निवेश गुरू वॉरेन बफेट ने निवेशकों को बचत से जुड़ी एक महत्वपूर्ण सलाह दी थी। उनका कहना था कि निवेशक को खर्च के बारे में सोचने से पहले निवेश के लिए धन अलग कर देना चाहिए। बहुत से लोग इस पर कह सकते हैं कि उन्हें इसकी जानकारी है लेकिन ईएमआई और जीवनशैली के महंगे खर्च का बोझ उठा रही मौजूदा पीढ़ी शायद इससे अनजान है। हालांकि, अगर इस पीढ़ी के लोग चाहें तो आमदनी में से बचत का रास्ता निकाल सकते हैं। इसके लिए सबसे पहला कदम अपने परिवार का बजट तैयार करना होगा। ठीक उसी तरह जैसे कोई कंपनी या स्व-रोजगार में लगे लोग अपने व्यवसाय के लिए बजट बनाते हैं। इसके लिए व्यक्ति को अपने खर्चों के बारे में जानकारी होनी चाहिए। खर्चों के प्रबंधन के लिए बहुत से रास्ते मौजूद हैं। आपको इन खर्चों का नियमित आधार पर रिकॉर्ड रखना होता है। आप रोजाना के खर्चों को भी लिख सकते हैं और चाहें तो साप्ताहिक आधार पर इनका रिकॉर्ड रखा जा सकता है। इससे न केवल आपको अपने खर्च पर नजर रखने में मदद मिलेगी बल्कि आप ऐसे खर्च की पहचान कर सकेंगे जो गैर-जरूरी हैं। इसके बाद निवेशकों को अपने लक्ष्यों और उन्हें पूरा करने के लिए संसाधनों के इंतजाम के बारे में सोचना होता है। इसके लिए आप लघु और लंबी अवधि की रणनीतियों के साथ आगे बढ़ सकते हैं। लंबी अवधि के लक्ष्यों में रिटायरमेंट की योजना, प्रॉपर्टी में निवेश या बच्चों की शिक्षा और उनका विवाह शामिल हो सकते हैं। इनके लिए भले ही आपको प्रत्येक माह बचत करने की जरूरत नहीं होगी लेकिन अगर आप इन लक्ष्यों के लिए हर महीने कुछ बचत करते हैं तो भविष्य में आप पर ज्यादा बोझ नहीं पड़ेगा। आप मासिक बजट में इनके लिए भी अलग से प्रावधान कर सकते हैं। इसके लिए कैसे आवंटन किया जाए? यह सवाल बहुत से लोगों को उलझा सकता है। कुछ लोगों के लिए आमदनी में से बचत की रकम निकालना एक बड़ी चुनौती हो सकती है। ऐसे लोग अपने प्रत्येक खर्च की एक सीमा तय कर सकते हैं। इससे वे अपनी निश्चित आमदनी में से कुछ धन बचा सकते हैं। उदाहरण के लिए मासिक बजट तैयार करते समय आमदनी में से 25-30 फीसदी अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अलग कर दें। यह देश का औसत बचत अनुपात भी है और इस लक्ष्य को हासिल करने में ज्यादा मुश्किल नहीं आएगी। मासिक आधार पर आमदनी के 70 फीसदी में से अपने बजट का प्रबंधन करने का प्रयास करना चाहिए और 3-5 फीसदी की अतिरिक्त बचत करना भी बेहतर रहेगा। ऐसी बचत से आप अपने उन खर्चों के लिए रकम का इंतजाम कर सकते हैं जो बहुत जरूरी नहीं हैं। इनमें किसी अच्छे रेस्तरां में जाना या फिर छुट्टियां बिताने के लिए शहर से बाहर निकलना शामिल हो सकते हैं। बचत का लक्ष्य तय करने के बाद, अगला कदम बचत को निवेश में लगाने का होगा। योजना के शुरुआती दौर में लंबी अवधि के लक्ष्यों के लिए 5-10 वर्ष की निवेश अवधि के साथ बचत का 75-80 फीसदी हिस्सा लगाया जा सकता है। बाकी के हिस्से को आप आपात जरूरतों से निपटने के लिए अलग रख सकते हैं। यह हिस्सा समय बीतने और आपकी आमदनी बढ़ने के साथ कम भी हो सकता है। जैसे-जैसे आपकी आमदनी में इजाफा होता है, उसके साथ ही बचत करने की क्षमता भी बढ़ने लगती है। आपको निवेश भी बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। अगर आप बिना बजट के निवेश का प्रयास करते हैं तो लक्ष्यों को हासिल करना आपके लिए मुश्किल हो सकता है। बजट के साथ आप अपने खर्चों का बेहतर प्रबंधन कर बचत और निवेश की योजना को हकीकत बना सकते हैं।
-श्रीकला भाष्यम
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