बाजार में अनिश्चितता बढ़ने के साथ ही निवेशक अब अपने धन की सुरक्षा को ज्यादा महत्व दे रहे हैं। कुछ समय पहले तक रिटर्न के पीछे दौड़ने वाले लोग भी अब अपनी पूंजी को सुरक्षित रखकर खुश हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई)ने हाल ही में रेपो रेट में आधा फीसदी की कटौती की है जिसके चलते अब डेट प्रोडक्ट्स में भी मंदी आने के आसार नजर आने लगे हैं। मौजूदा स्थिति में निवेशकों को कुछ डेट प्रोडक्ट्स से ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाने का प्रयास करना चाहिए। डेट में किसी विकल्प को चुनते समय लघु और लंबी अवधि के बीच संतुलन बनाना जरूरी होता है क्योंकि इनकी अवधि के साथ जोखिम भी जुड़ा होता है। डेट में कम अवधि के निवेश के साथ जोखिम भी कम रहता है जबकि लंबी अवधि के निवेश में यह बढ़ सकता है। संपत्ति के अन्य वर्गों की तरह डेट में भी प्रोडक्ट का चुनाव निवेशक की जरूरतों पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए अगर निवेशक अगले तीन महीनों के दौरान आने वाले किसी खर्च के लिए धन जमा करना चाहता है और जोखिम नहीं चाहता, तो वह कैश मैनेजमेंट प्लान या फिक्स्ड डिपॉजिट जैसे जोखिम मुक्त विकल्पों पर निर्भर कर सकता है। फिक्स्ड डिपॉजिट में अवधि के अनुसार ब्याज मिलता है और इसमें आप कुछ दिनों के लिए भी निवेश कर सकते हैं। डेट में निवेश को लेकर रुचि हाल के समय में काफी बढ़ी है और इसमें निवेश के लिए आप अपनी जोखिम उठाने की क्षमता और अवधि के अनुसार प्रोडक्ट को चुन सकते हैं।
डेट में निवेश के कुछ विकल्प
फिक्स्ड डिपॉजिट(एफडी)
निवेश का यह विकल्प हमेशा से काफी पसंद किया जाता रहा है। शेयर बाजार में भारी गिरावट से नुकसान उठा चुके निवेशक अब फिर से इसमें धन लगाने को तरजीह दे रहे हैं। इसमें निवेश जोखिम मुक्त होता है लेकिन ब्याज पर कर लगाने से इसकी प्रभावी यील्ड कम हो जाती है। अगर निवेशक की पत्नी या पति रोजगार में नहीं है तो कर भार से बचने के लिए उनके नाम पर एफडी की जा सकती है। कुछ समय पहले तक एफडी पर ब्याज दरंे काफी आकर्षक थीं लेकिन आरबीआई के दरों में कटौती करने के बाद से इसकी ब्याज दरों मंे 1.5-2 फीसदी की गिरावट आ चुकी है और आने वाले समय में ये और नीचे जा सकती हैं। एफडी की पेशकश बैंकों के साथ ही बहुत सी कंपनियां भी करती हैं। इसमें लंबी अवधि के लिए निवेश किया जा सकता है क्योंकि निकट भविष्य में ब्याज दरों के और गिरने का अनुमान है।
इनकम फंड
ब्याज दरों में गिरावट के दौर के चलते इनकम फंड की लोकप्रियता बढ़ रही है। दरों में पहले ही काफी गिरावट आ चुकी है और मौजूदा आथिर्क स्थितियांे को देखते हुए इनमें और कटौती की उम्मीद की जा सकती है। कम ब्याज दरों का दौर जारी रहने के बहुत से संकेत मिल रहे हैं। मुदास्फीति की घटती दर इसका एक बड़ा संकेत है। ऐसा हो सकता है कि हम पहली बार शून्य मुदास्फीति के भी गवाह बनें। अर्थव्यवस्था में मंदी से भी ब्याज दरों को घटाने के लिए दबाव बढ़ेगा। इस समय सरकार भी आक्रामक तरीके से उधार लेने में जुटी है। इनकम फंड में निवेश करते समय निवेशकों को अपनी उम्मीदांे को हकीकत के करीब रखना चाहिए। इन फंड का प्रदर्शन पिछले वर्ष काफी अच्छा रहा था लेकिन इसके आधार पर निवेश करना ठीक नहीं होगा क्योंकि आने वाले समय में यह काफी घट सकता है।
लघु अवधि के विकल्प
डेट हमेशा से ही कम अवधि में निवेश का एक अच्छा विकल्प रहा है। इसमें निवेश के लिए लिक्विड प्लस स्कीम और शॉर्ट टर्म डिपॉजिट के साथ ही आप कम और मध्यम अवधि के फंड पर भी निगाह डाल सकते हैं।
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