Monday, March 23, 2009

डेट में निवेश बढ़ाने का यही है समय

मुद्रास्फीति की दर उम्मीद के अनुसार नीचे की ओर जा रही है। पिछले सप्ताह ही इसने कई सालों की न्यूनतम दर का नया आंकड़ा छुआ है। अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि आने वाले दिनों में हम नकारात्मक मुद्रास्फीति या अपस्फीति का दौर देख सकते हैं। ऐसे में दरों में कटौती की अटकलें और मजबूत हुई हैं। उम्मीद है कि भारत में ब्याज दर 150 बेसिस अंकों तक घट सकती है। इसका मतलब है कि बेंचमार्क उधारी दर एकल अंक में और होम लोन पर ब्याज दरें 7-8 फीसदी के स्तरों पर पहुंच सकती हैं। बैंकों ने भी भविष्य के अनुमानों को देखते हुए कर्ज की दरों में बदलाव करने शुरू कर दिए हैं। कुछ सरकारी बैंकों ने वेरिएबल आधार पर कार लोन दरें तय करने की शुरुआत की है। कुछ मामलों में एक साल के लोन पर कम ब्याज दरों की पेशकश की जा रही है। उदाहरण के तौर पर एक सरकारी बैंक एक वर्ष के लिए आठ फीसदी की ब्याज दर की पेशकश कर रहा है। यह रणनीति इस बात का भी संकेत है कि अगले 12 महीनों में दरें तेजी से गिर सकती हैं। निवेशक यह जानते हैं कि ब्याज दर गिरने से गिल्ट फंडों और इनकम फंडों की यील्ड में सुधार होता है क्योंकि इनकी यील्ड का ब्याज दरों के मौजूदा चलन से उलटा रिश्ता होता है। इसी वजह से जब ब्याज दरें बढ़ती हैं तो इन प्रोडक्ट्स की यील्ड बढ़ती है और जब दरों में गिरावट का दौर आता है तो यील्ड ऊपर जाती है। निवेशकों की दृष्टि से अगले 12 महीनों के लिए डेट में आवंटन पर फिर से विचार करने की जरूरत है और लघु अवधि में डेट में निवेश बढ़ाया जा सकता है। पिछले कुछ दिनों में शॉट कवरिंग से शेयर बाजार में कुछ उछाल देखा गया है लेकिन मध्यम अवधि के निवेशकों को इससे राहत मिलने की संभावना नहीं है। मध्यम अवधि 12-18 महीने की हो सकती है। बाजार की मौजूदा चाल लघु और लंबी अवधि के निवेशकों को अच्छे मौकों की पेशकश कर रही है। इक्विटी निवेशक भी अगले 6-12 महीनों में गिल्ट फंडों में निवेश पर विचार कर सकते हैं। नियमित नकद प्रवाह पर निर्भर लंबी अवधि के निवेशक 3-5 वर्ष के डिपॉजिट या फिक्स्ड मंथली प्रोडक्ट्स में धन लगा सकते हैं क्योंकि 9-9.5 फीसदी की ब्याज दरें ज्यादा समय तक बरकरार रहने की उम्मीद नहीं है। कुछ महीने पहले तक फिक्स्ड मंथली प्रोडक्ट्स को लेकर निवेशक ज्यादा रुचि नहीं ले रहे थे लेकिन अब तस्वीर बदल गई है और कुछ फंडों ने ऐसे प्रोडक्ट लॉन्च किए हैं। लेकिन यील्ड एकल अंक में पहुंच गई है और फंड हाउस भी तीन वर्ष की बजाए एक वर्ष की अवधि की पेशकश कर रहे हैं। डबल इंडेक्सेशन का फायदा मिलने से फिक्स्ड डिपॉजिट की तुलना में इनमें निवेश बेहतर हो सकता है। मुद्रास्फीति के निचले स्तर पर पहुंचने की वजह से भी इस तरह का निवेश फायदेमंद नजर आ रहा है। लघु अवधि (कम से कम छह महीने) में टेजरी प्लान और गिल्ट फंड डेट में अच्छे विकल्प हैं। ये उन निवेशकों के लिए मुफीद हैं जो 3-6 महीनों के लिए निवेश की योजना बना रहे हैं।
-श्रीकला भाष्यम

1 comment:

संगीता पुरी said...

जानकारी देने के लिए धन्‍यवाद ...