना है कि 26 सप्ताह की औसत कीमत से जुडा फॉर्मूला सत्यम मामले में सही नहीं बैठता।हम इस प्रकार के अघिग्रहणों के लिए कीमत निर्घारित करने व सारी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए नियमों बदलाव करेंगे। यह बदलाव केवल सत्यम जैसे मामले के लिए विशेष्ा छूट देने वाला न होकर नियमों का बदलाव होगा ताकि इस प्रकार के प्रकरणों से निपटने के लिए प्रणाली विकसित की जा सके।
-सी बी भावे, अध्यक्ष सेबी
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